पटना: सरकारी विद्यालयों में कक्षा 1 से 12वीं तक के 1 लाख से अधिक बच्चों का नामांकन रद्द कर दिया गया है. लगातार 15 दिन अनुपस्थित रहने वाले बच्चों पर कार्रवाई करते हुए स्कूल से उनका नाम काट दिया गया है. रिपोर्ट के अनुसार बच्चों के नाम काटे जाने वाले लिस्ट में सबसे ऊपर पश्चिम चंपारण और अररिया का नाम है. इन दो जिलों से सबसे ज्यादा दस-दस हजार बच्चों के नाम विद्यालय से काटे गए हैं.
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बिहार में 1 लाख से अधिक छात्रों का नाम स्कूलों से कटा: शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के आदेश पर विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है.एक जगह से अधिक जगहों पर छात्रों का नामांकन होने की वजह और नामांकन डुप्लीकेसी की परंपरा को समाप्त करने के उद्देश्य से यह कड़ा कदम उठाया गया है. जिलों से जो रिपोर्ट प्राप्त हुई है उसके अनुसार राजधानी पटना में सात हजार विद्यार्थियों के नाम काटे गए हैं. इनमें से 4000 छात्र ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों से आते हैं.
केके पाठक के फरमान पर एक्शन: मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा विभाग को जिलों से आंकड़ा मिला है. एक लाख से अधिक बच्चों के नाम 13 सितंबर तक काटे गए हैं. इस आंकड़े में चार जिलों का जिक्र नहीं है. ये आंकड़े अभी और बढ़ने की संभावना है. दरअसल 2 सितंबर 2023 को केके पाठक ने सभी जिलों के डीएम को सख्त निर्देश दिया था और पंद्रह दिनों तक स्कूल नहीं आने वाले बच्चों के नाम काटने का फरमान दिया था.
ऐसे स्टूडेंट्स पर एक्शन: इस कार्रवाई में सरकारी विद्यालयों के वैसे बच्चों के नाम काटे गए हैं, जो नामांकन डुप्लिकेसी यानि योजना का लाभ लेने के लिए एक से अधिक स्कूलों में एडमिशन लिए हुए हैं. साथ ही कई बच्चे सरकारी स्कूलों में सिर्फ एडमिशन बस नाममात्र के लिए होते हैं और तैयारी के लिए निजी स्कूलों या कोचिंग सेंटरों का रुख करते हैं.
अभिभावकों को देना होगा शपथ पत्र: वहीं विद्यालयों से जिन बच्चों का नाम काटा गया है और वह फिर पढ़ने आते हैं तो ऐसी स्थिति में अभिभावकों को शपथ पत्र देना होगा. अभिभावक लिखित रूप से देंगे कि उनका बच्चा नियमित रूप से अब स्कूल आएगा. इसके बाद बच्चे को दोबारा नामांकन दिया जाएगा अन्यथा नहीं.
क्या था केके पाठक का निर्देश ?: दरअसल केके पाठक ने निर्देश देते हुए जिले के डीईओ और सभी डीपीओ को पांच-पांच स्कूलों को अडॉप्ट करने को कहा था. साथ ही उन्होंने कहा था कि किसी डीपीओ के कार्य क्षेत्र में कोई ऐसा विद्यालय नहीं है, जहां छात्र की उपस्थिति विद्यालय में पचास फीसदी से कम है तो ऐसी स्थिति में उसे कार्यक्षेत्र के बाहर का भी विद्यालय अडॉप्ट करने के लिए दिया जाए. पदाधिकारियों को स्कूलों में जाने को कहा गया था. साथ ही केके पाठक ने साफ-साफ निर्देश दिया था कि जो छात्र तीन दिन से लगातार अनुपस्थित हैं, उसे प्रधानाध्यापक नोटिस दें. यदि कोई छात्र 15 दिन लगातार अनुपस्थित है तो उसका नामांकन रद्द कर दिया जाए.