नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने धारचूला में महाकाली नदी पर पुल के निर्माण के लिए भारत एवं नेपाल के बीच समझौत ज्ञापन (एमओयू) को बृहस्पतिवार को अनुमति प्रदान कर दी. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर (Union Minister Anurag Thakur) ने यह जानकारी दी .
बैठक के बाद ठाकुर ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई. उन्होंने बताया कि इस समझौता ज्ञापन पर जल्द ही हस्ताक्षर किए जाएंगे. इस पुल का निर्माण अगले तीन वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा.
सूचना प्रसारण मंत्री ने कहा कि इससे उत्तराखंड के लोगों और नेपाल के क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलेगा. इससे दोनों देशों में व्यापार, भाईचारे और रिश्तों को मजबूती मिलेगी. सरकारी बयान के अनुसार, इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने से दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध और बेहतर होंगे.
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इसमें कहा गया है कि घनिष्ठ पड़ोसियों के रूप में, भारत और नेपाल के बीच मित्रता तथा सहयोग का अनूठा संबंध है, जो एक खुली सीमा के साथ-साथ जन-जन के बीच गहरे संबंधों और संस्कृति से प्रमाणित है. भारत और नेपाल दोनों दक्षेस, बिम्सटेक जैसे विभिन्न क्षेत्रीय मंचों के साथ-साथ वैश्विक मंचों पर एक साथ काम कर रहे हैं.
हरित ऊर्जा गलियारे के दूसरे चरण के लिए 12,031 करोड़ रुपये स्वीकृत
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हरित ऊर्जा गलियारे के दूसरे चरण के लिए बृहस्पतिवार को 12,031 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की. इसका उपयोग सात राज्यों में ग्रिड एकीकरण और करीब 20,000 मेगावॉट क्षमता की नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं से उत्पादित बिजली के पारेषण में किया जाएगा. आधिकारिक बयान के मुताबिक इस योजना के तहत 10,750 सर्किट किलोमीटर की बिजली पारेषण लाइन बिछाने और बिजली उपकेंद्रों के करीब 27,500 मेगा वोल्ट-एम्पीयर अंतरण का लक्ष्य रखा गया है.
हरित ऊर्जा गलियारे के दूसरे चरण का क्रियान्वयन वर्ष 2021-22 से लेकर 2025-26 के दौरान किया जाएगा. इस राशि से गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश में करीब 20,000 मेगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का क्रियान्वयन एवं ग्रिड एकीकरण किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस योजना पर होने वाले कुल निवेश का 33 फीसदी यानी 3,970.34 करोड़ रुपये केंद्रीय वित्तीय समर्थन के रूप में होगा. इस समर्थन का इस्तेमाल पारेषण शुल्क के भुगतान और बिजली की लागत कम करने में होगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि दूसरे चरण के क्रियान्वयन से वर्ष 2030 तक 4,50,000 मेगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी. इससे देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी.
(पीटीआई-भाषा)