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उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड जनता से साझा करना अनिवार्य : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश में राजनीतिक दलों से कहा है कि वे चुनाव मैदान में उतरने वाले प्रत्याशियों का आपराधिक ब्यौरा जनता के सामने रखें. वे प्रत्याशियों के आपराधिक ब्यौरे को साइट पर अपलोड करें.

supreme court on election candidates
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
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Published : Feb 13, 2020, 10:48 AM IST

Updated : Mar 1, 2020, 4:41 AM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण पर चिंता जाहिर करते हुए अपने एक आदेश में कहा है कि राजनीतिक दलों के लिए यह जरूरी है कि वह उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड जनता से साझा करें, इसे वेबसाइट पर डालें ताकि हर व्यक्ति इसे देख सके. ऐसा न करने पर अवमानना की कार्रवाई हो सकती है.

शीर्ष अदालत ने कहा है कि उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास को अखबारों में भी प्रकाशित कराना होगा. इसके अलावा चुनाव आयोग को भी उम्मीदवारों के आपराधिक मामलों की जानकारी देनी होगी. कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों को उम्मीदवारों के आपराधिक ब्यौरे वेबसाइट पर भी डालने होंगे.

याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
राजनीतिक पार्टियों को चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का ब्यौरा अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना होगा. उन्हें वेबसाइट पर यह बताना होगा कि उन्होंने ऐसे उम्मीदवार क्यों चुनें, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं.

सियासी दल उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की विस्तृत जानकारी सोशल मीडिया और अखबारों में दें.

सियासी दलों को ऐसे उम्मीदवार को चुनने के 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को अनुपालन रिपोर्ट देनी होगी, जिसके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं.

जिन उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं, उनके बारे में अगर राजनीतिक दल न्यायालय की व्यवस्था का पालन करने में असफल रहते हैं, तो चुनाव आयोग इसे शीर्ष अदालत के संज्ञान में लाए.

पढ़ें : सिलीगुड़ी कॉरिडोर या चिकन गलियारा का क्यों है महत्व, जानें

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि बीते चार आम चुनाव से राजनीति में आपराधिकरण तेजी से बढ़ा है.

अवमानना याचिका पर सुनवाई में दिया गया यह आदेश

न्यायालय ने एक अवमानना याचिका पर यह आदेश पारित किया. उस याचिका में राजनीति के अपराधीकरण का मुद्दा उठाते हुए दावा किया गया था कि सितंबर 2018 में आए शीर्ष अदालत के निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है, जिसमें सियासी दलों से अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का खुलासा करने को कहा गया था.

न्यायमूर्ति रोहिन्टन फली नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सियासी दल उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की विस्तृत जानकारी फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, क्षेत्रीय भाषा के एक अखबार और एक राष्ट्रीय अखबार में प्रकाशित करवाएं.

न्यायालय ने कहा कि सियासी दलों को ऐसे उम्मीदवार को चुनने के 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को अनुपालन रिपोर्ट देनी होगी, जिसके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं. साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा कि जिन उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं, उनके बारे में अगर राजनीतिक दल न्यायालय की व्यवस्था का पालन करने में असफल रहते हैं, तो चुनाव आयोग इसे शीर्ष अदालत के संज्ञान में लाए.

पढे़ं : गैस सिलेंडर के बढ़े दामों के खिलाफ सड़क पर उतरी महिला कांग्रेस

भारतीय जनता पार्टी ने किया सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का स्वागत

ईटीवी भारत से बातचीत करते भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का स्वागत करते हुए भाजपा ने कहा है कि वह पहले से ही कैंडीडेट्स के बैकग्राउंड देखकर ही टिकट देती है और एक-एक चीज पार्टी की वेबसाइट पर होती है.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण पर चिंता जाहिर करते हुए अपने एक आदेश में कहा है कि राजनीतिक दलों के लिए यह जरूरी है कि वह उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड जनता से साझा करें, इसे वेबसाइट पर डालें ताकि हर व्यक्ति इसे देख सके. ऐसा न करने पर अवमानना की कार्रवाई हो सकती है.

शीर्ष अदालत ने कहा है कि उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास को अखबारों में भी प्रकाशित कराना होगा. इसके अलावा चुनाव आयोग को भी उम्मीदवारों के आपराधिक मामलों की जानकारी देनी होगी. कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों को उम्मीदवारों के आपराधिक ब्यौरे वेबसाइट पर भी डालने होंगे.

याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
राजनीतिक पार्टियों को चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का ब्यौरा अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना होगा. उन्हें वेबसाइट पर यह बताना होगा कि उन्होंने ऐसे उम्मीदवार क्यों चुनें, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं.

सियासी दल उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की विस्तृत जानकारी सोशल मीडिया और अखबारों में दें.

सियासी दलों को ऐसे उम्मीदवार को चुनने के 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को अनुपालन रिपोर्ट देनी होगी, जिसके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं.

जिन उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं, उनके बारे में अगर राजनीतिक दल न्यायालय की व्यवस्था का पालन करने में असफल रहते हैं, तो चुनाव आयोग इसे शीर्ष अदालत के संज्ञान में लाए.

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उच्चतम न्यायालय ने कहा कि बीते चार आम चुनाव से राजनीति में आपराधिकरण तेजी से बढ़ा है.

अवमानना याचिका पर सुनवाई में दिया गया यह आदेश

न्यायालय ने एक अवमानना याचिका पर यह आदेश पारित किया. उस याचिका में राजनीति के अपराधीकरण का मुद्दा उठाते हुए दावा किया गया था कि सितंबर 2018 में आए शीर्ष अदालत के निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है, जिसमें सियासी दलों से अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का खुलासा करने को कहा गया था.

न्यायमूर्ति रोहिन्टन फली नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सियासी दल उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की विस्तृत जानकारी फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, क्षेत्रीय भाषा के एक अखबार और एक राष्ट्रीय अखबार में प्रकाशित करवाएं.

न्यायालय ने कहा कि सियासी दलों को ऐसे उम्मीदवार को चुनने के 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को अनुपालन रिपोर्ट देनी होगी, जिसके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं. साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा कि जिन उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं, उनके बारे में अगर राजनीतिक दल न्यायालय की व्यवस्था का पालन करने में असफल रहते हैं, तो चुनाव आयोग इसे शीर्ष अदालत के संज्ञान में लाए.

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भारतीय जनता पार्टी ने किया सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का स्वागत

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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का स्वागत करते हुए भाजपा ने कहा है कि वह पहले से ही कैंडीडेट्स के बैकग्राउंड देखकर ही टिकट देती है और एक-एक चीज पार्टी की वेबसाइट पर होती है.

Last Updated : Mar 1, 2020, 4:41 AM IST
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