नई दिल्ली : कांग्रेस की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने बृहस्पतिवार को भाजपा पर कोरोना वायरस संकट के समय भी सांपदायिक बंटवारे एवं ध्रुवीकरण की राजनीति का आरोप लगाया और सरकार से आग्रह किया लॉकडाउन (बंद) के समय का उपयोग इस संकट से निपटने की कार्ययोजना एवं भविष्य की रूपरेखा तैयार करने के लिए किया जाए.
सीडब्ल्यूसी की बैठक में पारित प्रस्ताव में गरीबों के खातों में 7500 रुपये भेजने, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने, कोरोना वायरस के उपचार और रोकथाम, जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने और लोगों को आजीविका का साधन उपलब्ध कराने की मांग की गई है.
इस प्रस्ताव में कहा गया है, 'सीडब्ल्यूसी इससे चिंतित है कि जब पूरा देश कोविड-19 से मिलकर लड़ाई लड़ रहा है, तब भी भाजपा सांप्रदायिक बंटवारे की आग लगाने का प्रयत्न कर रही है. एक संगठित देश के रूप में हमें उन ताकतों को पहचानना होगा, जो ऐसे संकट में भी देश का ध्रुवीकरण करने से बाज नहीं आ रहीं.'
कांग्रेस की शीर्ष इकाई ने कहा, 'कोविड-19 के खिलाफ यह लड़ाई राज्य, जिला, शहर एवं गांव के स्तर पर लड़ी जा रही है. इसलिए यह आवश्यक है कि राज्यों को अपनी विशिष्ट स्थितियों एवं चुनौतियों के अनुरूप समाधान तैयार करने के लिए सक्षम बनाया जाए. इस लड़ाई की रणनीति हर स्थान के लिए वहां की विशेष परिस्थितियों के अनुरूप होनी चाहिए, न कि ऊपर बैठकर एक ही नीति सभी पर एक सिरे से थोपकर, जो वर्तमान में होता दिख रहा है.'
सीडब्ल्यूसी ने आग्रह किया कि केंद्र सरकार को राज्यों को इस लड़ाई में सशक्त बनाने के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता देना चाहिए, जिसकी शुरुआत जीएसटी की बकाया संपूर्ण राशि राज्यों को लौटाकर तथा उन्हें ऋण लेने के लिए ज्यादा वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान करके की जा सकती है.
उसने कहा, 'सीडब्ल्यूसी कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिए गए सुझावों को एक बार पुनः दोहराती है कि केंद्र सरकार प्रत्येक गरीब परिवार के लिए तुरंत 7,500 रुपये एवं 10 किलोग्राम खाद्यान्न (चावल या गेहूं) तथा 1 किलो दाल और चीनी प्रति व्यक्ति के हिसाब से दे, जिससे वो लॉकडाउन की अवधि में अपना गुजारा कर सकें.'
सीडब्ल्यूसी ने यह मांग भी की है कि मनरेगा को भी कार्यशील रखा जाए तथा परिवारों को मजदूरी दी जाए, जिससे वो आर्थिक अनिश्चितता के वर्तमान वातावरण का सामना कर सकें. लोगों को भूख व कुपोषण से बचाने का यही एकमात्र तरीका है.
कांग्रेस की शीर्ष इकाई ने कहा, 'जो मजदूर अपने राज्य/गांव को लौटना चाहते हैं, उन्हें स्वास्थ्य सुरक्षा के नियमों का सख्ती से पालन करते हुए यात्रा करने की अनुमति दी जाए. इस दौरान उन्हें पर्याप्त पैसा व भोजन उपलब्ध कराया जाए.'
प्रस्ताव में यह दावा भी किया गया है कि प्रधानमंत्री द्वारा घोषित आर्थिक कार्य बल ने अभी तक सरकार को कोई कार्ययोजना तक पेश नहीं की है. साथ ही अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए कोई ठोस कदम भी नहीं उठाया है.
सीडब्ल्यूसी के अनुसार कृषि गतिविधियों को लॉकडाउन से छूट दिए जाने के बावजूद, कटाई, मार्केटिंग तथा गेहूं व अन्य रबी फसलों की एमएसपी पर खरीद प्रणाली ध्वस्त हो जाने जैसी अनेक दुर्गम चुनौतियों का किसानों को सामना करना पड़ रहा है.
उसने कहा, 'सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के पुनरुद्धार के लिए सीडब्ल्यूसी की सिफारिशों पर केंद्र सरकार ने रहस्यमयी चुप्पी साध रखी है. यदि एमएसएमई को इस संकट से बचाना है, तो उन्हें कार्यशील पूंजी, ऋण मिलने का भरोसा, कर्ज पर छूट, कम ब्याज दर, नियमों में छूट एवं अपने कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए वेतन के सहयोग की आवश्यकता होगी.'
सीडब्ल्यूसी आग्रह ने किया कि कृषि एवं अन्य कर्ज के संदर्भ में ब्याज के भुगतान पर एक साल के लिए छूट दी जाए.
प्रस्ताव में भी यह कहा गया है कि स्वास्थ्यकर्मियों को पर्याप्त पीपीई उपलब्ध कराए जाए.