हैदराबाद: Maruti Suzuki देश की सबसे बड़ी कार निर्माता और बिक्रेता कंपनी है. मारुति हर माह भारत में औसतन 1.5 लाख कारों की बिक्री करती है और इस बिक्री में सीएनजी कारों की एक बड़ी संख्या होती है. अब अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की राह पर वैकल्पिक ईंधन को आगे बढ़ाने की अपनी रणनीति के तहत, Maruti Suzuki वित्त वर्ष 2025 में 6 लाख से अधिक CNG वाहनों को बेचने की योजना बना रही है.
देश में मार्केट लीडर कही जाने वाली मारुति सुजुकी का लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष में उतने ही सीएनजी वाहन बेचने का है, जितने उसने वित्त वर्ष 2024 में बेचे हैं. अगर कंपनी अपना लक्ष्य हासिल कर लेती है, तो वह वित्त वर्ष 2024 में 4.5 लाख यूनिट से सीएनजी वाहनों की मात्रा में 30 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज करेगी.
वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही के बाद मीडिया से बात करते हुए, Maruti Suzuki के अध्यक्ष आरसी भार्गव ने कहा कि 'कंपनी पूरे मूल्य श्रृंखला में CNG की बिक्री पर जोर देना जारी रखेगी. अधिक सीएनजी कारें और एसयूवी बेचने के अलावा, कंपनी अपनी मैनुफेक्चरिंग फेसेलिटी को चलाने के लिए बिजली पैदा करने के लिए गैस का उपयोग करने पर भी विचार कर रही है.'
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि CNG वाहन बाजार वित्त वर्ष 2024 में पहली बार पांच लाख यूनिट को पार कर गया. यह बाजार मुख्य रूप से Maruti Suzuki द्वारा ही चलाया जा रहा है. समग्र बाजार में CNG वाहनों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2023 में 10 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में लगभग 15 प्रतिशत हो गई और मारुति सुजुकी के लिए, पिछले साल बेची गई हर चार कारों में से एक सीएनजी पावरट्रेन वाली कार थी.
वित्त वर्ष 2024 में सीएनजी वाहनों का कुल बाजार 6.24 लाख वाहनों की बिक्री का रहा. Maruti Suzuki ने CNG अपनाने में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज करते हुए 4.55 लाख यूनिट की बढ़ोतरी दर्ज की है. कंपनी के पास सबसे व्यापक सीएनजी उत्पाद पोर्टफोलियो है, जिसमें Alto K10 हैचबैक से लेकर Grand Vitara SUV तक एक दर्जन से अधिक मॉडल हैं. इनकी कीमत 5.74 लाख रुपये से 14.96 लाख रुपये (एक्स-शोरूम, दिल्ली) तक जाती है.
सीएनजी बाजार में मारुति सुजुकी की कुल हिस्सेदारी 73 प्रतिशत से अधिक की है. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में Tata Motors और Hyundai Motor India के भी नए उत्पादों के बाजार में शामिल होने और देश में तेजी से बढ़ते सिटी गैस वितरण के कारण सीएनजी वाहनों की पहुंच ने भी इस बदलाव का समर्थन किया है. बता दें कि भारत सरकार ने 2030 तक 10,000 सीएनजी स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य रखा था.