श्रीगंगानगर (राजस्थान) : महिला सशक्तिकरण का राष्ट्रीय उद्देश्य महिलाओं की प्रगति और उनमें आत्मविश्वास का संचार करना है. यही कारण है कि अब महिलाएं भी पुरुषों से कम नहीं रही हैं. अब महिलाएं देश के भीतर ही नहीं बल्कि सरहदों पर भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हमारी सीमाओं की सुरक्षा कर रही हैं. देखिये ये रिपोर्ट...
ये बहादुर बेटियां सीमा पर मुस्तैद हैं ताकि आप और हम अपने घरों में चैन की नींद सो सकें. ये बेटियां हैं जो किसी भी मायने में बेटों से कम नहीं हैं. देश की सीमाओं की रक्षा कर रही ये बेटियां बेहद रोमांचित हैं. बीएसएफ में शामिल होकर देश की सीमाओं की रक्षा करती इन बेटियों को इस काम में गर्व महसूस होता है.
दुष्टों का संहार करने वाली मां दुर्गा के आह्वान के लिए मंत्र का जाप किया जाता है. राक्षस महिषासुर का दमन करने के लिए मां दुर्गा की उत्पत्ति की कथा तो हमने सुनी है लेकिन वर्तमान में भी मां दुर्गा की कुछ ऐसी ही प्रतिरूप महिलाएं पड़ोसी मुल्क से रक्षा करने के लिए हाड़ कंपा देने वाली सर्दी हो या बदन को झुलसा देने वाली गर्मी, हर विपरीत मौसम में सीमा पर मुस्तैदी से डटी रहती हैं.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आपको सीमा पर तैनात कुछ ऐसी ही बीएसएफ की महिला जवानों से परिचय करा रहे हैं जो ड्यूटी के समय बॉर्डर पर मां दुर्गा, युद्ध के समय मां काली और घर में लक्ष्मी और मां शारदा की का रूप लिए हैं. देश सेवा का दायित्व अपने कंधों पर लेकर यह बेटियां कड़ी ट्रेनिंग के बाद सीमा सुरक्षा बल का अहम हिस्सा बनती हैं.
देश की सीमाओं पर अपनी ड्यूटी दे रही ये वीर बेटियां अपने आप को भाग्यशाली समझ रही हैं. तभी तो वे हजारों मील दूर पाकिस्तान से सटे अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर हमारी सीमाओ की बुलंद हौसलों के साथ रक्षा कर रही हैं.
श्रीगंगानगर जिले की भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगती सीमा चौकियों पर बीएसएफ की महिला जांबाज सिपाहियों की टोलियां सरहद की रक्षा के लिए बुलंद हौसलों के साथ पेट्रोलिंग करते अक्सर नजर आती हैं.
कड़ाके की ठंड हो या लू के थपेड़ों से बदन को झुलसा देने वाली गर्मी, तमाम विषम परिस्थितियों को हराते हुए ड्यूटी कर रही बॉर्डर की ये बहादुर बेटियां उन महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं जो खुद को कमतर आंकती हैं. श्रीगंगानगर सेक्टर की करीब 210 किलोमीटर लंबी बॉर्डर लाइन पर 50 से अधिक महिला प्रहरी और अधिकारी तैनात हैं.
पेट्रोलिंग के दौरान कई ऐसे मौके भी आए जब बॉर्डर पर घुसपैठ की कोशिश को इन महिला जवानों ने पूरे आत्मविश्वास के साथ विफल करते हुए दुश्मन को धूल चटाई है. बीएसएफ में अब महिलाओं को मौका देकर न केवल उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. बल्कि देश भक्ति की भावना भी जागृत की जा रही है. ताकि आने वाले समय में देश के लिए महिलाएं घर के चूल्हा चौके से निकलकर देश की सेवा करने में अहम योगदान देकर एक मिसाल कायम कर सकें.
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महिलाएं किसी से पीछे नहीं हैं. हर क्षेत्र में उनकी उपस्थिति काबिले तारीफ है. ऐसे में अब बीएसएफ में भर्ती होकर सीमाओं पर अपनी चौकस निगाहों से न केवल दुश्मन की हर नापाक हरकत को नाकाम कर रही हैं बल्कि महिला सशक्तिकरण को भी तेजी से मजबूती दे रही हैं. जिससे समाज की बाकी महिलाएं इन से प्रेरणा लेकर आगे आ रही हैं.
बीएसएफ की महिला प्रहरी बताती हैं कि बीएसएफ में भर्ती होकर वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर मुश्किल ड्यूटी को अंजाम दे रही हैं. ये महिला प्रहरी देश की उन महिलाओं के लिए एक मिसाल से कम नहीं हैं जो खुद को कमजोर समझकर घर की चार दिवारी से बाहर नहीं निकलना चाह्ती.
इनकी मानें तो बीएसएफ में आने से न केवल इनका सम्मान बढ़ा है बल्कि देश की सरहदों पर ड्यूटी कर दुश्मनों से भारत माता की रक्षा करने का मौका भी मिला है.