पटना: लगभग एक महीने हो चुके हैं. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के चुनाव प्रचार को शुरू हुए, लेकिन कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी ने चुनावी राज्य में अभी एक भी जनसभा नहीं की है. महागठबंधन के हिस्से के रूप में कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. राजद 144 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है और शेष 29 सीटें वाम दलों के भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) के बीच विभाजित हैं.
लालू-राबड़ी शासन के 15 वर्षों में कांग्रेस ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
कांग्रेस ने लालू-राबड़ी शासन के 15 वर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उन दिनों बिहार में जो कुछ भी हुआ उसके लिए कांग्रेस समान रूप से जिम्मेदार है. इसी तरह बिहार में महागठबंधन का हिस्सा होने के नाते कांग्रेस नेता राहुल गांधी का यह कर्तव्य है कि वे महागठबंधन के उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार करने के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं. हालांकि, राहुल गांधी बिहार के चुनाव अभियान को भूलकर कोविद -19 की समीक्षा बैठक में भाग लेने के लिए वायनाड (केरल) में व्यस्त रहना चुना है. अब जब बिहार में चुनाव अभियान शिखर पर पहुंच गया है तो राहुल अंततः 23 अक्टूबर को बिहार आ रहे हैं. वे दो जनसभाओं को संबोधित करने वाले हैं, एक हिसुआ में और दूसरा कहलगांव विधानसभा क्षेत्र में जो क्रमश: नवादा और भागलपुर जिले में हैं.
तेजस्वी प्रसाद यादव की ज्यादा मांग
दिलचस्प बात यह है कि राहुल गांधी के बजाय महागठबंधन के सीएम चेहरा राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव की ज्यादा मांग है. राहुल के बारे में अंधविश्वास है कि वह जहां भी चुनाव प्रचार करते हैं किस्मत उनके उम्मीदवारों के पक्ष में नहीं रहती है. यही कारण है कि उम्मीदवार अपने अभियानों को लेकर संशय में हैं और चाहते हैं कि तेजस्वी उनकी उम्मीदवारी के समर्थन में जनसभाएं करें.
तेजस्वी ने एक सप्ताह में 70 से अधिक जनसभाओं को किया संबोधित
तेजस्वी ने पिछले एक सप्ताह में 70 से अधिक जनसभाओं को संबोधित किया है. केंद्र में विपक्ष का पीएम चेहरा होने के नाते राहुल की उपस्थिति भी महत्वपूर्ण है, लेकिन निश्चित रूप से उनकी यात्रा में अब देर हो गई है. हालांकि, कांग्रेस नेता के पास राहुल गांधी के देर से आने के पीछे तर्क है और इस बयान का दृढ़ता से बचाव किया है. कांग्रेस के एमएलसी प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि मैं इस तर्क से सहमत नहीं हूं क्योंकि पहले चरण के मतदान के लिए अभी पांच दिन शेष हैं और बड़े केंद्रीय नेता हमेशा इसी समय राज्य का दौरा करते हैं. कांग्रेस नेता मिश्रा ने कहा कि हमारे अन्य नेता पहले से ही बिहार में चुनाव प्रचार कर रहे हैं और यह भी नहीं भूलें कि प्रधानमंत्री आज ही चुनाव प्रचार करने आ रहे हैं.
केंद्रीय नेतृत्व की दो जनसभाएं करने का फैसला
महागठबंधन में केवल 'वन मैन आर्मी' के रूप में शो का नेतृत्व करने वाले तेजस्वी के बारे में पूछे जाने पर मिश्रा ने आगे कहा कि महागठबंधन में नेतृत्व राजद का है, इसलिए जाहिर है कि वह आगे होगा. हमने प्रत्येक मतदान से पहले ही सभी केंद्रीय नेतृत्व की दो जनसभाएं करने का फैसला किया है. यह आवश्यक नहीं है कि राहुल बिहार चुनाव के लिए राज्य में डेरा डाले हों. राज्य के नेता चुनाव लड़ रहे हैं, राहुल नहीं. उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि रणदीप सिंह सुरजेवाला जैसे केंद्रीय नेता पहले से ही बिहार में डेरा डाले हुए हैं और चुनाव के सारे इंतजाम की देखरेख कर रहे हैं. मिश्रा ने कहा कि छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल, राज बब्बर पहले ही आ चुके हैं और सलमान खुर्शीद भी आने वाले हैं.
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पीएम मोदी 12 जनसभाओं को करेंगे संबोधित
जहां तक राजद शासन में कांग्रेस की भूमिका का सवाल है, तो ये नीतीश थे, जिन्होंने राजद के शासनकाल में पहली बार भूमिका निभाई थी. वर्ष 2000 से 2005 तक पांच वर्षों के शासन में हमारी भूमिका थी. अगर कोई कहता है कि पहला शासनकाल खराब था, तो नीतीश कुमार हैं जिन्होंने उसकी नींव रखी कांग्रेस ने नहीं. 1992 से 1994 तक नीतीश लालूजी के साथ थे और उनके नेतृत्व में काम किया. कुल मिलाकर राहुल बिहार में छह जनसभाओं को संबोधित करेंगे जबकि पीएम नरेंद्र मोदी शुक्रवार को 12 जनसभाओं को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री भागलपुर से अपनी रैली की शुरुआत करेंगे. दिलचस्प बात यह है कि तेजस्वी और राहुल हिसुआ में एक साथ मंच साझा करेंगे जहां 28 अक्टूबर 2020 को मतदान होगा.