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मामूली चूक से खुला अग्नि मिसाइल के गुप्त ठिकाने का राज

जानिए कैसे हार्वर्ड विश्वविद्यालय के दो शोधकर्ताओं ने भारत की परमाणु सक्षम अग्नि-2 और अग्नि-3 मिसाइल के गुप्त ठिकानों का पता लगा लिया. मिसाइल बेस का पता लगाने में सबसे महत्वपूर्ण जानकारी थी मिसाइल ईकाई में तैनात एक भारतीय सेना के अधिकारी का अपना पता बदलना. पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरुआ की यह विशेष रिपोर्ट...

secret location of agni missile
अग्नि मिसाइल के सीक्रेट लोकेशन का पता लगाया
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Published : Jun 9, 2020, 8:54 PM IST

Updated : Jun 10, 2020, 7:13 AM IST

नई दिल्ली : भारतीय सेना के एक अधिकारी के पते में परिवर्तन होने से हार्वर्ड विश्वविद्यालय के दो शोधकर्ताओं को भारत के परमाणु सक्षम अग्नि-2 और अग्नि-3 मिसाइल के असम में रखे गए गुप्त ठिकानों का पता चल गया. भारत में भी अधिकांश देशों की तरह रणनीतिक मिसाइल के ठिकानों को गुप्त रखा जाता है.

हाल ही में 2020 के एक शोध पत्र 'द स्ट्रैटेजिक पोस्चर्स ऑफ चाइना एंड इंडिया' में हार्वर्ड कैनेडी स्कूल के दो शोधकर्ताओं फ्रैंक ओडोनेल और एलेक्स बोलफ्रैस ने लिखा था कि उन्होंने बांग्लादेशी और पाकिस्तानी सैन्य डेटा, मीडिया रिपोर्ट्स का उपयोग करते हुए अग्नि-2 और अग्नि-3 मिसाइल के बेस लोकेशन का पता करने की योजना बनाई थी. इसमें सबसे महत्वपूर्ण था मिसाइल ईकाई में तैनात एक भारतीय सेना के अधिकारी का अपना पता बदलना. सेना के अधिकारी ने अपना पता बदलकर मध्य असम का नागांव कर दिया और 2017 तक वहीं रहा.

पेपर कहता है: 'असम में अग्नि-2 और अग्नि-3 की पूर्वोत्तर मिसाइल बेस लोकेशन का पता लगाने में बहुत सारे स्रोतों की मदद ली गई है. अग्नि-2 को संचालित करने वाला भारतीय सेना का के-3341 मिसाइल समूह बांग्लादेश और पाकिस्तानी सैन्य आंकड़ों के जरिए पहचाना गया. यह पहचान और पुख्ता हो गई, जब के-3341 मिसाइल समूह के एक सैन्य अधिकारी ने ऑनलाइन ओपन सोर्स के जरिए अपना पता बदलकर असम कर दिया.

अग्नि मिसाइल के सीक्रेट लोकेशन का पता लगाया
अग्नि-3 मिसाइल

अधिकारी के 2011 में अपना पता बदलने के अलावा, वर्ष 2010 में चल रही मीडिया की खबरें भी महत्वपूर्ण थीं, जिसमें कहा गया था कि सरकार पूर्वोत्तर भारत में अग्नि-2 को तैनात करने पर विचार कर रही थी और रक्षा मंत्रालय को मिलिट्री बेस बनाने के लिए भूमि का अधिग्रहण करना चाहती थी, ताकि वह चीन के पश्चिम, मध्य और दक्षिणी हिस्से को निशाना बना सके.

अग्नि-3 के लिए रक्षा मंत्रालय की दो रिपोर्टों ने शोधकर्ताओं का ध्यान खींचा. रिपोर्ट में एक भारतीय सेना के प्रवक्ता ने टिप्पणी की थी कि अग्नि-3 के साथ भारत चीन के शंघाई को निशाना बना सकता है, लेकिन इसके लिए अग्नि-3 को भारत के पूर्वोत्तर छोर से लॉन्च करने की आवश्यकता होगी. दूसरी खबर एक और संकेत थी. रिपोर्ट 2014 में रक्षा मंत्रालय का बयान था कि अग्नि-3 'सशस्त्र बलों के शस्त्रागार में' है.

अग्नि मिसाइल के सीक्रेट लोकेशन का पता लगाया
अग्नि मिसाइल

यह तथ्य और भारतीय सैन्य प्रवृत्ति, जिसमें वह अलग-अलग प्रकार की मिसाइलों को एक ही स्थान पर संयुक्त रूप में रखते हैं, (जैसा कि कैम्पटी और सिकंदराबाद में है.) इससे भी अग्नि-3 के सीक्रेट लोकेशन को पता करने में मदद मिली. यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि चीन और पाकिस्तान को निशाना बनाने के लिए असम एक परफेक्ट लोकेशन है. तब वह इस तथ्य के आस-पास हो गए कि असम के नागांव में अग्नि-2 और अग्नि-3 के ठिकाने हैं.

भारत की सामरिक नीति का मुख्य आधार हथियार हैं. अग्नि-2 की मारक क्षमता दो हजार किलो मीटर है, जबकि अग्नि-3 की अधिकतम मारक क्षमता 3,500 किलो मीटर है. अग्नि-2 एक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, जबकि अग्नि-3 मध्यवर्ती दूरी की मिसाइल है.

पूर्वी लद्दाख में दो एशियाई देश के बीच तनाव है. यह धारणा बिल्कुल गलत है कि चीन परमाणु हथियारों के मामले में भारत के मुकाबले ज्यादा सक्षम है बल्कि भारत भी पूर्ण रूप से सक्षम देश है और चीन की स्थिति कमजोर कर सकता है.

चीन का पीछे हटना सिर्फ इरादे का प्रदर्शन, विवाद का ठोस समाधान नहीं

नई दिल्ली : भारतीय सेना के एक अधिकारी के पते में परिवर्तन होने से हार्वर्ड विश्वविद्यालय के दो शोधकर्ताओं को भारत के परमाणु सक्षम अग्नि-2 और अग्नि-3 मिसाइल के असम में रखे गए गुप्त ठिकानों का पता चल गया. भारत में भी अधिकांश देशों की तरह रणनीतिक मिसाइल के ठिकानों को गुप्त रखा जाता है.

हाल ही में 2020 के एक शोध पत्र 'द स्ट्रैटेजिक पोस्चर्स ऑफ चाइना एंड इंडिया' में हार्वर्ड कैनेडी स्कूल के दो शोधकर्ताओं फ्रैंक ओडोनेल और एलेक्स बोलफ्रैस ने लिखा था कि उन्होंने बांग्लादेशी और पाकिस्तानी सैन्य डेटा, मीडिया रिपोर्ट्स का उपयोग करते हुए अग्नि-2 और अग्नि-3 मिसाइल के बेस लोकेशन का पता करने की योजना बनाई थी. इसमें सबसे महत्वपूर्ण था मिसाइल ईकाई में तैनात एक भारतीय सेना के अधिकारी का अपना पता बदलना. सेना के अधिकारी ने अपना पता बदलकर मध्य असम का नागांव कर दिया और 2017 तक वहीं रहा.

पेपर कहता है: 'असम में अग्नि-2 और अग्नि-3 की पूर्वोत्तर मिसाइल बेस लोकेशन का पता लगाने में बहुत सारे स्रोतों की मदद ली गई है. अग्नि-2 को संचालित करने वाला भारतीय सेना का के-3341 मिसाइल समूह बांग्लादेश और पाकिस्तानी सैन्य आंकड़ों के जरिए पहचाना गया. यह पहचान और पुख्ता हो गई, जब के-3341 मिसाइल समूह के एक सैन्य अधिकारी ने ऑनलाइन ओपन सोर्स के जरिए अपना पता बदलकर असम कर दिया.

अग्नि मिसाइल के सीक्रेट लोकेशन का पता लगाया
अग्नि-3 मिसाइल

अधिकारी के 2011 में अपना पता बदलने के अलावा, वर्ष 2010 में चल रही मीडिया की खबरें भी महत्वपूर्ण थीं, जिसमें कहा गया था कि सरकार पूर्वोत्तर भारत में अग्नि-2 को तैनात करने पर विचार कर रही थी और रक्षा मंत्रालय को मिलिट्री बेस बनाने के लिए भूमि का अधिग्रहण करना चाहती थी, ताकि वह चीन के पश्चिम, मध्य और दक्षिणी हिस्से को निशाना बना सके.

अग्नि-3 के लिए रक्षा मंत्रालय की दो रिपोर्टों ने शोधकर्ताओं का ध्यान खींचा. रिपोर्ट में एक भारतीय सेना के प्रवक्ता ने टिप्पणी की थी कि अग्नि-3 के साथ भारत चीन के शंघाई को निशाना बना सकता है, लेकिन इसके लिए अग्नि-3 को भारत के पूर्वोत्तर छोर से लॉन्च करने की आवश्यकता होगी. दूसरी खबर एक और संकेत थी. रिपोर्ट 2014 में रक्षा मंत्रालय का बयान था कि अग्नि-3 'सशस्त्र बलों के शस्त्रागार में' है.

अग्नि मिसाइल के सीक्रेट लोकेशन का पता लगाया
अग्नि मिसाइल

यह तथ्य और भारतीय सैन्य प्रवृत्ति, जिसमें वह अलग-अलग प्रकार की मिसाइलों को एक ही स्थान पर संयुक्त रूप में रखते हैं, (जैसा कि कैम्पटी और सिकंदराबाद में है.) इससे भी अग्नि-3 के सीक्रेट लोकेशन को पता करने में मदद मिली. यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि चीन और पाकिस्तान को निशाना बनाने के लिए असम एक परफेक्ट लोकेशन है. तब वह इस तथ्य के आस-पास हो गए कि असम के नागांव में अग्नि-2 और अग्नि-3 के ठिकाने हैं.

भारत की सामरिक नीति का मुख्य आधार हथियार हैं. अग्नि-2 की मारक क्षमता दो हजार किलो मीटर है, जबकि अग्नि-3 की अधिकतम मारक क्षमता 3,500 किलो मीटर है. अग्नि-2 एक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, जबकि अग्नि-3 मध्यवर्ती दूरी की मिसाइल है.

पूर्वी लद्दाख में दो एशियाई देश के बीच तनाव है. यह धारणा बिल्कुल गलत है कि चीन परमाणु हथियारों के मामले में भारत के मुकाबले ज्यादा सक्षम है बल्कि भारत भी पूर्ण रूप से सक्षम देश है और चीन की स्थिति कमजोर कर सकता है.

चीन का पीछे हटना सिर्फ इरादे का प्रदर्शन, विवाद का ठोस समाधान नहीं

Last Updated : Jun 10, 2020, 7:13 AM IST
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