अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते परिवार के साथ शहीद हो गए थे सरदार अली खां, आज मजार पर छत भी नहीं - Brave Martyrs Story

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 14, 2024, 10:51 PM IST

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शहीद सरदार अली खां वीरता की कहानी. (Video Credit; ETV Bharat)

गोरखपुर: 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते परिवार सहित शहीद हुए सरदार अली खां की मजार को अभी तक एक मुक्कमल छत तक नहीं मिल सकी है. कोतवाली परिसर में स्थित उनकी ही पैतृक जमीन पर सभी मजारें वीरान सी दिखती हैं. इनके ही हवेली को ध्वस्त कर अंग्रेजों ने कोतवाली बना दिया था. बेगम हजरत महल के विद्रोह में यह गोरखपुर क्षेत्र में अंग्रेजों से लोहा ले रहे थे. बेगम जब लखनऊ से नेपाल की तरफ कूच की थीं तो वह भी सरदार अली के यहां रुकी थीं. कई दस्तावेज और इतिहासकार सरदार अली की शहादत की पुष्टि करते हैं. सरदार अली खां की वजह से प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गोरखपुर भी की गुलामी से मुक्त हुआ था. लेकिन उनकी मजार की स्थिति आजादी के इतने सालों बाद भी काफी दयनीय है. सरदार अली खान के पिता मुअज्जम अली खान गोरखपुर क्षेत्र में अवध कोर्ट के रिसालदार यानी कि सैनिक कमांडर और बड़े जमींदार थे. जब 1857 ई. में आजादी की ज्वाला भड़की तब गोरखपुर ने भी इस लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. आजादी के आंदोलन को धार देने के लिए सरदार अली खान ने मोहम्मद हसन और स्थानीय राजाओं को जिम्मेदारी दी. इस लड़ाई में वे अंग्रेजों के आगे झुके नहीं. इस लड़ाई में उनके परिवार के छोटे-बड़े सभी बच्चे और महिलाओं का भी कत्ल किया गया. अच्छी तालीम और तबीयत के साथ सरदार अली अपनी रणनीति में शहीद बंधू सिंह को शामिल करते थे, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है. 

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