अहमदाबाद : विशेष सीबीआई अदालत ने इशरत जहां से संबंधित कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में तीन पुलिस अधिकारियों की उन याचिकाओं को शुक्रवार को खारिज कर दिया जिनमें उन्होंने स्वयं को आरोपमुक्त किए जाने का आग्रह किया था.
मामले में आरोपी आईपीएस अधिकारी जी एल सिंघल, सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक तरुण बरोट और उपनिरीक्षक अनानु चौधरी ने याचिका दायर कर आग्रह किया था कि उन्हें इस मामले में आरोपमुक्त किया जाना चाहिए.
आरोपमुक्ति का आग्रह करनेवाले एक अन्य आरोपी सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक जे जी परमार का हाल में निधन हो गया था.
विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश वी आर रावल ने शुक्रवार को तीनों आरोपियों को आरोपमुक्त करने से इनकार कर दिया और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को मुकदमा चलाने के लिए गुजरात सरकार से दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत स्वीकृति लेने का निर्देश दिया.
अदालत ने उल्लेख किया कि सीबीआई ने मुकदमा चलाने की स्वीकृति लेने के लिए कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की है.
इसने कहा कि जब यह स्थापित हो गया कि आरोपियों ने आधिकारक दायित्व निभाते समय कथित फर्जी मुठभेड़ को अंजाम दिया तो सीबीआई को उनपर मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक अनुमति लेनी चाहिए थी. सीबीआई को स्वीकृति लेने या इस संबंध में घोषणा करने का निर्देश दिया जाना चाहिए.
आरोपियों ने खुद को आरोपमुक्त करने का आग्रह करते हुए कहा था कि जांच एजेंसी ने सरकार से मुकदमे के लिए आवश्यक स्वीकृति नहीं ली है और इसी तरह के आधार पर पिछले साल अन्य आरोपियों को तब आरोपमुक्त कर दिया गया था जब राज्य सरकार ने सीबीआई को उनपर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया.
पिछले साल, विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व पुलिस अधिकारियों डी जी वंजारा और एन के अमीन के खिलाफ कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में कार्यवाही निरस्त कर दी थी, क्योंकि गुजरात सरकार ने उनपर मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी थी.
अदालत ने 2018 में गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक पी पी पांडेय को आरोपमुक्त कर दिया था.
अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 15 जून 2004 को गुजरात पुलिस के साथ कथित फर्जी मुठभेड़ में इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लै, अमजदअली अकबरअली राणा और जीशान जौहर मारे गए थे.
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पुलिस ने दावा किया था कि ये चारों लोग गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने की आतंकी साजिश रच रहे थे.
हालांकि, उच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच टीम ने मुठभेड़ को फर्जी करार दिया था. इसके बाद सीबीआई ने कई पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.