पटनाः स्पीकर विजय कुमार सिन्हा (Speaker Vijay Kumar Sinha resigns) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बहुमत का महत्व है. आपलोगों ने मुझे इस आसन पर बैठाया है. मैं सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का इसके लिए आभार जताता हूं. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मुझे मौका नहीं मिला, नहीं तो मैं पहले ही इस्तीफा दे देता. जितने लोगों ने अविश्वास प्रस्ताव दिया था, उसमें सिर्फ ललित यादव का प्रस्ताव सही है. उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण के बाद अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. उन्होंने दो घंटे तक अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की घोषणा भी की. साथ ही सदन संचालन की जिम्मेवारी नरेंद्र यादव को सौंप दी. हालांकि संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने उपाध्यक्ष की जगह नरेंद्र नारायण यादव को सदन संचालन के लिए बोलने पर आपत्ति जताई है. इसके साथ ही बिहार विधानसभा के विशेष सत्र की कार्यवाही (special session of Vidhan Sabha in Bihar) 2 बजे तक के लिए स्थगित हो गई.
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"हमारी पार्टी और नेतृत्व जो निर्णय लेते हैं, सब सैनिक की तरह खड़े होते हैं हमलोग. अब भाजपा के सैनिक हैं हमलोग. गैरुआ वस्त्र सत्य सास्वत है"- विजय कुमार सिन्हा, पूर्व अध्यक्ष, बिहार विधानसभा
पहले किया था इस्तीफा से इंकार: इससे पहले विजय कुमार सिन्हा ने साफ कहा था कि लोकतंत्र की गरिमा को सुरक्षित रखना मेरे लिए व्यक्तिगत सम्मान से ऊपर है. यह विधानसभा का अध्यक्ष होने के नाते मेरा कर्तव्य भी है. हालांकि आंकड़ों के मुताबिक उनके समर्थन में भाजपा के 76 सदस्य हैं, जबकि सत्ता पक्ष के 164 विधायक उनके खिलाफ एकजुट हैं. नियम तो यही है कि जिसके विरूद्ध में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है वह आसन पर नहीं बैठ सकता. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष दायित्व और संसदीय नियमों संरक्षण की बात करके पद पर बने हुए हैं.
महागठबंधन सरकार को 164 विधायकों का समर्थनः डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी ने भी बयान दिया था कि विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए. उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नियमानुकूल लाया गया है. सत्र शुरू होने से 14 दिन पहले दिया गया है और जब विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है तो वो सदन की कार्यवाही संचालित नहीं कर सकते हैं. डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी जदयू खेमे से हैं और महागठबंधन सरकार बनने के बाद विधानसभा अध्यक्ष का पद आरजेडी खेमे को जाना है. बहुमत महागठबंधन के पास है. 7 दलों के 164 विधायकों का समर्थन महागठबंधन सरकार के साथ है. ऐसे में बहुमत जब 121 विधायकों की चाहिए तो उससे यह संख्या काफी अधिक है. 243 सदस्य वाले बिहार विधानसभा में महा गठबंधन सरकार में शामिल दल आरजेडी- 79 , जदयू- 45, कांग्रेस-19, हम-4 और निर्दलीय 1 है. इसके अलावा माले 12, सीपीआई दो, सीपीएम दो ने बाहर से समर्थन किया है. इस तरह कुल 164 विधायक महागठबंधन सरकार के साथ हैं.
विपक्ष में बीजेपी 76 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टीः वहीं, विपक्ष में बीजेपी 76 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. एआईएमआईएम के एक विधायक भी विपक्ष में हैं. फिलहाल विधानसभा में दो स्थान रिक्त है अभी हाल ही में बीजेपी के पूर्व मंत्री सुभाष सिंह के निधन के कारण एक सीट खाली हुई है. वहीं आरजेडी के विधायक अनंत सिंह को कोर्ट की ओर से सजा दिए जाने के कारण उनका स्थान स्थान रिक्त हुआ है. आरजेडी की ओर से बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए अवध बिहारी चौधरी का नाम तय माना जा रहा है. बिहार विधान परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष एवं BJP नेता अवधेश नारायण सिंह को भी बदला जा सकता है. ऐसी चर्चा है कि जदयू इस पद के लिये देवेश चंद्र ठाकुर नाम पर विचार कर रहा है. जहां तक नेता प्रतिपक्ष की बात है तो बीजेपी विधानमंडल दल की बैठक में नेता प्रतिपक्ष के पद पर फैसला नहीं हुआ है और ऐसा माना जा रहा है कि विजय सिन्हा को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है.
ऐसा रहा विधानसभा अध्यक्ष का कार्यकालः बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा हमेशा सुर्खियों में बने रहे हैं चाहे मुख्यमंत्री से लखीसराय मामले को बार-बार उठाने को लेकर गरमा गरम बहस का मामला हो जिसमें मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह मामला कोर्ट का है जो कोर्ट की चीजें हैं उसे सदन में नहीं लाई जा सकती है तब मुख्यमंत्री ने कहा था कि सदन ऐसे नहीं चलेगा और विजय सिन्हा ने कहा था कि सदन कैसे चलेगा वही बता दीजिए. यही नहीं बीजेपी मंत्री सम्राट चौधरी के व्याकुल नहीं होने वाले सलाह पर भी खूब बवाल मचा था. दोनों मामले में विजय सिन्हा नाराज हो गए थे और मुख्यमंत्री को जाकर बैठक करनी पड़ी थी और सम्राट चौधरी को भी माफी मांगने पड़ी थी विजय सिन्हा के कार्यकाल में पिछले साल सदन के अंदर और बाहर विधायकों पर पुलिसिया कार्रवाई हुई थी लेकिन अपने कार्यकाल में विजय सिन्हा बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी वर्ष समारोह के 1 साल के कार्यक्रम का पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद से उद्घाटन कराया था तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समापन कराया था. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भी इस दौरान विधान सभा बुलाकर संबोधन कार्यक्रम कराया था तो यह बड़ी उपलब्धि भी विजय सिन्हा के नाम रही है. अब विधानसभा अध्यक्ष पद से विजय सिन्हा की विदाई कैसे होती है इस पर सबकी नजर है.
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