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न्यूरालिंक ने पहली बार मानव मस्तिष्क में अपनी चिप प्रतिरोपित की - न्यूरालिंक मानव मस्तिष्क चिप

Neuralink put chip in human brain: मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस कंपनी 'न्यूरालिंक' ने पहली बार किसी इंसान में एक उपकरण प्रतिरोपित किया है. इसकी मदद से कई अध्ययन किए जा रहे हैं.

Neuralink has put its first chip in a human brain What could possibly go wrong
न्यूरालिंक ने पहली बार मानव मस्तिष्क में अपनी चिप प्रतिरोपित की
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By PTI

Published : Feb 4, 2024, 11:51 AM IST

मेलबर्न: अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने पिछले हफ्ते घोषणा की कि उनकी मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस कंपनी 'न्यूरालिंक' ने पहली बार किसी इंसान में एक उपकरण प्रतिरोपित किया है. कंपनी का 'प्राइम' अध्ययन 'पक्षाघात से पीड़ित लोगों के' मस्तिष्क में प्रतिरोपण का परीक्षण कर रहा है ताकि वे 'अपने विचारों से बाहरी उपकरणों को नियंत्रित कर सकें.' 'प्राइम' अध्ययन को अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने पिछले साल अनुमोदित किया था.

‘न्यूरालिंक’ को प्रयोगशाला में जानवरों के साथ दुर्व्यवहार के लिए पिछले कुछ वर्षों में जांच का सामना करना पड़ा है और कंपनी के कई अधिकारी कंपनी छोड़कर चले गए हैं. इसके बावजूद 10 साल से कम पुरानी कंपनी के लिए ‘प्राइम’ परीक्षण एक बड़ी उपलब्धि है. न्यूरालिंक की चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुई हैं. किसी उपकरण को प्रतिरोपित करना प्रतिस्पर्धियों, वित्तीय बाधाओं और नैतिक दुविधाओं से घिरी दशकों तक चलने वाली क्लिनिकल परियोजना की शुरुआत भर है.

दशकों का विकास: मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस का पहला प्रदर्शन 1963 में किया गया था. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान के दौरान तंत्रिका विज्ञानी विलियम ग्रे वाल्टर ने अपने एक मरीज के मस्तिष्क को प्रोजेक्टर से जोड़कर अपने दर्शकों को आश्चर्यचकित कर दिया था. उन्होंने उनके विचारों से अपनी प्रस्तुति की स्लाइड को आगे बढ़ाकर दिखाया.

बहरहाल, गंभीर पक्षाघात से पीड़ित मरीजों की गतिशीलता और संचार क्षमता को बहाल करने के लिए मस्तिष्क-रिकॉर्डिंग तकनीकों का उपयोग करने संबंधी खोज 2000 के दशक की शुरुआत में आरंभ हुई थी. न्यूरालिंक की तकनीक अत्याधुनिक रिकॉर्डिंग उपकरणों पर आधारित है. न्यूरालिंक द्वारा प्रतिरोपित किया जाने वाला उपकरण ‘यूटा ऐरे’ नामक अन्य उपकरण की तुलना में अधिक पतला, छोटा और कम अवरोध पैदा करने वाला है. वर्ष 2005 से उपलब्ध मौजूदा मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस में ‘यूटा ऐरे’ का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है.

प्रतिद्वंद्वी: अगली पीढ़ी के मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस का व्यावसायीकरण करने की दौड़ में न्यूरालिंक को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है और उसकी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी सिंक्रोन नामक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी है. मेलबर्न स्थित इस स्टार्ट-अप ने हाल में मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं के माध्यम से माइक्रोइलेक्ट्रोड का प्रतिरोपण किया.

इसकी मदद से पक्षाघात से पीड़ित मरीज स्मार्टफोन और टैबलेट का उपयोग करने, इंटरनेट का इस्तेमाल करने, ईमेल भेजने, वित्त प्रबंधन और ‘एक्स’ पर पोस्ट करने में सक्षम हुए. न्यूरालिंक और अन्य मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस के लिए आवश्यक विस्तृत न्यूरोसर्जरी के बजाय सिंक्रोन के उपकरण के प्रतिरोपण के लिए गर्दन में केवल एक मामूली चीरा लगाने की आवश्यकता होती है.

मरीजों का सलामती: इन प्रतिस्पर्धी माहौल ने प्राइम अध्ययन में रोगियों के कल्याण से संबंधित संभावित नैतिक मुद्दों को पैदा किया है. इन अध्ययनों के लिए उपयुक्त मरीज खोजना एक कठिन कार्य है. वर्ष 2022 में ‘सेकंड साइट मेडिकल प्रोडक्ट’ नामक कंपनी ने इन जोखिमों को उजागर किया. कंपनी ने दृष्टिहीनता के इलाज के लिए रेटिना प्रतिरोपण किया, लेकिन जब कंपनी दिवालिया हो गई, तो दुनिया भर में जिन 350 से अधिक रोगियों में अध्ययन के लिए प्रतिरोपण किया गया था, उसने उन्हें वैसे ही छोड़ दिया और इस प्रतिरोपण को हटाने का कोई रास्ता नहीं था. यदि न्यूरालिंक के उपकरण सफल होते हैं, तो वे रोगियों के जीवन को बदल देंगे लेकिन यदि कंपनी लाभ न कमा पाने के कारण परिचालन बंद कर दे तो क्या होगा? दीर्घकालिक देखभाल के लिए एक योजना आवश्यक है.

आगे क्या करना चाहिए?: मस्क और उनकी टीम को अनुसंधान की ईमानदारी और मरीजों की देखभाल के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता बनाए रखनी होगी. मरीजों के समुदायों से जुड़ने के लिए न्यूरालिंक द्वारा स्थापित की गई रोगी रजिस्ट्री सही दिशा में उठाया गया कदम है. मरीजों और उनके परिवारों को हो सकने वाला नुकसान रोकने के लिए दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता होगी.

ये भी पढ़ें- न्यूरालिंक ने इंसानों में पहले ब्रेन चिप प्रत्यारोपण की घोषणा की

मेलबर्न: अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने पिछले हफ्ते घोषणा की कि उनकी मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस कंपनी 'न्यूरालिंक' ने पहली बार किसी इंसान में एक उपकरण प्रतिरोपित किया है. कंपनी का 'प्राइम' अध्ययन 'पक्षाघात से पीड़ित लोगों के' मस्तिष्क में प्रतिरोपण का परीक्षण कर रहा है ताकि वे 'अपने विचारों से बाहरी उपकरणों को नियंत्रित कर सकें.' 'प्राइम' अध्ययन को अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने पिछले साल अनुमोदित किया था.

‘न्यूरालिंक’ को प्रयोगशाला में जानवरों के साथ दुर्व्यवहार के लिए पिछले कुछ वर्षों में जांच का सामना करना पड़ा है और कंपनी के कई अधिकारी कंपनी छोड़कर चले गए हैं. इसके बावजूद 10 साल से कम पुरानी कंपनी के लिए ‘प्राइम’ परीक्षण एक बड़ी उपलब्धि है. न्यूरालिंक की चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुई हैं. किसी उपकरण को प्रतिरोपित करना प्रतिस्पर्धियों, वित्तीय बाधाओं और नैतिक दुविधाओं से घिरी दशकों तक चलने वाली क्लिनिकल परियोजना की शुरुआत भर है.

दशकों का विकास: मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस का पहला प्रदर्शन 1963 में किया गया था. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान के दौरान तंत्रिका विज्ञानी विलियम ग्रे वाल्टर ने अपने एक मरीज के मस्तिष्क को प्रोजेक्टर से जोड़कर अपने दर्शकों को आश्चर्यचकित कर दिया था. उन्होंने उनके विचारों से अपनी प्रस्तुति की स्लाइड को आगे बढ़ाकर दिखाया.

बहरहाल, गंभीर पक्षाघात से पीड़ित मरीजों की गतिशीलता और संचार क्षमता को बहाल करने के लिए मस्तिष्क-रिकॉर्डिंग तकनीकों का उपयोग करने संबंधी खोज 2000 के दशक की शुरुआत में आरंभ हुई थी. न्यूरालिंक की तकनीक अत्याधुनिक रिकॉर्डिंग उपकरणों पर आधारित है. न्यूरालिंक द्वारा प्रतिरोपित किया जाने वाला उपकरण ‘यूटा ऐरे’ नामक अन्य उपकरण की तुलना में अधिक पतला, छोटा और कम अवरोध पैदा करने वाला है. वर्ष 2005 से उपलब्ध मौजूदा मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस में ‘यूटा ऐरे’ का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है.

प्रतिद्वंद्वी: अगली पीढ़ी के मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस का व्यावसायीकरण करने की दौड़ में न्यूरालिंक को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है और उसकी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी सिंक्रोन नामक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी है. मेलबर्न स्थित इस स्टार्ट-अप ने हाल में मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं के माध्यम से माइक्रोइलेक्ट्रोड का प्रतिरोपण किया.

इसकी मदद से पक्षाघात से पीड़ित मरीज स्मार्टफोन और टैबलेट का उपयोग करने, इंटरनेट का इस्तेमाल करने, ईमेल भेजने, वित्त प्रबंधन और ‘एक्स’ पर पोस्ट करने में सक्षम हुए. न्यूरालिंक और अन्य मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस के लिए आवश्यक विस्तृत न्यूरोसर्जरी के बजाय सिंक्रोन के उपकरण के प्रतिरोपण के लिए गर्दन में केवल एक मामूली चीरा लगाने की आवश्यकता होती है.

मरीजों का सलामती: इन प्रतिस्पर्धी माहौल ने प्राइम अध्ययन में रोगियों के कल्याण से संबंधित संभावित नैतिक मुद्दों को पैदा किया है. इन अध्ययनों के लिए उपयुक्त मरीज खोजना एक कठिन कार्य है. वर्ष 2022 में ‘सेकंड साइट मेडिकल प्रोडक्ट’ नामक कंपनी ने इन जोखिमों को उजागर किया. कंपनी ने दृष्टिहीनता के इलाज के लिए रेटिना प्रतिरोपण किया, लेकिन जब कंपनी दिवालिया हो गई, तो दुनिया भर में जिन 350 से अधिक रोगियों में अध्ययन के लिए प्रतिरोपण किया गया था, उसने उन्हें वैसे ही छोड़ दिया और इस प्रतिरोपण को हटाने का कोई रास्ता नहीं था. यदि न्यूरालिंक के उपकरण सफल होते हैं, तो वे रोगियों के जीवन को बदल देंगे लेकिन यदि कंपनी लाभ न कमा पाने के कारण परिचालन बंद कर दे तो क्या होगा? दीर्घकालिक देखभाल के लिए एक योजना आवश्यक है.

आगे क्या करना चाहिए?: मस्क और उनकी टीम को अनुसंधान की ईमानदारी और मरीजों की देखभाल के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता बनाए रखनी होगी. मरीजों के समुदायों से जुड़ने के लिए न्यूरालिंक द्वारा स्थापित की गई रोगी रजिस्ट्री सही दिशा में उठाया गया कदम है. मरीजों और उनके परिवारों को हो सकने वाला नुकसान रोकने के लिए दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता होगी.

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