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हर घर तिरंगा : अब्दुल गफ्फार रोज डेढ़ लाख झंडे बना रहे, 13 अगस्त तक एक करोड़ तिरंगा करेंगे तैयार

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Published : Aug 3, 2022, 6:18 PM IST

अब्दुल गफ्फार पुरानी दिल्ली स्थित सदर बाजार में झंडे का कारोबार करते हैं. वह पिछले 65 साल से यहां झंडे बनाने के काम में जुटे हैं. उन्होंने बताया कि हर घर तिरंगा अभियान के कारण देश में तिरंगा की डिमांड काफी बढ़ गई है. यह इमरजेंसी और अन्ना आंदोलन की डिमांड से भी अधिक है. पढ़िए ईटीवी संवाददाता अनूप शर्मा की पूरी रिपोर्ट...

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अब्दुल गफ्फार रोज डेढ़ लाख झंडे बना रहे

नई दिल्लीः आजादी के अमृत महोत्सव पर दिल्ली में उत्साह का माहौल देखने को मिल रहा है. प्रशासन की तरफ से जोर-शोर से तैयारियां की जा रही है. देश भर में तिरंगे झंडे की डिमांड भी 10 करोड़ तक पहुंच गई है. दिल्ली के सदर बाजार में झंडा के कारोबार से पिछले 60 साल से जुड़े अब्दुल गफ्फार अब तक देश भर में 65 लाख झंडे बनाकर इसकी आपूर्ति कर चुके हैं और 13 अगस्त से पहले लगभग 35 लाख झंडे और सप्लाई करने पर काम तेजी से चल रहा है. वह एक करोड़ झंडे बनाने का रिकॉर्ड बनाने जा रहे हैं. वह हर रोज तकरीबन डेढ़ लाख झंडे रोज तैयार कर रहे हैं.


आजादी के अमृत महोत्सव को बेहद खास और यादगार बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 'हर घर तिरंगा अभियान' की शुरुआत की गई है, जो 13 से 15 अगस्त के बीच पूरे देश भर में मनाया जाएगा. इसके तहत हर घर पर तिरंगा लहराया जाएगा. इस अभियान को सफल बनाने के मद्देनजर पूरे देश समेत राजधानी दिल्ली में बड़े स्तर पर तिरंगे झंडे का निर्माण करवाया जा रहा है. इससे लोगों को रोजगार भी मिला है. इस मुहिम से आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर देशवासियों के बीच में जो देशभक्ति की भावना है और भी ज्यादा प्रबल हो रही है.

अब्दुल गफ्फार रोज डेढ़ लाख झंडे बना रहे

राजधानी दिल्ली में सबसे प्रमुख बाजारों में से एक सदर बाजार के अंदर पान मंडी मार्केट में भारत हैंडलूम नाम की दुकान लगभग 65 साल पुरानी है. वहां पर अब्दुल गफ्फार के द्वारा इस बार बड़ी संख्या में तिरंगे झंडे का निर्माण करवाया जा रहा है. पिछले लगभग ढाई महीने से अब्दुल गफ्फार अपने साथियों के साथ तिरंगे झंडे का निर्माण कर रहे हैं. अब तक अब्दुल गफ्फार ने पूरे देश भर में ढाई महीने के अंदर 65 लाख से ज्यादा तिरंगे झंडे की सप्लाई कर दिया है. इनका लक्ष्य 13 अगस्त से पहले हर हालत में लगभग 35 लाख झंडे और सप्लाई करना है. यानी कि अकेले अब्दुल गफ्फार के द्वारा जो झंडे बनाए जा रहे हैं उनकी संख्या एक करोड़ है.

उनके साथ इस अभियान को पूरा करने में लगभग 1000-1200 कारीगर जुड़े हैं, जो पुरानी दिल्ली के अंदर ही अलग-अलग दुकानों पर तिरंगे झंडे बना रहे हैं. लगभग 72 वर्ष की आयु के हो चुके अब्दुल गफ्फार पिछले छह दशक यानी कि 60 साल के लंबे समय से झंडे बनाने के कारोबार से जुड़े हुए हैं. उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में तिरंगे झंडे की इस तरह की डिमांड कभी नहीं देखी. चाहे इमरजेंसी का दौर हो या फिर अन्ना हजारे का आंदोलन. दोनों ही समय झंडों की इतनी बड़ी डिमांड कभी नहीं थी.

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अब्दुल गफ्फार रोज डेढ़ लाख झंडे बना रहे
अब्दुल गफ्फार ने बताया कि हर घर तक तिरंगा अभियान के बाद तिरंगा झंडा की डिमांड काफी ज्यादा बढ़ गई है. लगातार 24 घंटे दो शिफ्ट में तिरंगा बनाने का काम चल रहा है- सुबह 10 बजे से शाम 9 बजे तक और रात 10 बजे से सुबह दस बजे तक. इस पूरे अभियान के तहत बड़े स्तर पर लोगों को रोजगार भी मिला है. तिरंगे बनाने वाले लोगों में सबसे ज्यादा 80% तक संख्या महिलाओं की है, जिन्हें घर बैठे काम मिला है. खुद अब्दुल गफ्फार के घर के 50 सदस्य भी दिन रात तिरंगे तैयार करने के काम में जुटे हुए हैं. लगभग 500 मशीनों पर तिरंगे झंडे बनाए जाने का काम किया जा रहा है, जिसमें हिंदू-मुस्लिम मिलकर काम कर रहे हैं. इसके बावजूद भी जो डिमांड है, वह बहुत मुश्किल लग रहा है.


अब्दुल गफ्फार ने बताया कि इस वक्त पूरे देश भर में सबसे ज्यादा डिमांड पॉलिस्टर और साटन के बने झंडे की है. क्योंकि इसे बनाने में थोड़ी आसान होती हैं. वहीं दूसरी तरफ खादी के कपड़े का झंडा बनाना काफी मुश्किल होता है और कपड़े की उपलब्धता भी इतनी नहीं है. पॉलिस्टर और साटन की कपड़े की सप्लाई भी पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पा रही है. गुजरात से हम लोगों ने एक लाख मीटर कपड़े का आर्डर किया था लेकिन अभी तक महज 50 हजार मीटर ही कपड़ा मिल पाया है. वहीं कपड़ा कारोबारियों ने भी 10 से 15 रुपये कीमत प्रति मीटर बढ़ा दी है. फिलहाल अभी तीन अलग-अलग साइज में तिरंगे झंडे बनाए जा रहे हैं जिनकी होलसेल कीमत 21, 31 और 51 रुपये है.

उन्होंने बताया कि हर रोज लगभग 500 फोन कॉल्स पर ऑर्डर आ रहे हैं. लेकिन उनमें से ज्यादातर लोगों के फोन अटेंड ही नहीं कर पा रहे हैं. क्योंकि पहले से जो आर्डर है उन्हें पूरा किया जा रहा है. उन सबके आर्डर पूरा होने के बाद ही नए ऑर्डर लिए जाएंगे. औसतन एक आदमी हर रोज 8 घंटे में 4 से 5000 झंडे आसानी से बना लेता है. यह मेहनत के साथ हल्की बारीकी का भी है. इस अभियान के शुरू होने के बाद रोजगार भी बढ़ा है.

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अब्दुल गफ्फार रोज डेढ़ लाख झंडे बना रहे

ये भी पढ़ेंः भारत में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई के दौरान चार महीने में सबसे कम दर्ज

उन्होंने बताया कि हर राज्य महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश आदि जगहों से बड़ी संख्या में लाखों की तादाद में झंडे के आर्डर आ रहे हैं. जिस मजदूर के पास पहले हर रोज काम नहीं हुआ करता था. उसे पिछले लगभग ढाई महीने से न सिर्फ रोजगार मिल रहा है. बल्कि जहां पहले 800 और 1000 रुपये तक कमाई होती थी. वह कमाई अब 1200 से 1500 रुपये तक हो रही है. तिरंगे झंडे के अलावा इस बार तिरंगे के रंग में रंगे आई लव इंडिया वाले लिस्ट बैंड के साथ ब्रोच भी काफी पॉपुलर हो रही है. लेकिन सबसे ज्यादा डिमांड तिरंगे झंडे की है.

नई दिल्लीः आजादी के अमृत महोत्सव पर दिल्ली में उत्साह का माहौल देखने को मिल रहा है. प्रशासन की तरफ से जोर-शोर से तैयारियां की जा रही है. देश भर में तिरंगे झंडे की डिमांड भी 10 करोड़ तक पहुंच गई है. दिल्ली के सदर बाजार में झंडा के कारोबार से पिछले 60 साल से जुड़े अब्दुल गफ्फार अब तक देश भर में 65 लाख झंडे बनाकर इसकी आपूर्ति कर चुके हैं और 13 अगस्त से पहले लगभग 35 लाख झंडे और सप्लाई करने पर काम तेजी से चल रहा है. वह एक करोड़ झंडे बनाने का रिकॉर्ड बनाने जा रहे हैं. वह हर रोज तकरीबन डेढ़ लाख झंडे रोज तैयार कर रहे हैं.


आजादी के अमृत महोत्सव को बेहद खास और यादगार बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 'हर घर तिरंगा अभियान' की शुरुआत की गई है, जो 13 से 15 अगस्त के बीच पूरे देश भर में मनाया जाएगा. इसके तहत हर घर पर तिरंगा लहराया जाएगा. इस अभियान को सफल बनाने के मद्देनजर पूरे देश समेत राजधानी दिल्ली में बड़े स्तर पर तिरंगे झंडे का निर्माण करवाया जा रहा है. इससे लोगों को रोजगार भी मिला है. इस मुहिम से आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर देशवासियों के बीच में जो देशभक्ति की भावना है और भी ज्यादा प्रबल हो रही है.

अब्दुल गफ्फार रोज डेढ़ लाख झंडे बना रहे

राजधानी दिल्ली में सबसे प्रमुख बाजारों में से एक सदर बाजार के अंदर पान मंडी मार्केट में भारत हैंडलूम नाम की दुकान लगभग 65 साल पुरानी है. वहां पर अब्दुल गफ्फार के द्वारा इस बार बड़ी संख्या में तिरंगे झंडे का निर्माण करवाया जा रहा है. पिछले लगभग ढाई महीने से अब्दुल गफ्फार अपने साथियों के साथ तिरंगे झंडे का निर्माण कर रहे हैं. अब तक अब्दुल गफ्फार ने पूरे देश भर में ढाई महीने के अंदर 65 लाख से ज्यादा तिरंगे झंडे की सप्लाई कर दिया है. इनका लक्ष्य 13 अगस्त से पहले हर हालत में लगभग 35 लाख झंडे और सप्लाई करना है. यानी कि अकेले अब्दुल गफ्फार के द्वारा जो झंडे बनाए जा रहे हैं उनकी संख्या एक करोड़ है.

उनके साथ इस अभियान को पूरा करने में लगभग 1000-1200 कारीगर जुड़े हैं, जो पुरानी दिल्ली के अंदर ही अलग-अलग दुकानों पर तिरंगे झंडे बना रहे हैं. लगभग 72 वर्ष की आयु के हो चुके अब्दुल गफ्फार पिछले छह दशक यानी कि 60 साल के लंबे समय से झंडे बनाने के कारोबार से जुड़े हुए हैं. उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में तिरंगे झंडे की इस तरह की डिमांड कभी नहीं देखी. चाहे इमरजेंसी का दौर हो या फिर अन्ना हजारे का आंदोलन. दोनों ही समय झंडों की इतनी बड़ी डिमांड कभी नहीं थी.

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अब्दुल गफ्फार रोज डेढ़ लाख झंडे बना रहे
अब्दुल गफ्फार ने बताया कि हर घर तक तिरंगा अभियान के बाद तिरंगा झंडा की डिमांड काफी ज्यादा बढ़ गई है. लगातार 24 घंटे दो शिफ्ट में तिरंगा बनाने का काम चल रहा है- सुबह 10 बजे से शाम 9 बजे तक और रात 10 बजे से सुबह दस बजे तक. इस पूरे अभियान के तहत बड़े स्तर पर लोगों को रोजगार भी मिला है. तिरंगे बनाने वाले लोगों में सबसे ज्यादा 80% तक संख्या महिलाओं की है, जिन्हें घर बैठे काम मिला है. खुद अब्दुल गफ्फार के घर के 50 सदस्य भी दिन रात तिरंगे तैयार करने के काम में जुटे हुए हैं. लगभग 500 मशीनों पर तिरंगे झंडे बनाए जाने का काम किया जा रहा है, जिसमें हिंदू-मुस्लिम मिलकर काम कर रहे हैं. इसके बावजूद भी जो डिमांड है, वह बहुत मुश्किल लग रहा है.


अब्दुल गफ्फार ने बताया कि इस वक्त पूरे देश भर में सबसे ज्यादा डिमांड पॉलिस्टर और साटन के बने झंडे की है. क्योंकि इसे बनाने में थोड़ी आसान होती हैं. वहीं दूसरी तरफ खादी के कपड़े का झंडा बनाना काफी मुश्किल होता है और कपड़े की उपलब्धता भी इतनी नहीं है. पॉलिस्टर और साटन की कपड़े की सप्लाई भी पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पा रही है. गुजरात से हम लोगों ने एक लाख मीटर कपड़े का आर्डर किया था लेकिन अभी तक महज 50 हजार मीटर ही कपड़ा मिल पाया है. वहीं कपड़ा कारोबारियों ने भी 10 से 15 रुपये कीमत प्रति मीटर बढ़ा दी है. फिलहाल अभी तीन अलग-अलग साइज में तिरंगे झंडे बनाए जा रहे हैं जिनकी होलसेल कीमत 21, 31 और 51 रुपये है.

उन्होंने बताया कि हर रोज लगभग 500 फोन कॉल्स पर ऑर्डर आ रहे हैं. लेकिन उनमें से ज्यादातर लोगों के फोन अटेंड ही नहीं कर पा रहे हैं. क्योंकि पहले से जो आर्डर है उन्हें पूरा किया जा रहा है. उन सबके आर्डर पूरा होने के बाद ही नए ऑर्डर लिए जाएंगे. औसतन एक आदमी हर रोज 8 घंटे में 4 से 5000 झंडे आसानी से बना लेता है. यह मेहनत के साथ हल्की बारीकी का भी है. इस अभियान के शुरू होने के बाद रोजगार भी बढ़ा है.

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अब्दुल गफ्फार रोज डेढ़ लाख झंडे बना रहे

ये भी पढ़ेंः भारत में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई के दौरान चार महीने में सबसे कम दर्ज

उन्होंने बताया कि हर राज्य महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश आदि जगहों से बड़ी संख्या में लाखों की तादाद में झंडे के आर्डर आ रहे हैं. जिस मजदूर के पास पहले हर रोज काम नहीं हुआ करता था. उसे पिछले लगभग ढाई महीने से न सिर्फ रोजगार मिल रहा है. बल्कि जहां पहले 800 और 1000 रुपये तक कमाई होती थी. वह कमाई अब 1200 से 1500 रुपये तक हो रही है. तिरंगे झंडे के अलावा इस बार तिरंगे के रंग में रंगे आई लव इंडिया वाले लिस्ट बैंड के साथ ब्रोच भी काफी पॉपुलर हो रही है. लेकिन सबसे ज्यादा डिमांड तिरंगे झंडे की है.

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