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Bihar Politics: नीतीश की विपक्षी एकजुटता को शरद पवार ने किया 'क्लीन बोल्ड', बोले सुशासन बाबू- 'सबकी अपनी इच्छा'

शरद पवार ने नीतीश की विपक्षी एकजुटता अभियान को खटाई में डाल दिया है. शरद पवार के इस बयान को एक हिंट के रूप में देखा जा रहा है. खड़गे की दिलचस्पी भी नीतीश की ओर बढ़ रही थी तभी शरद पवार ने अडानी हिंडनबर्ग विवाद पर मास्टरस्ट्रोक लगा दिया. अब शरद पवार के इस बयान पर नीतीश की सधी हुई प्रतिक्रिया आई है.

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Published : Apr 8, 2023, 8:54 PM IST

नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विपक्षी एकजुटता कैंपेन को शरद पवार ने एक बयान से हवा निकाल दी. दरअसल, कांग्रेस और नीतीश के बीच बढ़ती नजदीकियां को विपक्षी एकजुटता के रूप में देखा जाने लगा था. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नीतीश को फोन भी किया था. लेकिन कांग्रेस की ओर से नीतीश को मिले स्पेस को शरद पवार ने अपना बयान भर दिया. जब उस बयान पर जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा गया तो उन्होंने शरद पवार की ही भाषा में जवाब दिया और कहा कि ''सबका अलग-अलग विचार है. कौन क्या कहता है ये उनकी अपनी इच्छा है.''

ये भी पढ़ें- Bihar Politics: '...हां खड़गे से बात हुई है', विपक्षी एकता पर सीएम नीतीश ने किया बड़ा खुलासा

शरद पवार का यू टर्न: बता दें कि एक इंटरव्यू में महाराष्ट्र के कद्दावर नेता शरद पवार ने अडानी हिंडनबर्ग विवाद को लेकर पूछे गए सवाल में ऐसी लाइन पकड़ी कि विपक्षी एकजुटता का मामला पीछे छूट गया. हालांकि उसी दौरान उन्होंने ये भी कहा था कि विपक्षी एकजुटता जरूरी है, लेकिन सभी पार्टियों की विचारधारा बिल्कुल अलग-अलग है. मेरे जैसे व्यक्ति विपक्षी एकजुटता के पक्षधर हैं पर हमारा पूरा फोकस विकास पर है.

नीतीश की गुगली पर पवार के मास्टर स्ट्रोक : शरद पवार को देश की सियासत में चाणक्य कहा जाता है. उन्होंने ये बयान दिया है तो इसके मायने होंगे. शरद पवार ने तब कहा था कि ''एक समय था जब विपक्ष को सरकार की आलोचना करनी होती थी तब टाटा-बिरला का नाम लेते थे. ठीक वैसे ही जैसे वर्तमान समय में विपक्ष अडानी-अंबानी का नाम लेकर हमले किए जाते हैं. जैसे टाटा का देश के लिए योगदान है वैसे ही अडानी और अंबानी के योगदान के बारे में भी सोचने की जरूरत है. शरद पवार ने साफ कह दिया कि उनके सामने अडानी मामले की जेपीसी जांच से ज्यादा जरूरी है कि दूसरे मुद्दे तलाशे जाएं. बेरोजगारी, किसानों की समस्याएं और महंगाई को आधार बनाया जाए.''

नीतीश के सामने शरद पवार चुनौती: यानी नीतीश को लेकर जिस तरह से कांग्रेस सॉफ्ट कॉर्नर होती दिख रही थी, शरद पवार का ये बयान पुराने साथी यानी कांग्रेस को चेतावनी की तरह दिख रहा है. अपने इस बयान में विपक्षी एकता को कॉमन मिनिमम एजेंडे के रूप में रखकर भी पवार ने मास्टर स्ट्रोक लगाया है. निश्चित तौर पर नीतीश को इस दिशा में अधिक मेहनत करनी होगी.

नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विपक्षी एकजुटता कैंपेन को शरद पवार ने एक बयान से हवा निकाल दी. दरअसल, कांग्रेस और नीतीश के बीच बढ़ती नजदीकियां को विपक्षी एकजुटता के रूप में देखा जाने लगा था. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नीतीश को फोन भी किया था. लेकिन कांग्रेस की ओर से नीतीश को मिले स्पेस को शरद पवार ने अपना बयान भर दिया. जब उस बयान पर जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा गया तो उन्होंने शरद पवार की ही भाषा में जवाब दिया और कहा कि ''सबका अलग-अलग विचार है. कौन क्या कहता है ये उनकी अपनी इच्छा है.''

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शरद पवार का यू टर्न: बता दें कि एक इंटरव्यू में महाराष्ट्र के कद्दावर नेता शरद पवार ने अडानी हिंडनबर्ग विवाद को लेकर पूछे गए सवाल में ऐसी लाइन पकड़ी कि विपक्षी एकजुटता का मामला पीछे छूट गया. हालांकि उसी दौरान उन्होंने ये भी कहा था कि विपक्षी एकजुटता जरूरी है, लेकिन सभी पार्टियों की विचारधारा बिल्कुल अलग-अलग है. मेरे जैसे व्यक्ति विपक्षी एकजुटता के पक्षधर हैं पर हमारा पूरा फोकस विकास पर है.

नीतीश की गुगली पर पवार के मास्टर स्ट्रोक : शरद पवार को देश की सियासत में चाणक्य कहा जाता है. उन्होंने ये बयान दिया है तो इसके मायने होंगे. शरद पवार ने तब कहा था कि ''एक समय था जब विपक्ष को सरकार की आलोचना करनी होती थी तब टाटा-बिरला का नाम लेते थे. ठीक वैसे ही जैसे वर्तमान समय में विपक्ष अडानी-अंबानी का नाम लेकर हमले किए जाते हैं. जैसे टाटा का देश के लिए योगदान है वैसे ही अडानी और अंबानी के योगदान के बारे में भी सोचने की जरूरत है. शरद पवार ने साफ कह दिया कि उनके सामने अडानी मामले की जेपीसी जांच से ज्यादा जरूरी है कि दूसरे मुद्दे तलाशे जाएं. बेरोजगारी, किसानों की समस्याएं और महंगाई को आधार बनाया जाए.''

नीतीश के सामने शरद पवार चुनौती: यानी नीतीश को लेकर जिस तरह से कांग्रेस सॉफ्ट कॉर्नर होती दिख रही थी, शरद पवार का ये बयान पुराने साथी यानी कांग्रेस को चेतावनी की तरह दिख रहा है. अपने इस बयान में विपक्षी एकता को कॉमन मिनिमम एजेंडे के रूप में रखकर भी पवार ने मास्टर स्ट्रोक लगाया है. निश्चित तौर पर नीतीश को इस दिशा में अधिक मेहनत करनी होगी.

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