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IIT मद्रास और ISRO ने मिलाया हाथ, अंतरिक्ष यान और LV थर्मल प्रबंधन के अध्ययन के लिए शुरू करेंगे अनुसंधान केंद्र

आईआईटी-मद्रास ने अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण वाहनों के तापीय प्रबंधन का अध्ययन करने के लिए 'उत्कृष्टता केंद्र' शुरू करने के लिए इसरो के हाथ मिलाया.

Representational picture of LVM3 M3
एलवीएम3 एम3 का प्रतीकात्मक चित्र (फोटो - ISRO)
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By ETV Bharat Tech Team

Published : Nov 12, 2024, 11:37 AM IST

हैदराबाद: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी मद्रास) द्रव और तापीय विज्ञान पर केंद्रित एक उत्कृष्टता केंद्र बनाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ साझेदारी कर रहा है. इसरो इस केंद्र की स्थापना के लिए 1.84 करोड़ रुपये की शुरुआती फंडिंग प्रदान करेगा.

यह केंद्र इसरो के लिए एक प्रमुख अनुसंधान केंद्र के रूप में काम करेगा, जो अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण वाहनों के लिए थर्मल प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करेगा. आईआईटी मद्रास के संकाय अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए थर्मल घटकों के डिजाइन, विश्लेषण और परीक्षण में सहायता करेंगे.

इस सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर 11 नवंबर, 2024 को आईआईटी मद्रास में औद्योगिक परामर्श और प्रायोजित अनुसंधान के डीन प्रोफेसर मनु संथानम और इसरो में प्रौद्योगिकी विकास और नवाचार के निदेशक श्री विक्टर जोसेफ टी द्वारा हस्ताक्षर किए गए. आईआईटी मद्रास के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अरविंद पट्टामट्टा और दोनों संस्थानों के अन्य प्रतिनिधि हस्ताक्षर में शामिल हुए.

सहयोग के मुख्य परिणाम

  • थर्मल प्रबंधन अनुसंधान केंद्र: केंद्र अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण वाहनों से संबंधित थर्मल चुनौतियों को हल करने पर ध्यान केंद्रित करेगा.
  • वित्त पोषण: ISRO शुरू में बुनियादी ढांचे, उपकरण और भविष्य की अनुसंधान आवश्यकताओं के लिए 1.84 करोड़ रुपये प्रदान करेगा.
  • उन्नत अनुसंधान परियोजनाएं: केंद्र अंतरिक्ष यान तापीय प्रबंधन, हाइब्रिड रॉकेट में दहन अस्थिरता और क्रायोजेनिक टैंक थर्मोडायनामिक्स जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर काम करेगा.
  • उद्योग-अकादमिक सहयोग: केंद्र इसरो वैज्ञानिकों और आईआईटी मद्रास संकाय के बीच अधिक सहयोग को बढ़ावा देगा, जिससे द्रव और तापीय विज्ञान में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा.

केंद्र के परियोजना समन्वयक प्रोफेसर अरविंद पट्टामट्टा ने कहा कि "यह केंद्र इसरो और आईआईटी मद्रास के बीच एक अद्वितीय सहयोग को सुगम बनाएगा, जिससे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का समर्थन करने और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में देश की आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए थर्मल विज्ञान में संयुक्त अनुसंधान को सक्षम बनाया जा सकेगा."

आईआईटी मद्रास और इसरो ने आत्मनिर्भर अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए 1985 में 'इसरो-आईआईटी एम स्पेस टेक्नोलॉजी सेल' की स्थापना की थी. नया उत्कृष्टता केंद्र इस आधार पर काम करेगा, जो थर्मल प्रबंधन अनुसंधान और इसरो के उद्देश्यों का समर्थन करने वाले अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा.

हैदराबाद: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी मद्रास) द्रव और तापीय विज्ञान पर केंद्रित एक उत्कृष्टता केंद्र बनाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ साझेदारी कर रहा है. इसरो इस केंद्र की स्थापना के लिए 1.84 करोड़ रुपये की शुरुआती फंडिंग प्रदान करेगा.

यह केंद्र इसरो के लिए एक प्रमुख अनुसंधान केंद्र के रूप में काम करेगा, जो अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण वाहनों के लिए थर्मल प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करेगा. आईआईटी मद्रास के संकाय अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए थर्मल घटकों के डिजाइन, विश्लेषण और परीक्षण में सहायता करेंगे.

इस सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर 11 नवंबर, 2024 को आईआईटी मद्रास में औद्योगिक परामर्श और प्रायोजित अनुसंधान के डीन प्रोफेसर मनु संथानम और इसरो में प्रौद्योगिकी विकास और नवाचार के निदेशक श्री विक्टर जोसेफ टी द्वारा हस्ताक्षर किए गए. आईआईटी मद्रास के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अरविंद पट्टामट्टा और दोनों संस्थानों के अन्य प्रतिनिधि हस्ताक्षर में शामिल हुए.

सहयोग के मुख्य परिणाम

  • थर्मल प्रबंधन अनुसंधान केंद्र: केंद्र अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण वाहनों से संबंधित थर्मल चुनौतियों को हल करने पर ध्यान केंद्रित करेगा.
  • वित्त पोषण: ISRO शुरू में बुनियादी ढांचे, उपकरण और भविष्य की अनुसंधान आवश्यकताओं के लिए 1.84 करोड़ रुपये प्रदान करेगा.
  • उन्नत अनुसंधान परियोजनाएं: केंद्र अंतरिक्ष यान तापीय प्रबंधन, हाइब्रिड रॉकेट में दहन अस्थिरता और क्रायोजेनिक टैंक थर्मोडायनामिक्स जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर काम करेगा.
  • उद्योग-अकादमिक सहयोग: केंद्र इसरो वैज्ञानिकों और आईआईटी मद्रास संकाय के बीच अधिक सहयोग को बढ़ावा देगा, जिससे द्रव और तापीय विज्ञान में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा.

केंद्र के परियोजना समन्वयक प्रोफेसर अरविंद पट्टामट्टा ने कहा कि "यह केंद्र इसरो और आईआईटी मद्रास के बीच एक अद्वितीय सहयोग को सुगम बनाएगा, जिससे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का समर्थन करने और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में देश की आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए थर्मल विज्ञान में संयुक्त अनुसंधान को सक्षम बनाया जा सकेगा."

आईआईटी मद्रास और इसरो ने आत्मनिर्भर अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए 1985 में 'इसरो-आईआईटी एम स्पेस टेक्नोलॉजी सेल' की स्थापना की थी. नया उत्कृष्टता केंद्र इस आधार पर काम करेगा, जो थर्मल प्रबंधन अनुसंधान और इसरो के उद्देश्यों का समर्थन करने वाले अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा.

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