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कंगना को कहे अपशब्दों पर आज संजय राउत के वकील देंगे जवाब

बंबई उच्च न्यायालय ने अभिनेत्री कंगना रनौत बीएमसी केस में शिवसेना के प्रमुख प्रवक्ता संजय राउत से जवाब मांगा है.

kangana ranaut petition
बॉम्बे हाई कोर्ट
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Published : Sep 29, 2020, 12:38 PM IST

Updated : Sep 29, 2020, 1:00 PM IST

मुंबई (महाराष्ट्र) : बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के पाली हिल के ऑफिस को गिराए जाने के मामले में उनकी याचिका पर बीते सोमवार बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई हुई थी, जिसमें कोर्ट ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे और कहा था कि बीएमसी में तब कुछ गड़बड़ चल रही थी, जब वह कथित अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने के लिए आया था. कोर्ट ने पूछा कि कंगना के दफ्तर से पहले की लिस्ट पर इस तरह की कार्रवाई क्यों नहीं की गई. वहीं सुनवाई के दौरान शिवसेना नेता संजय राउत की ऑडियो रिकॉर्डिंग कंगना रनौत के वकील ने गाली साबित करने के लिए चलाई. आज इस पर संजय राउत के वकील जवाब देंगे.

न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति आर आई चागला की पीठ ने रनौत के मामले में कहा कि बीएमसी ने कथित अवैध निर्माणों की तस्वीरें काम रोकने के नोटिस के साथ संलग्न करने और ध्वस्तीकरण करने से पहले कुछ दिन इंतजार करने की अपनी ही प्रथा का पालन नहीं किया. अदालत ने यह टिप्पणी रनौत द्वारा दायर उस रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जो उन्होंने उपनगरीय बांद्रा में पाली हिल स्थित अपने बंगले एक हिस्से को नौ सितम्बर को ढहाये जाने को चुनौती देते हुए दायर की थी.

ध्वस्तीकरण से पहले कई दिनों तक इंतजार
न्यायाधीश बीएमसी के एच वार्ड के अधिकारी भाग्यवंत लाते से सवाल कर रहे थे जो कि रिट याचिका में एक प्रतिवादी हैं और जिनके अधिकार क्षेत्र में रनौत की सम्पत्ति पड़ती है. सवाल करने के दौरान, पीठ ने कहा कि रनौत की इमारत के करीब के भवनों में समान अवैधता के मामलों में बीएमसी ने ध्वस्तीकरण से पहले कई दिनों तक इंतजार किया.

पुलिस बल की मौजूदगी में की गई कार्रवाई
अदालत ने कहा कि इसके अलावा, ज्यादातर अन्य मामलों में उसने कथित अवैध निर्माणों की तस्वीरें काम रोकने संबंधी भवन मालिकों को सौंपे गए नोटिस के साथ दी थीं और वह ऐसे प्रकरणों में अक्सर पुलिस को ऐसी कार्रवाई के लिये साथ नहीं ले जाती. पीठ ने कहा कि हालांकि रनौत के मामले में बीएमसी के पास कथित अवैध निर्माण की डिजिटल तारीख और समय के साथ कोई तस्वीर नहीं है और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई अभिनेत्री को नोटिस देने के मात्र 24 घंटे के भीतर भारी पुलिस बल की मौजूदगी में की गई.

पढ़ें: सुशांत सिंह केस : रिया और शौविक चक्रवर्ती की जमानत याचिका पर सुनवाई

पीठ ने जताई नाराजगी
न्यायाधीश ने कहा कि बीएमसी ने अपने जवाब में दावा किया कि उसने इसी तरह के एक अवैध निर्माण को आठ सितम्बर को ध्वस्त किया था. हालांकि, जब पीठ ने उससे उसकी तस्वीरों के लिए कहा तो उसने कहा कि रिकार्ड में ऐसी तस्वीरें या दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं. वार्ड अधिकारी ने यह भी कहा कि बीएमसी टीम आठ सितम्बर की ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के लिए पुलिस को साथ नहीं ले गई थी. इसपर पीठ ने नाराजगी जतायी.

पुलिस बल क्यों लेकर गया था बीएमसी
पीठ ने कहा कि श्रीमान साकरे (बीएमसी के स्थायी अधिवक्ता) यहां कुछ बहुत ही गड़बड़ है. आठ तारीख की कोई तस्वीर नहीं है. ऐसा कैसे है कि यह ध्वस्तीकरण को सिस्टम में आठ (सितम्बर) को नहीं दिखाया गया है? जब हमने फाइल के बारे में पूछा तब इसे तैयार किया गया. क्या कोई जवाब है? पीठ ने यह भी पूछा कि बीएमसी नौ सितम्बर को रनौत का बंगला ध्वस्त करने के लिए इतनी अधिक संख्या में पुलिस बल क्यों लेकर गया था. इस पर लाते ने कहा कि रनौत का मामला नाजुक था.

बीएमसी की कार्रवाई पर उठे सवाल
पीठ ने सवाल किया कि नाजुक मामलों की परिभाषा क्या है? क्या सेलिब्रिटी के मामले नाजुक हो जाते हैं? रनौत के वकील डॉ. बीरेंद्र सराफ ने अभिनेत्री के बंगले पर बीएमसी की कार्रवाई पर सवाल उठाये. सराफ ने कहा कि जिस तरह से बीएमसी की पूरी टीम सात सितम्बर को काम रोको नोटिस के लिए जुट गई और उसके बाद रनौत के उस पर जवाब को खारिज कर दिया गया और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई, दस्तावेजों में विसंगति आदि यह दिखाता है कि कार्रवाई दुर्भावना से भरी हुई थी.

दो करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति की मांग
सराफ ने अदालत से आग्रह किया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि रनौत की सम्पत्ति को हुई क्षति का आकलन एक विशेषज्ञ व्यक्ति द्वारा किया जाए और उसके बाद उसके लिए एक उचित मुआवजे पर निर्णय किया जाए. रनौत ने अपनी अर्जी में बीमएसी और उसके अधिकारियों से दो करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति की मांग की है.

रिट याचिका में प्रतिवादी हैं शिवसेना सांसद
दिन में सुनवायी के दौरान सराफ ने एक साक्षात्कार की क्लिप भी चलायी जिसमें राउत ने कहा था कि रनौत को एक सबक सिखाया जाना चाहिए. शिवसेना सांसद भी रिट याचिका में एक प्रतिवादी हैं. राउत के वकील प्रदीप थोराट ने तर्क दिया कि पूरे साक्षात्कार में शिवसेना नेता ने रनौत का नाम नहीं लिया था.

पढ़ें: सोशल मीडिया पर महिलाओं से अभद्रता पर कड़ी कार्रवाई करेगी केरल सरकार

कथित टिप्पणी का जिक्र
अदालत ने साक्षात्कार में राउत द्वारा की गई कथित टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि यदि आपका यह रुख है कि आपने (ऑडियो में) याचिकाकर्ता को अपशब्द नहीं कहा है, तो हम इसे दर्ज करेंगे. क्या हमें आपका बयान दर्ज करना चाहिए? अदालत ने राउत और रनौत दोनों के वकीलों से कहा कि वह कहने की (अदालत के समक्ष) हिम्मत करिये जो आपने ट्वीट किया है या किसी समाचार चैनल से कहा है.

बीएमसी ने आरोपों का किया खंडन
इस बीच, बीएमसी ने रनौत द्वारा दुर्भावना के लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया. बीएमसी के लिए पेश हुए वरिष्ठ वकील ए. चिनॉय ने अदालत से अपील की कि वह याचिका को खारिज करे, या रनौत को एक वाद के माध्यम से सुने, न कि एक रिट याचिका के माध्यम से. उन्होंने कहा कि एक वाद में रनौत को गवाह के तौर पर कटघरे में खड़ा होना होगा और सभी तथ्यों को स्पष्ट करना होगा.

सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ सार्वजनिक बयान
चिनॉय ने कहा कि इस याचिका को इस तरह से पेश किया जा रहा है कि जैसे एक व्यक्ति को इसलिए प्रताड़ित किया गया क्योंकि उसने सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ सार्वजनिक बयान दिये. उन्होंने कहा कि वास्तविकता थोड़ी अलग है. यह एक ऐसा मामला है, जिसमें याचिकाकर्ता ने गैरकानूनी रूप से अवैध बदलाव किए हैं.

मामले में त्वरित प्रतिक्रिया
रनौत के मामले में बीएमसी द्वारा दिखाई गई तेजी पर अदालत की पिछली टिप्पणी का उल्लेख करते हुए चिनॉय ने कहा कि मैं मानता हूं कि इस मामले में त्वरित प्रतिक्रिया हुई है, लेकिन यह कोई जवाब नहीं है (रनौत की अर्जी). आप अवैध निर्माण नहीं कर सकते.

मुंबई (महाराष्ट्र) : बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के पाली हिल के ऑफिस को गिराए जाने के मामले में उनकी याचिका पर बीते सोमवार बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई हुई थी, जिसमें कोर्ट ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे और कहा था कि बीएमसी में तब कुछ गड़बड़ चल रही थी, जब वह कथित अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने के लिए आया था. कोर्ट ने पूछा कि कंगना के दफ्तर से पहले की लिस्ट पर इस तरह की कार्रवाई क्यों नहीं की गई. वहीं सुनवाई के दौरान शिवसेना नेता संजय राउत की ऑडियो रिकॉर्डिंग कंगना रनौत के वकील ने गाली साबित करने के लिए चलाई. आज इस पर संजय राउत के वकील जवाब देंगे.

न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति आर आई चागला की पीठ ने रनौत के मामले में कहा कि बीएमसी ने कथित अवैध निर्माणों की तस्वीरें काम रोकने के नोटिस के साथ संलग्न करने और ध्वस्तीकरण करने से पहले कुछ दिन इंतजार करने की अपनी ही प्रथा का पालन नहीं किया. अदालत ने यह टिप्पणी रनौत द्वारा दायर उस रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जो उन्होंने उपनगरीय बांद्रा में पाली हिल स्थित अपने बंगले एक हिस्से को नौ सितम्बर को ढहाये जाने को चुनौती देते हुए दायर की थी.

ध्वस्तीकरण से पहले कई दिनों तक इंतजार
न्यायाधीश बीएमसी के एच वार्ड के अधिकारी भाग्यवंत लाते से सवाल कर रहे थे जो कि रिट याचिका में एक प्रतिवादी हैं और जिनके अधिकार क्षेत्र में रनौत की सम्पत्ति पड़ती है. सवाल करने के दौरान, पीठ ने कहा कि रनौत की इमारत के करीब के भवनों में समान अवैधता के मामलों में बीएमसी ने ध्वस्तीकरण से पहले कई दिनों तक इंतजार किया.

पुलिस बल की मौजूदगी में की गई कार्रवाई
अदालत ने कहा कि इसके अलावा, ज्यादातर अन्य मामलों में उसने कथित अवैध निर्माणों की तस्वीरें काम रोकने संबंधी भवन मालिकों को सौंपे गए नोटिस के साथ दी थीं और वह ऐसे प्रकरणों में अक्सर पुलिस को ऐसी कार्रवाई के लिये साथ नहीं ले जाती. पीठ ने कहा कि हालांकि रनौत के मामले में बीएमसी के पास कथित अवैध निर्माण की डिजिटल तारीख और समय के साथ कोई तस्वीर नहीं है और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई अभिनेत्री को नोटिस देने के मात्र 24 घंटे के भीतर भारी पुलिस बल की मौजूदगी में की गई.

पढ़ें: सुशांत सिंह केस : रिया और शौविक चक्रवर्ती की जमानत याचिका पर सुनवाई

पीठ ने जताई नाराजगी
न्यायाधीश ने कहा कि बीएमसी ने अपने जवाब में दावा किया कि उसने इसी तरह के एक अवैध निर्माण को आठ सितम्बर को ध्वस्त किया था. हालांकि, जब पीठ ने उससे उसकी तस्वीरों के लिए कहा तो उसने कहा कि रिकार्ड में ऐसी तस्वीरें या दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं. वार्ड अधिकारी ने यह भी कहा कि बीएमसी टीम आठ सितम्बर की ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के लिए पुलिस को साथ नहीं ले गई थी. इसपर पीठ ने नाराजगी जतायी.

पुलिस बल क्यों लेकर गया था बीएमसी
पीठ ने कहा कि श्रीमान साकरे (बीएमसी के स्थायी अधिवक्ता) यहां कुछ बहुत ही गड़बड़ है. आठ तारीख की कोई तस्वीर नहीं है. ऐसा कैसे है कि यह ध्वस्तीकरण को सिस्टम में आठ (सितम्बर) को नहीं दिखाया गया है? जब हमने फाइल के बारे में पूछा तब इसे तैयार किया गया. क्या कोई जवाब है? पीठ ने यह भी पूछा कि बीएमसी नौ सितम्बर को रनौत का बंगला ध्वस्त करने के लिए इतनी अधिक संख्या में पुलिस बल क्यों लेकर गया था. इस पर लाते ने कहा कि रनौत का मामला नाजुक था.

बीएमसी की कार्रवाई पर उठे सवाल
पीठ ने सवाल किया कि नाजुक मामलों की परिभाषा क्या है? क्या सेलिब्रिटी के मामले नाजुक हो जाते हैं? रनौत के वकील डॉ. बीरेंद्र सराफ ने अभिनेत्री के बंगले पर बीएमसी की कार्रवाई पर सवाल उठाये. सराफ ने कहा कि जिस तरह से बीएमसी की पूरी टीम सात सितम्बर को काम रोको नोटिस के लिए जुट गई और उसके बाद रनौत के उस पर जवाब को खारिज कर दिया गया और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई, दस्तावेजों में विसंगति आदि यह दिखाता है कि कार्रवाई दुर्भावना से भरी हुई थी.

दो करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति की मांग
सराफ ने अदालत से आग्रह किया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि रनौत की सम्पत्ति को हुई क्षति का आकलन एक विशेषज्ञ व्यक्ति द्वारा किया जाए और उसके बाद उसके लिए एक उचित मुआवजे पर निर्णय किया जाए. रनौत ने अपनी अर्जी में बीमएसी और उसके अधिकारियों से दो करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति की मांग की है.

रिट याचिका में प्रतिवादी हैं शिवसेना सांसद
दिन में सुनवायी के दौरान सराफ ने एक साक्षात्कार की क्लिप भी चलायी जिसमें राउत ने कहा था कि रनौत को एक सबक सिखाया जाना चाहिए. शिवसेना सांसद भी रिट याचिका में एक प्रतिवादी हैं. राउत के वकील प्रदीप थोराट ने तर्क दिया कि पूरे साक्षात्कार में शिवसेना नेता ने रनौत का नाम नहीं लिया था.

पढ़ें: सोशल मीडिया पर महिलाओं से अभद्रता पर कड़ी कार्रवाई करेगी केरल सरकार

कथित टिप्पणी का जिक्र
अदालत ने साक्षात्कार में राउत द्वारा की गई कथित टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि यदि आपका यह रुख है कि आपने (ऑडियो में) याचिकाकर्ता को अपशब्द नहीं कहा है, तो हम इसे दर्ज करेंगे. क्या हमें आपका बयान दर्ज करना चाहिए? अदालत ने राउत और रनौत दोनों के वकीलों से कहा कि वह कहने की (अदालत के समक्ष) हिम्मत करिये जो आपने ट्वीट किया है या किसी समाचार चैनल से कहा है.

बीएमसी ने आरोपों का किया खंडन
इस बीच, बीएमसी ने रनौत द्वारा दुर्भावना के लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया. बीएमसी के लिए पेश हुए वरिष्ठ वकील ए. चिनॉय ने अदालत से अपील की कि वह याचिका को खारिज करे, या रनौत को एक वाद के माध्यम से सुने, न कि एक रिट याचिका के माध्यम से. उन्होंने कहा कि एक वाद में रनौत को गवाह के तौर पर कटघरे में खड़ा होना होगा और सभी तथ्यों को स्पष्ट करना होगा.

सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ सार्वजनिक बयान
चिनॉय ने कहा कि इस याचिका को इस तरह से पेश किया जा रहा है कि जैसे एक व्यक्ति को इसलिए प्रताड़ित किया गया क्योंकि उसने सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ सार्वजनिक बयान दिये. उन्होंने कहा कि वास्तविकता थोड़ी अलग है. यह एक ऐसा मामला है, जिसमें याचिकाकर्ता ने गैरकानूनी रूप से अवैध बदलाव किए हैं.

मामले में त्वरित प्रतिक्रिया
रनौत के मामले में बीएमसी द्वारा दिखाई गई तेजी पर अदालत की पिछली टिप्पणी का उल्लेख करते हुए चिनॉय ने कहा कि मैं मानता हूं कि इस मामले में त्वरित प्रतिक्रिया हुई है, लेकिन यह कोई जवाब नहीं है (रनौत की अर्जी). आप अवैध निर्माण नहीं कर सकते.

Last Updated : Sep 29, 2020, 1:00 PM IST
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