ETV Bharat / bharat

Bihar Cast Census: जातीय जनगणना पर रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची बिहार सरकार, जल्द सुनवाई की अपील

बिहार में जातीय गणना पर रोक लगाने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने जातीय गणना और आर्थिक सर्वेक्षण पर अंतरिम रोक के खिलाफ याचिका दायर की है. पढ़ें पूरी खबर..

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : May 11, 2023, 5:44 PM IST

Updated : May 11, 2023, 6:33 PM IST

पटनाः बिहार में जातीय जनगणना को लेकर बिहार सरकार बेचैन दिख रही है. 4 मई को हाईकोर्ट की ओर से जातीय जनगणना पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश जारी किया गया है. साथ ही इस पर 3 जुलाई को सुनवाई की तिथि तय की गई है. अब इसके खिलाफ बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है. वहीं इस मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई का आग्रह किया गया है.

ये भी पढ़ेंः Bihar Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना पर पटना हाईकोर्ट ने लगाई रोक, जानें कोर्ट का पूरा आदेश

जल्द सुनवाई की अपील हाईकोर्ट कर चुकी है खारिजः जातीय गणना पर अंतरिम रोक के बाद सरकार की ओर से इस मामले पर जल्द सुनवाई को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. 9 मई को इसे हाईकोर्ट में खारिज कर दिया गया था और तीन जुलाई को ही निर्धारित तिथि पर सुनवाई करने की बात कही गई थी. इसी के खिलाफ बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है और इस पर जल्द सुनवाई का आग्रह किया है. जातीय जनगणना के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद से ही सरकार इसे पूरा करने को लेकर जल्दबाजी में दिख रही है.

जातीय जनगणा का टाइम लाइन
बिहार में जातीय जनगणना

9 मई को हुई सुनवाई के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट गई राज्य सरकारः चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ ने राज्य सरकार की 3 जुलाई के पूर्व सुनवाई करने की याचिका को 9 मई को सुनवाई करने के बाद खारिज कर दिया था. इस आदेश विरुद्ध राज्य सरकार ने एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की है. पटना हाइकोर्ट ने इन मामलों पर सुनवाई की तिथि 3 जुलाई ही निश्चित की थी. पटना हाइकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका में ये कहा गया था कि क्योंकि पटना हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार के पास जातीय जनगणना कराने का वैधानिक अधिकार नहीं है, इसीलिए इन याचिकाओं पर 3 जुलाई को सुनवाई करने का कोई कारण नहीं है.

क्या है हाईकोर्ट का अंतरिम आदेशः हाईकोर्ट ने 3 मई को जातीय गणना के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली थी और चार मई को इस पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश दिया था. इसमें अब तक हुए जातीय जनगणना का डाटा संरक्षित रखने को भी कहा गया था. हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ में दो दिनों तक लगातार सुनवाई चली थी. तब जाकर इस पर रोक का अंतरिम आदेश दिया गया था.

जातीय जनगणा का टाइम लाइन
जातीय जनगणा का टाइम लाइन

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही हुई थी सुनवाईः हाईकोर्ट में जातीय जनगणना के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही की गई थी. इससे पहले जातीय जनगणना पर रोक लगाने को लेकर याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट ही पहुंचे थे. वहां से इसे हाईकोर्ट भेजा गया था. एकबार फिर से जातीय जनगणना पर लगी रोक के विरोध में बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. यह मामला जहां से शुरू हुआ था, फिर वहीं पहुंच चुका है. ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट बिहार सरकार की अपील पर क्या निर्देश देती है. इसका दोनों पक्ष को इंतजार रहेगा.

राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में नहीं है जातीय गणनाः कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में स्पष्ट कर दिया था कि कार्यपालिका के पास जातीय जनगणना कराने का क्षेत्राधिकार नहीं है. कोर्ट ने ये भी कहा था कि जातीय जनगणना से जनता की निजता का उल्लंघन होता है. इस सम्बन्ध में विधायिका द्वारा कोई कानून भी नहीं बनाया गया है. कोर्ट ने अपने 4 मई के अंतरिम आदेश में जो निर्णय दिया है,उसमें सभी मुद्दों पर अंतिम निर्णय दिया गया. कोर्ट ने इन याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों पर अंतिम रूप से निर्णय दे दिया है. राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य आम लोगों के लिए कल्याणकारी और विकास की योजना तैयार करना है. इसका किसी अन्य कार्य के लिए कोई उद्देश्य नहीं है.

पटनाः बिहार में जातीय जनगणना को लेकर बिहार सरकार बेचैन दिख रही है. 4 मई को हाईकोर्ट की ओर से जातीय जनगणना पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश जारी किया गया है. साथ ही इस पर 3 जुलाई को सुनवाई की तिथि तय की गई है. अब इसके खिलाफ बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है. वहीं इस मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई का आग्रह किया गया है.

ये भी पढ़ेंः Bihar Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना पर पटना हाईकोर्ट ने लगाई रोक, जानें कोर्ट का पूरा आदेश

जल्द सुनवाई की अपील हाईकोर्ट कर चुकी है खारिजः जातीय गणना पर अंतरिम रोक के बाद सरकार की ओर से इस मामले पर जल्द सुनवाई को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. 9 मई को इसे हाईकोर्ट में खारिज कर दिया गया था और तीन जुलाई को ही निर्धारित तिथि पर सुनवाई करने की बात कही गई थी. इसी के खिलाफ बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है और इस पर जल्द सुनवाई का आग्रह किया है. जातीय जनगणना के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद से ही सरकार इसे पूरा करने को लेकर जल्दबाजी में दिख रही है.

जातीय जनगणा का टाइम लाइन
बिहार में जातीय जनगणना

9 मई को हुई सुनवाई के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट गई राज्य सरकारः चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ ने राज्य सरकार की 3 जुलाई के पूर्व सुनवाई करने की याचिका को 9 मई को सुनवाई करने के बाद खारिज कर दिया था. इस आदेश विरुद्ध राज्य सरकार ने एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की है. पटना हाइकोर्ट ने इन मामलों पर सुनवाई की तिथि 3 जुलाई ही निश्चित की थी. पटना हाइकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका में ये कहा गया था कि क्योंकि पटना हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार के पास जातीय जनगणना कराने का वैधानिक अधिकार नहीं है, इसीलिए इन याचिकाओं पर 3 जुलाई को सुनवाई करने का कोई कारण नहीं है.

क्या है हाईकोर्ट का अंतरिम आदेशः हाईकोर्ट ने 3 मई को जातीय गणना के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली थी और चार मई को इस पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश दिया था. इसमें अब तक हुए जातीय जनगणना का डाटा संरक्षित रखने को भी कहा गया था. हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ में दो दिनों तक लगातार सुनवाई चली थी. तब जाकर इस पर रोक का अंतरिम आदेश दिया गया था.

जातीय जनगणा का टाइम लाइन
जातीय जनगणा का टाइम लाइन

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही हुई थी सुनवाईः हाईकोर्ट में जातीय जनगणना के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ही की गई थी. इससे पहले जातीय जनगणना पर रोक लगाने को लेकर याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट ही पहुंचे थे. वहां से इसे हाईकोर्ट भेजा गया था. एकबार फिर से जातीय जनगणना पर लगी रोक के विरोध में बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. यह मामला जहां से शुरू हुआ था, फिर वहीं पहुंच चुका है. ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट बिहार सरकार की अपील पर क्या निर्देश देती है. इसका दोनों पक्ष को इंतजार रहेगा.

राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में नहीं है जातीय गणनाः कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में स्पष्ट कर दिया था कि कार्यपालिका के पास जातीय जनगणना कराने का क्षेत्राधिकार नहीं है. कोर्ट ने ये भी कहा था कि जातीय जनगणना से जनता की निजता का उल्लंघन होता है. इस सम्बन्ध में विधायिका द्वारा कोई कानून भी नहीं बनाया गया है. कोर्ट ने अपने 4 मई के अंतरिम आदेश में जो निर्णय दिया है,उसमें सभी मुद्दों पर अंतिम निर्णय दिया गया. कोर्ट ने इन याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों पर अंतिम रूप से निर्णय दे दिया है. राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य आम लोगों के लिए कल्याणकारी और विकास की योजना तैयार करना है. इसका किसी अन्य कार्य के लिए कोई उद्देश्य नहीं है.

Last Updated : May 11, 2023, 6:33 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.