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पश्चिम बंगाल : भवानीपुर उपचुनाव से पहले खड़ा हुआ नया विवाद, केंद्रीय एजेंसियां निशाने पर

ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों ने कई तृणमूल कांग्रेस नेताओं को तलब किया है. केंद्रीय एजेंसिंयों की इस कार्रवाई से खलबली मची हुई है. टीएमसी नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार राजनीतिक प्रतिशोध में काम कर रही है. वे हमें राजनीतिक रूप से नहीं हरा सकते हैं और इसलिए वे हमें डराने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग नहीं कर रहे हैं.

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Published : Sep 14, 2021, 3:33 PM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में भवानीपुर उपचुनाव से ठीक पहले एक नया विवाद खड़ा हो गया है. ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों ने कई तृणमूल कांग्रेस नेताओं को तलब किया है. केंद्रीय एजेंसिंयों की इस कार्रवाई से खलबली मची हुई है. जहां तृणमूल कांग्रेस ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया, तो वहीं प्रतिद्वंद्वी भाजपा नेताओं ने सत्तारूढ़ दल से इसके खिलाफ अदालत जाने को कहा.

बता दें कि पिछले कुछ दिनों में, तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा विभिन्न मामलों में तलब किया गया है. कोयला तस्करी मामले में ईडी ने छह सितंबर को अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी से नौ घंटे तक पूछताछ की थी. उन्हें इस महीने की 21 तारीख को फिर से तलब किया गया है. उनकी पत्नी रुजीरा बनर्जी को भी तलब किया गया था, लेकिन उन्होंने ईडी के सामने पेश होने के लिए दिल्ली जाने से इनकार कर दिया और घर पर पूछताछ का अनुरोध किया है.

कानून मंत्री मोलॉय घटक ने जताई असमर्थता

राज्य के कानून मंत्री मोलॉय घटक को दिल्ली आने और उसी कोयला तस्करी मामले में ईडी के सामने पेश होने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने जाने से इनकार कर दिया और जांच एजेंसी को अपना रिकॉर्ड दर्ज करने के लिए कोलकाता आने के लिए कहा. मोलॉय घटक ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उनके बयान को रिकॉर्ड कर सकते हैं.

एक अन्य कैबिनेट मंत्री पार्थ चटर्जी को भी सीबीआई ने आई-कोर चिटफंड मामले में तलब किया था. चटर्जी, जो राज्य के वाणिज्य और उद्योग मंत्री भी हैं, ने कहा कि वह सीबीआई के सामने पेश नहीं हो पाएंगे और इसके बजाय केंद्रीय एजेंसी से राज्य में आकर अपना बयान दर्ज करने को कहा. जांच एजेंसी के अधिकारी सोमवार को आए और उनसे दो घंटे तक पूछताछ की.

सीएम ममता बनर्जी ने जताई नाराजगी

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लगातार दो दिनों तक अभिषेक बनर्जी को तलब करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर भड़ास निकाली. उन्होंने पार्टी के एक कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं कहा, "उन्होंने उनसे नौ घंटे तक पूछताछ की और फिर अगले दिन वे उन्हें बुला रहे हैं. हमें धमकी नहीं दी जा सकती है. हम कांग्रेस या अखिलेश यादव या शरद पवार नहीं हैं. हम इसे राजनीतिक रूप से लड़ेंगे."

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा, "यह राजनीतिक प्रतिशोध के अलावा और कुछ नहीं है. वे हमें राजनीतिक रूप से नहीं हरा सकते हैं और इसलिए वे हमें डराने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग नहीं कर रहे हैं. लेकिन वे हमें नीचे नहीं गिरा सकते." भाजपा ने तुरंत जवाब दिया. "हम इस तरह की राजनीति नहीं करते हैं. वे ऐसा कर रहे होंगे और इसलिए वे चिंतित हैं. अगर उन्हें लगता है कि यह एक राजनीतिक प्रतिशोध है, तो वे अदालत जाने के लिए स्वतंत्र हैं.

पढ़ेंः बिजली मंत्री ने विद्युत संशोधन विधेयक पर ममता बनर्जी के विरोध पर सवाल उठाया

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता समिक भट्टाचार्य ने कहा, किसी ने उन्हें वहां जाने से नहीं रोका. माकपा के पूर्व विधायक और दिग्गज नेता तन्मय भट्टाचार्य ने कहा, ''वे इन एजेंसियों से डरते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि उन्होंने गलत काम किया है. तृणमूल के एक नेता ने 1,251 करोड़ कहां से जुटाए, सवाल का जवाब देना होगा. उन्हें सलाखों के पीछे होना चाहिए था, लेकिन दुर्भाग्य से वह अब राज्य पर शासन कर रहे हैं."

(IANS)

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में भवानीपुर उपचुनाव से ठीक पहले एक नया विवाद खड़ा हो गया है. ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों ने कई तृणमूल कांग्रेस नेताओं को तलब किया है. केंद्रीय एजेंसिंयों की इस कार्रवाई से खलबली मची हुई है. जहां तृणमूल कांग्रेस ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया, तो वहीं प्रतिद्वंद्वी भाजपा नेताओं ने सत्तारूढ़ दल से इसके खिलाफ अदालत जाने को कहा.

बता दें कि पिछले कुछ दिनों में, तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा विभिन्न मामलों में तलब किया गया है. कोयला तस्करी मामले में ईडी ने छह सितंबर को अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी से नौ घंटे तक पूछताछ की थी. उन्हें इस महीने की 21 तारीख को फिर से तलब किया गया है. उनकी पत्नी रुजीरा बनर्जी को भी तलब किया गया था, लेकिन उन्होंने ईडी के सामने पेश होने के लिए दिल्ली जाने से इनकार कर दिया और घर पर पूछताछ का अनुरोध किया है.

कानून मंत्री मोलॉय घटक ने जताई असमर्थता

राज्य के कानून मंत्री मोलॉय घटक को दिल्ली आने और उसी कोयला तस्करी मामले में ईडी के सामने पेश होने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने जाने से इनकार कर दिया और जांच एजेंसी को अपना रिकॉर्ड दर्ज करने के लिए कोलकाता आने के लिए कहा. मोलॉय घटक ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उनके बयान को रिकॉर्ड कर सकते हैं.

एक अन्य कैबिनेट मंत्री पार्थ चटर्जी को भी सीबीआई ने आई-कोर चिटफंड मामले में तलब किया था. चटर्जी, जो राज्य के वाणिज्य और उद्योग मंत्री भी हैं, ने कहा कि वह सीबीआई के सामने पेश नहीं हो पाएंगे और इसके बजाय केंद्रीय एजेंसी से राज्य में आकर अपना बयान दर्ज करने को कहा. जांच एजेंसी के अधिकारी सोमवार को आए और उनसे दो घंटे तक पूछताछ की.

सीएम ममता बनर्जी ने जताई नाराजगी

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लगातार दो दिनों तक अभिषेक बनर्जी को तलब करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर भड़ास निकाली. उन्होंने पार्टी के एक कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं कहा, "उन्होंने उनसे नौ घंटे तक पूछताछ की और फिर अगले दिन वे उन्हें बुला रहे हैं. हमें धमकी नहीं दी जा सकती है. हम कांग्रेस या अखिलेश यादव या शरद पवार नहीं हैं. हम इसे राजनीतिक रूप से लड़ेंगे."

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा, "यह राजनीतिक प्रतिशोध के अलावा और कुछ नहीं है. वे हमें राजनीतिक रूप से नहीं हरा सकते हैं और इसलिए वे हमें डराने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग नहीं कर रहे हैं. लेकिन वे हमें नीचे नहीं गिरा सकते." भाजपा ने तुरंत जवाब दिया. "हम इस तरह की राजनीति नहीं करते हैं. वे ऐसा कर रहे होंगे और इसलिए वे चिंतित हैं. अगर उन्हें लगता है कि यह एक राजनीतिक प्रतिशोध है, तो वे अदालत जाने के लिए स्वतंत्र हैं.

पढ़ेंः बिजली मंत्री ने विद्युत संशोधन विधेयक पर ममता बनर्जी के विरोध पर सवाल उठाया

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता समिक भट्टाचार्य ने कहा, किसी ने उन्हें वहां जाने से नहीं रोका. माकपा के पूर्व विधायक और दिग्गज नेता तन्मय भट्टाचार्य ने कहा, ''वे इन एजेंसियों से डरते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि उन्होंने गलत काम किया है. तृणमूल के एक नेता ने 1,251 करोड़ कहां से जुटाए, सवाल का जवाब देना होगा. उन्हें सलाखों के पीछे होना चाहिए था, लेकिन दुर्भाग्य से वह अब राज्य पर शासन कर रहे हैं."

(IANS)

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