नई दिल्ली : कृषि कानूनों की वापसी (Farm Laws Withdrawal) पर नरेंद्र मोदी कैबिनेट की मुहर लग गई है. केंद्रीय कैबिनेट में हुए फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर (union minister anurag thakur) ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PM Garib Kalyan Anna Yojana) को चार महीने के लिए बढ़ाने का फैसला लिया गया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बैठक में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई.
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि कैबिनेट बैठक में निर्णय किया गया है कि कोविड महामारी के चलते हुए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत देश के लगभग 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को 5 किलो गेंहू और चावल मुफ़्त में देने की योजना जो मार्च 2020 से लेकर अब तक देने का काम किया है. उसे दिसंबर से लेकर मार्च 2022 तक और 4 महीनों के लिए बढ़ाने का निर्णय लिया गया है.
अनुराग ठाकुर ने कहा कि आज कैबिनेट बैठक में कृषि कानूनों को औपचारिक रूप से वापस लेने का निर्णय लिया गया है. अगले हफ्ते में संसद की कार्यवाही शुरू होगी, वहां पर दोनों सदनों में कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा.
एक सवाल के जवाब में ठाकुर ने कहा कि संसद में भी इस कार्य (तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने) को प्राथमिकता के आधार पर लिया जायेगा. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के कार्य को हमने पूरा कर लिया है और संसद को जो करना है, उस दिशा में काम को हम सत्र के पहले हफ्ते और पहले दिन से ही आरंभ करेंगे.
ठाकुर ने हालांकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) एवं कृषि से जुड़े अन्य मुद्दों के अध्ययन करने के लिये समिति के गठन से जुड़े सवालों का जवाब नहीं दिया जिसके बारे में प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी. वहीं, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुनानक देव जी के प्रकाश पर्व पर तीनों कृषि सुधार कानून को निरस्त करने की घोषणा की थी.
उन्होंने कहा कि इस घोषणा के बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में उपरोक्त निर्णय किया जाना प्रधानमंत्री की कथनी और करनी की एकरूपता का परिचायक है.
गौरतलब है कि इन तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले करीब एक वर्ष से दिल्ली की सीमाओं पर लगभग 40 किसान संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को राष्ट्र के नाम संबोधन में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले की घोषणा की थी. इसी पृष्ठभूमि में कुछ ही दिन बाद मंत्रिमंडल ने कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक, 2021 को मंजूरी दी है.
गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर महीने में केंद्र सरकार विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून तथा आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 लाई थी.
इनके विरोध में करीब एक साल से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों की मुख्य मांग इन तीनों कानूनों को रद्द करना है. सरकार ने जहां इन कानूनों को किसानों की आय बढ़ाने वाला महत्वपूर्ण कदम बताया था वहीं किसानों ने कहा कि ये कानून उन्हें कॉरपोरेट घरानों पर आश्रित कर देंगे.
यह भी पढ़ें- पीएम ने विपक्ष पर साधा निशाना, वो UP को लूटकर नहीं थकते थे, हम काम करते नहीं थकते
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को राष्ट्र के नाम संबोधन में कृषि कानूनों के संदर्भ में कहा था कि वे देशवासियों से क्षमा मांगते हुए सच्चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहते हैं कि शायद उनकी तपस्या में ही कोई कमी रही होगी जिसके कारण दिये के प्रकाश जैसा सत्य किसान भाइयों को वो समझा नहीं पाए.
उन्होंने कहा था कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का, निरस्त करने का निर्णय लिया है. इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में हम इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे. प्रधानमंत्री ने किसानों से अपील की थी कि वे अपने-अपने घर लौटें, अपने खेत और अपने परिवार के बीच लौटें.
इस बीच, किसान संघों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत सरकार के समक्ष रखी गई अपनी छह मांगें दोहराते हुए सोमवार को कहा था कि जब तक ये मांगें पूरी नहीं हो जातीं तब तक वह आंदोलन जारी रखेगा.
एसकेएम ने यह भी कहा था कि दिल्ली की सीमाओं पर उसका आंदोलन तब तक समाप्त नहीं किया जाएगा, जब तक तीनों संबंधित कृषि कानूनों को संसद में औपचारिक तौर पर निरस्त नहीं कर दिया जाता. उनकी मांगों में लखीमपुर खीरी घटना के सिलसिले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को गिरफ्तार एवं बर्खास्त करना, किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेना तथा आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के लिये स्मारक बनाना शामिल है.
इसमें 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम, 2021' में किसानों के खिलाफ दंडात्मक प्रावधानों को हटाने की मांग भी शामिल है.
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष उच्चतम न्यायलय के आदेश के बाद इन तीन कृषि कानून को निलंबित कर दिया गया था.