नई दिल्ली : विश्व मधुमेह दिवस की पूर्व संध्या पर इंडियन मेडिकल एसोसिशन ( आईएमए) ने यह बयान देकर खतरे की घंटी बजायी कि भारत में मधुमेह के कारण पिछले तीन वर्षों में तीन लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
आईएमए के एक वरिष्ठ सदस्य डॉ. रमेश कुमार दत्ता ने बुधवार को ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'यह अनुमान लगाया जाता है कि भारत में हर साल 2.5 से 3 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु मधुमेह के कारण होती है.'
दत्ता ने, जो आईएमए के वित्त सचिव भी हैं, कहा कि स्वास्थ्य से जुड़ी आदतें और जीवन शैली, फास्ट फूड की वजह से भारत में मधुमेह रोगियों की संख्या बढ़ रही है.
दत्ता ने बताया कि 2015 की रिपोर्ट के आधार पर भारत में मधुमेह के छह करोड़ 80 लाख रोगी थे. अब यह आंकड़ा बढ़ कर साढ़े 8 करोड़ से ऊपर जा पहुंचा है और 2030 तक यह आंकड़ा 10 करोड़ से अधिक हो सकता है.
उन्होंने बताया कि अब लोग फास्ट फूड खाना ज्यादा पसंद करते हैं और शारीरिक व्यायाम भी नहीं करते. इसके विपरीत लोग मोबाइल फोन में ज्यादा व्यस्त रहते हैं.
दत्ता ने आगे कहा कि अगर इस तरह का ट्रेंड जारी रहा तो मधुमेह के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती रहेगी.
एक अध्ययन से पता चला है कि भारत में मधुमेह पीड़ितों की दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है. इसके अतिरिक्त भारत में लगभग 60 लाख लोग डायबिटिक रेटिनोपैथी से पीड़ित हैं, जो व्यक्ति को अंधता की ओर ले जाती है.
एक अध्ययन में कहा गया कि मधुमेह की वजह से दिल का दौरा पड़ने की 2 से 3 गुना अधिक संभावना होती है.
दिलचस्प तो यह है कि आईएमए एक मुहिम चला रहा है, जिसके तहत लोग अधिकतम स्वास्थ्यवर्धक डाइट लें. तदनुसार, सभी डॉक्टरों को मधुमेह और अन्य जीवन शैली की बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए भोजन के वैज्ञानिक तरीकों के बारे में शिक्षित किया जाएगा.
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आईएमए के अधिकारी ने कहा कि लोगों को स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों को अपनाने और उनकी जरूरत के बारे में भी जागरूक किया जाएगा.
हाल ही में, पोर्ट ब्लेयर में हुई केंद्रीय कार्य समिति की बैठक में अच्छे भोजन पर आईएमए नीति को अपनाया गया था. नीति में भोजन की थाली विधि की सिफारिश की गई , जिसमें प्लेट के एक हिस्से में सब्जियां और फल और दूसरे हिस्से में प्रोटीन व अनाज रहता है.