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जल्द फेस और फिंगर प्रिंट से होगा UPI पेमेंट, पैसा रहेगा ज्यादा सुरक्षित, स्कैमर्स भी नहीं लगा सकेंगे सेंध - Online Transaction

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 9, 2024, 7:50 PM IST

UPI Payments: देश भर में विभिन्न यूपीआई प्लेटफॉर्म पर अरबों डॉलर का किया जाता है. ऐसे में कई बार लोग फ्रॉड का शिकार हो जाते हैं. हालांकि, अब इस पर लगाम कसने के लिए NPCI बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन को इंटिग्रेट करने पर विचार कर रहा है.

जल्द फेस और फिंगर प्रिंट से होगा UPI पेमेंट
जल्द फेस और फिंगर प्रिंट से होगा UPI पेमेंट (Getty Images)

नई दिल्ली: UPI पेमेंट भारत में डिजिटल लेनदेन के लिए एक आवश्यक टूल बन गया है, जो हर रोज लाखों यूजर्स को सेवा प्रदान करता है. यूपीआई की देखरेख करने वाली नेशनल पेमेंट कोर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की रिपोर्ट है कि देश भर में विभिन्न यूपीआई प्लेटफॉर्म पर अरबों डॉलर का किया जाता है. खास बात यह है कि यह ट्रांजैक्शन पूरी तरह सुक्षित होते हैं.

इतना ही नहीं जल्द ही, ये पेमेंट और भी अधिक सुरक्षित हो सकते हैं, क्योंकि एनपीसीआई NPCI सिस्टम में फेस आईडी या फिंगरप्रिंट सेंसर जैसे बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन को इंटिग्रेट करने पर विचार कर रहा है. फिलहाल एनपीसीआई इसके लिए कंपनियों से बात कर रहा है.

बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन मैथड को लागू करने पर चर्चा
हाल ही में आई रिपोर्ट्स से पता चलता है कि NPCI यूपीआई लेनदेन के लिए बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन मैथड को लागू करने के लिए कंपनियों के साथ चर्चा कर रहा है. यह कदम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से डिजिटल लेनदेन में एडिशनल फैक्टर ऑथेंटिकेशन (AFA) के लिए वैकल्पिक तरीकों का पता लगाने के लिए हाल ही में दिए गए प्रस्ताव के बाद उठाया गया है.

RBI ने दिया सुझाव
RBI ने सुझाव दिया है कि बढ़ी हुई सुरक्षा के लिए बायोमेट्रिक विकल्पों सहित पारंपरिक पिन और पासवर्ड से परे तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए. स्टार्टअप्स के साथ एनपीसीआई की मौजूदा बातचीत संभावित साझेदारी के वित्तीय और कानूनी पहलुओं पर केंद्रित है. शुरुआत में, पिन-बेस्ड और बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन दोनों तरीके यूजर्स के लिए उपलब्ध होने की उम्मीद है, जिससे लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए कई विकल्प उपलब्ध होंगे.

यह डेवलपमेंट यूजर्स को अपने स्मार्टफोन पर बायोमेट्रिक सुविधाओं का उपयोग करके UPI पेमेंट को वेरिफाई करने की अनुमति दे सकता है, जैसे कि Android डिवाइस पर फ़िंगरप्रिंट सेंसर या iPhone पर फेस आईडी.

स्कैम के मद्देनजर बायोमेट्रिक्स की ओर शिफ्टिंग
बायोमेट्रिक्स की ओर शिफ्ट करना UPI ट्रांजैक्शन से जुड़े घोटालों की बढ़ती संख्या पर चिंताओं से प्रेरित है, जहां यूजर्स को अक्सर उनके सुरक्षित पिन का उपयोग करके धोखेबाजों को पैसे भेजने के लिए धोखा दिया जाता है. UPI के आम तौर पर सुरक्षित ढांचे के बावजूद, इन घोटालों में अत्यधिक वृद्धि हुई है.

ऑनलाइन फ्रॉड को कम करने के लिए अहम कदम
यूपीआई पेमेंट के लिए बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन की शुरुआत को ऑनलाइन फ्रॉड को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि, यह सुविधा कब उपलब्ध होगी, इसकी समयसीमा अभी भी स्पष्ट नहीं है, और यह भी अनिश्चित है कि कौन से यूपीआई ऐप इसका समर्थन करेंगे.

फिलहाल मार्केट में Google Pay, PhonePe, Amazon Pay और Paytm जैसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म अग्रणी हैं, इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि जैसे-जैसे तकनीक विकसित होगी, यूजर्स के पास पिन या बायोमेट्रिक्स के बीच चयन करने का विकल्प होगा.

यह भी पढ़ें- ऑनलाइन लेन-देन का हिसाब रखता है Google Pay, आसानी से डिलीट करें ट्रांजैक्शन हिस्ट्री, फॉलो करें ये स्टेप्स

नई दिल्ली: UPI पेमेंट भारत में डिजिटल लेनदेन के लिए एक आवश्यक टूल बन गया है, जो हर रोज लाखों यूजर्स को सेवा प्रदान करता है. यूपीआई की देखरेख करने वाली नेशनल पेमेंट कोर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की रिपोर्ट है कि देश भर में विभिन्न यूपीआई प्लेटफॉर्म पर अरबों डॉलर का किया जाता है. खास बात यह है कि यह ट्रांजैक्शन पूरी तरह सुक्षित होते हैं.

इतना ही नहीं जल्द ही, ये पेमेंट और भी अधिक सुरक्षित हो सकते हैं, क्योंकि एनपीसीआई NPCI सिस्टम में फेस आईडी या फिंगरप्रिंट सेंसर जैसे बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन को इंटिग्रेट करने पर विचार कर रहा है. फिलहाल एनपीसीआई इसके लिए कंपनियों से बात कर रहा है.

बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन मैथड को लागू करने पर चर्चा
हाल ही में आई रिपोर्ट्स से पता चलता है कि NPCI यूपीआई लेनदेन के लिए बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन मैथड को लागू करने के लिए कंपनियों के साथ चर्चा कर रहा है. यह कदम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से डिजिटल लेनदेन में एडिशनल फैक्टर ऑथेंटिकेशन (AFA) के लिए वैकल्पिक तरीकों का पता लगाने के लिए हाल ही में दिए गए प्रस्ताव के बाद उठाया गया है.

RBI ने दिया सुझाव
RBI ने सुझाव दिया है कि बढ़ी हुई सुरक्षा के लिए बायोमेट्रिक विकल्पों सहित पारंपरिक पिन और पासवर्ड से परे तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए. स्टार्टअप्स के साथ एनपीसीआई की मौजूदा बातचीत संभावित साझेदारी के वित्तीय और कानूनी पहलुओं पर केंद्रित है. शुरुआत में, पिन-बेस्ड और बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन दोनों तरीके यूजर्स के लिए उपलब्ध होने की उम्मीद है, जिससे लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए कई विकल्प उपलब्ध होंगे.

यह डेवलपमेंट यूजर्स को अपने स्मार्टफोन पर बायोमेट्रिक सुविधाओं का उपयोग करके UPI पेमेंट को वेरिफाई करने की अनुमति दे सकता है, जैसे कि Android डिवाइस पर फ़िंगरप्रिंट सेंसर या iPhone पर फेस आईडी.

स्कैम के मद्देनजर बायोमेट्रिक्स की ओर शिफ्टिंग
बायोमेट्रिक्स की ओर शिफ्ट करना UPI ट्रांजैक्शन से जुड़े घोटालों की बढ़ती संख्या पर चिंताओं से प्रेरित है, जहां यूजर्स को अक्सर उनके सुरक्षित पिन का उपयोग करके धोखेबाजों को पैसे भेजने के लिए धोखा दिया जाता है. UPI के आम तौर पर सुरक्षित ढांचे के बावजूद, इन घोटालों में अत्यधिक वृद्धि हुई है.

ऑनलाइन फ्रॉड को कम करने के लिए अहम कदम
यूपीआई पेमेंट के लिए बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन की शुरुआत को ऑनलाइन फ्रॉड को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि, यह सुविधा कब उपलब्ध होगी, इसकी समयसीमा अभी भी स्पष्ट नहीं है, और यह भी अनिश्चित है कि कौन से यूपीआई ऐप इसका समर्थन करेंगे.

फिलहाल मार्केट में Google Pay, PhonePe, Amazon Pay और Paytm जैसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म अग्रणी हैं, इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि जैसे-जैसे तकनीक विकसित होगी, यूजर्स के पास पिन या बायोमेट्रिक्स के बीच चयन करने का विकल्प होगा.

यह भी पढ़ें- ऑनलाइन लेन-देन का हिसाब रखता है Google Pay, आसानी से डिलीट करें ट्रांजैक्शन हिस्ट्री, फॉलो करें ये स्टेप्स

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