नई दिल्ली: गूगल हमेशा खास लोगों को अलग अंदाज में याद करता है. ये अलग अंदाज डूडल बनाने का है और इस बार गूगल के डूडल में जिस खास व्यक्ति को जगह मिली है वो हैं डॉ विक्रम साराभाई. भारत के मशहूर वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की आज 100वीं वर्षगाठ है. इस मौके पर गूगल साराभाई को याद कर रहा है.
इस नीले रंग के गूगल डूडल के बीचों-बीच साराभाई का चित्र है. सारा भाई के चारों ओर नीली रात का चित्रण किया गया है. बादल, चांद, तारे और लाॉन्च होता मिसाइल इस चित्रण में नजर आ रहे हैं. इस चित्रण के जरिए अंतरिक्ष विज्ञान में साराभाई के योगदान को दर्शाया गया है. ये चित्रण मुंबई के पवन राजुर्कर ने तैयार किया है.
इस मौके पर विक्रम साराभाई को उनकी जन्मस्थली अहमदाबाद में भी याद किया गया. उनके जन्मदिन को मनाने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें इसरो अध्यक्ष के सिवन भी शामिल हुए. वहीं इसरों के ट्विटर हैंडल पर भी ट्वीट कर साराभाई के योगदान को याद किया गया है.
साराभाई को भारत के अंतरिक्ष शोध कार्य का पितामा भी माना गया है. इन्होंने ही 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुशंधान केंद्र की स्थापना की थी. लोग साराभाई की अलग-अलग छवि को याद करते हैं, कोई उन्हे अन्वेषक, कोई उद्योगपति तो कोई उन्हे अंतरिक्ष शोध का अगुवा मानता है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक थी, जिसने आने वाले दिनों में कई वैश्विक रिकॉर्ड तोड़ दिए.
साराभाई पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने भारत को चांद पर पहुंचाने का बीज बोया था. उन्होंने ही सरकार को मिशन मंगल की विशेषताएं बता कर तैयार किया. साथ ही बताया कि देश के उत्थान के लिए ये कितना जरूरी है.
तिरुवनंतपुरम में इसरों के अन्य संस्थानों के नाम साराभाई के नाम पर ही रखे गए हैं, जोकि विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर है. साराभाई की वर्षगाठ पर उन्हे राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने ट्वीट कर याद किया.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और शशि थरूर ने भी साराभाई को उनकी वर्षगाठ पर याद किया है.
कैसा रहा विक्रम साराभाई का जीवन
- इसरो की वेबसाइट के अनुसार, 12 अगस्त, 1919 को अहमदाबाद में जन्मे साराभाई अंबालाल और सरला देवी के आठ बच्चों में से एक थे.
- इंटरमीडिएट विज्ञान की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने अहमदाबाद में गुजरात कॉलेज से मैट्रिक किया.
- उसके बाद, वह इंग्लैंड चले गए और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के सेंट जॉन कॉलेज में दाखिला लिया. साराभाई तब 1940 में कैम्ब्रिज से नैचुरल साइंसेज में ट्राइपॉस प्राप्त करने गए.
- द्वितीय विश्व युद्ध के आगे बढ़ने के साथ, साराभाई भारत लौट आए और बैंगलोर में भारतीय विज्ञान संस्थान से जुड़ गए और नोबेल विजेता सी.वी. रमन के मार्गदर्शन में ब्रह्मांडीय किरणों में अनुसंधान शुरू किया.
- भारत में परमाणु विज्ञान कार्यक्रम के जनक माने जाने वाले डॉ होमी जहांगीर भाभा ने साराभाई को भारत में पहला रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन स्थापित करने में सहयोग दिया.
- यह सेंटर अरब सागर के तट पर तिरुवनंतपुरम के पास थुंबा में स्थापित किया गया क्योंकि यह भूमध्य रेखा के निकट है.
- तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) आज इसरो का बड़ा केंद्र है, जहां सैटेलाइट लॉन्च वाहनों और साउंडिंग रॉकेटों की डिजाइन और विकास गतिविधियां होती हैं और लॉन्च ऑपरेशन के लिए तैयार किया जाता है.
- विज्ञान शिक्षा में रुचि रखने वाले, साराभाई ने 1966 में अहमदाबाद में एक सामुदायिक विज्ञान केंद्र की स्थापना की. आज, केंद्र को विक्रम ए. साराभाई सामुदायिक विज्ञान केंद्र कहा जाता है.
- साराभाई को 1966 में पद्म भूषण और 1972 में पद्म विभूषण (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया था.
- भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक को श्रद्धांजलि देने के लिए, इसरो ने उनकी 100वीं जयंती पर उनके नाम पर एक पुरस्कार की घोषणा की है.
- मृणालिनी साराभाई से शादी करने वाले और प्रसिद्ध नृत्यांगना मल्लिका साराभाई के पिता विक्रम साराभाई का 30 दिसंबर, 1971 को कोवलम, तिरुवनंतपुरम में निधन हो गया.
- उनके बेटे कार्तिकेय साराभाई दुनिया के अग्रणी पर्यावरण शिक्षकों में से एक हैं. कहने की जरूरत नहीं है कि भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम उनकी उम्मीदों पर खरा उतरा है.