लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में 'ईटीवी भारत' की खबर का बड़ा असर हुआ है. 'ईटीवी भारत' ने बुधवार को 'रोडवेज के अधिकारियों ने चोरी के आरोपी को ही थमा दी डीजल टैंकर की कमान' शीर्षक से खबर प्रसारित की थी. इसके बाद रोडवेज विभाग में हड़कंप मच गया. अधिकारी हरकत में आए और जिस डीजल चोरी के आरोपी को डीजल टैंकर की कमान सौंपी थी, उसे हटा दिया गया. लखनऊ परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक को उपनगरीय डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक ने पत्र भेजकर कार्रवाई की जानकारी दी है.
अब सीनियर फोरमैन कार्यालय में तैनाती
बता दें कि उपनगरीय डिपो में रोडवेज बसों में डीजल भरते समय टैंकर से डीजल चोरी कराते शिवकुमार का सीसीटीवी फुटेज सामने आया था. ईटीवी भारत ने जब खबर प्रसारित की तो दूसरे ही दिन गुरुवार को परिचालक शिवकुमार को डीजल पटल से हटाकर सीनियर फोरमैन कार्यालय में तैनात कर दिया गया. उनके स्थान पर सीनियर फोरमैन कार्यालय के बीसी हरिशंकर मिश्रा को डीजल पटल पर तैनात कर दिया गया है. सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक काशी प्रसाद ने क्षेत्रीय प्रबंधक पल्लव कुमार बोस को पत्र के माध्यम से अवगत कराया. बताया कि परिचालक शिवकुमार को लिपिकीय अभाव में डीजल पटल पर लगाया गया था. उस पटल के लिए पूर्व में वरिष्ठ लिपिक आरएस वर्मा बस स्टेशन प्रबंधक चारबाग का स्थानांतरण हुआ था, लेकिन उनकी रिलीविंग न होने के कारण लिपिकीय अभाव में काम लिया गया था.
पहले भी दी गई थी अनुशासनिक कार्रवाई की चेतावनी
पत्र में जानकारी दी गई है कि 29 दिसंबर 2020 को इस तरह का सीसीटीवी फुटेज सामने आया था, जिसमें परिचालक शिवकुमार से स्पष्टीकरण मांगा गया था, जिसके संदर्भ में पांच जनवरी 2021 को स्पष्टीकरण भी दिया था. प्रकरण के संबंध में प्राप्त रिपोर्ट, रिकॉर्ड पंजिका और स्पष्टीकरण के उत्तर से यह प्रमाणित हुआ कि अगर वाहन में गेज से अधिक डीजल भर गया था तो उसे वापस निकालकर फिर से टैंकर में डाल भी दिया गया.
इस संबंध में सीनियर फोरमैन ने इस आशय के निर्देश दिए थे कि उक्त प्रकरण एआरएम के संज्ञान में लाकर नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई करते तो इस प्रकार निगम की छवि धूमिल न होती है. पांच लीटर डीजल के संबंध में नियमानुसार कार्रवाई न करने और अपने नियंत्रक उपाधिकारी के आदेशों की अवहेलना और कार्य में लापरवाही बरतने के लिए 10 सितंबर को परिचालक शिवकुमार के खिलाफ 1000 रुपये की कटौती और भविष्य में इस प्रकार की पुनरावृत्ति होने पर अनुशासनिक कार्रवाई की चेतावनी के साथ प्रकरण समाप्त किया गया था.