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छत्तीसगढ़ के मंदिर में अखबार की पूजा, 1947 में इसी से मिली थी आजादी की खबर

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Published : Jun 24, 2019, 9:58 PM IST

आपने भगवान का मंदिर देखा होगा. इंसान का मंदिर देखा होगा. जानवरों का मंदिर देखा होगा. शैतान का भी मंदिर देखा होगा पर क्या आपने कभी अखबार का मंदिर देखा है, नहीं तो आज हम आपको अखबार के मंदिर के दर्शन कराएंगे. पढ़ें पूरी खबर....

अखबार की पूजा करते लोग

रायपुर: छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में एक ऐसा मंदिर है, जहां लोग भगवान की नहीं अखबार की पूजा करते हैं. सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन धमतरी में ऐसा एक मंदिर है जहां अखबार की पूजा की जाती है. अब आप सोच रहे होंगे की अखबार में ऐसा क्या है कि लोग इसकी पूजा कर रहे हैं.

दरअसल, यह कोई मामूली अखबार नहीं है. ये 15 अगस्त 1947 को छपा अखबार है. जो यहां एक महीने बाद पहुंचा, जिसके बाद यहां के लोगों को पता चला कि उनका देश आजाद हो गया है.

यहां के ग्रामीणों को आजादी की खबर किसी जश्न से कम नहीं लगी. ग्रामीणों को ये संदेश देने वाला अखबार भी भगवान के दूत जैसा लगा, जिसके बाद यहां के लोगों ने इस अखबार को सहेज कर रखने की सोची.

अखबार की पूजा करते लोग.

15 अगस्त और 26 जनवरी को लगता है मेला
आजादी की खबर यहां के ग्रामीणों को एक दिव्य स्वप्न जैसा लगा. बाद में यहां के ग्रामीणों ने तय किया कि वे उस अखबार की पूजा करेंगे, जिसने उन्हें जिंदगी का सार दिया है, जिसने उन्हें आजादी का समाचार दिया है. ग्रामीणों की इच्छा पर 1990 में यहां एक मंदिर का निर्माण कराया गया. जिसमें उस अखबार को भगवान की उपाधि दी गई और तब से यहां हर 26 जनवरी और 15 अगस्त को आजादी का मेला लगने लगा, जो आज भी बदस्तूर जारी है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में एक ऐसा मंदिर है, जहां लोग भगवान की नहीं अखबार की पूजा करते हैं. सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन धमतरी में ऐसा एक मंदिर है जहां अखबार की पूजा की जाती है. अब आप सोच रहे होंगे की अखबार में ऐसा क्या है कि लोग इसकी पूजा कर रहे हैं.

दरअसल, यह कोई मामूली अखबार नहीं है. ये 15 अगस्त 1947 को छपा अखबार है. जो यहां एक महीने बाद पहुंचा, जिसके बाद यहां के लोगों को पता चला कि उनका देश आजाद हो गया है.

यहां के ग्रामीणों को आजादी की खबर किसी जश्न से कम नहीं लगी. ग्रामीणों को ये संदेश देने वाला अखबार भी भगवान के दूत जैसा लगा, जिसके बाद यहां के लोगों ने इस अखबार को सहेज कर रखने की सोची.

अखबार की पूजा करते लोग.

15 अगस्त और 26 जनवरी को लगता है मेला
आजादी की खबर यहां के ग्रामीणों को एक दिव्य स्वप्न जैसा लगा. बाद में यहां के ग्रामीणों ने तय किया कि वे उस अखबार की पूजा करेंगे, जिसने उन्हें जिंदगी का सार दिया है, जिसने उन्हें आजादी का समाचार दिया है. ग्रामीणों की इच्छा पर 1990 में यहां एक मंदिर का निर्माण कराया गया. जिसमें उस अखबार को भगवान की उपाधि दी गई और तब से यहां हर 26 जनवरी और 15 अगस्त को आजादी का मेला लगने लगा, जो आज भी बदस्तूर जारी है.

Intro:प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अजय चंद्राकर अपनी धर्मपत्नी प्रतिमा चंद्राकर के साथ कुरुद के शासकीय गर्ल्स स्कूल बूथ क्रमांक 175 पहुंचकर अपने मताधिकार का उपयोग किया.इस दौरान उन्होंने लोगों से मतदान के महापर्व में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील किया है.Body:कांग्रेस का जादू उतर गया है 100 दिन में कांग्रेस की सांसे फुल गई है.पूरी जनता और पूरा देश मोदी जी को फिर से प्रधानमंत्री बनाना चाहता है.आज मतदाताओं में जो उत्साह दिखाई दिया है वह नए भारत के निर्माण का एक संकेत है.उन्होंने कहा कि लोगों ने नरेंद्र मोदी को चुन लिया है.हम मेहनत कर रहे हैं कि अधिक से अधिक वोटिंग हो.उन्होंने कहा कि मोदी जी देश के लिए अपरिहार्य है.भारत को महान राष्ट्र बनाना है और मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाना है.कांग्रेस के सारे मुद्दे पिट गए है.कांग्रेस फर्जी ऋण माफी के ज़रिए चुनाव जीतने चले थे लेकिन हमने जनता को समझाने में कामयाब हुए है.उन्होंने कहा कि वोट लेने के लिए कांग्रेस कुछ भी घोषणा कर देती है गंगाजल पीके कसम खा लेते है लेकिन सही बात कुछ और है जबकि चरित्र कुछ और है.

रामेश्वर मरकाम धमतरीConclusion:
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