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ESA ने ISRO से मिलाया हाथ, PSLV-XL रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा Proba-3 मिशन

ISRO 4 दिसंबर को श्रीहरिकोटा से PSLV-XL रॉकेट का उपयोग करके सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने के लिए ESA के Proba-3 को प्रक्षेपित करेगा.

ESA's Proba-3 mission
ESA का Proba-3 मिशन (फोटो - European Space Agency)
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By ETV Bharat Tech Team

Published : 2 hours ago

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार को घोषणा की कि वह 4 दिसंबर को सूर्य का बहुत सटीकता से निरीक्षण करने के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) Proba-3 को लॉन्च करेगा. Proba-3 को इसरो द्वारा संचालित PSLV-XL रॉकेट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 4.08 बजे लॉन्च किया जाएगा.

Proba-3 का उद्देश्य सौर रिम के करीब सूर्य के धुंधले कोरोना का अध्ययन करना है. इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में बताया कि "PSLV-C59/Proba-03 मिशन 4 दिसंबर 2024 को 16:08 बजे SDSC SHAR, श्रीहरिकोटा से उड़ान भरने के लिए तैयार है!"

पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट दो उपग्रहों को ले जाएगा, जो एक साथ मिलकर 144 मीटर लंबा उपकरण बनाएंगे जिसे सोलर कोरोनाग्राफ के नाम से जाना जाता है. इससे वैज्ञानिकों को सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने में मदद मिलेगी जिसे सौर डिस्क की चमक के कारण देखना मुश्किल है.

जुड़वां उपग्रहों को अत्यधिक अण्डाकार कक्षा में ले जाया जाएगा, जिससे यह जोड़ी पृथ्वी से 60,000 किमी की दूरी तक पहुंच सकेगी और प्रत्येक कक्षा के दौरान 600 किमी के करीब उतर सकेगी. उच्च ऊंचाई वाली कक्षा उपग्रहों को अधिकतम ऊंचाई पर लगभग छह घंटे तक उड़ान भरने में मदद करेगी, जहां पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव कम हो जाता है, प्रणोदक की खपत कम होती है और इष्टतम स्थिति नियंत्रण की अनुमति मिलती है.

ESA ने कहा कि "दुनिया का पहला सटीक उड़ान मिशन वैज्ञानिकों को सूर्य के मायावी कोरोना का अभूतपूर्व निकटता और विस्तार से अध्ययन करने में सक्षम करेगा." ESA ने कहा कि "उपग्रहों की एक जोड़ी एक निश्चित विन्यास बनाए रखते हुए एक साथ उड़ान भरेगी, जैसे कि वे अंतरिक्ष में एक बड़ी कठोर संरचना हों, जिससे उड़ान और मिलन स्थल प्रौद्योगिकियों को सिद्ध किया जा सके."

ESA का Proba-3, 2001 में Proba-1 मिशन के बाद भारत से प्रक्षेपित होने वाला पहला मिशन होगा, जो अंतरिक्ष सहयोग को और मजबूत करेगा. Proba-3 उपग्रहों को बेल्जियम के लीज से चेन्नई हवाई अड्डे पर उतारा गया, जिसके बाद उन्हें ट्रक से श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र ले जाया गया. भारतीय अंतरिक्ष केंद्र पर मौजूद ESA की टीमें अब ISRO के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर उपग्रह को प्रक्षेपित करने के लिए तैयार करेंगी.

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार को घोषणा की कि वह 4 दिसंबर को सूर्य का बहुत सटीकता से निरीक्षण करने के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) Proba-3 को लॉन्च करेगा. Proba-3 को इसरो द्वारा संचालित PSLV-XL रॉकेट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 4.08 बजे लॉन्च किया जाएगा.

Proba-3 का उद्देश्य सौर रिम के करीब सूर्य के धुंधले कोरोना का अध्ययन करना है. इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में बताया कि "PSLV-C59/Proba-03 मिशन 4 दिसंबर 2024 को 16:08 बजे SDSC SHAR, श्रीहरिकोटा से उड़ान भरने के लिए तैयार है!"

पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट दो उपग्रहों को ले जाएगा, जो एक साथ मिलकर 144 मीटर लंबा उपकरण बनाएंगे जिसे सोलर कोरोनाग्राफ के नाम से जाना जाता है. इससे वैज्ञानिकों को सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने में मदद मिलेगी जिसे सौर डिस्क की चमक के कारण देखना मुश्किल है.

जुड़वां उपग्रहों को अत्यधिक अण्डाकार कक्षा में ले जाया जाएगा, जिससे यह जोड़ी पृथ्वी से 60,000 किमी की दूरी तक पहुंच सकेगी और प्रत्येक कक्षा के दौरान 600 किमी के करीब उतर सकेगी. उच्च ऊंचाई वाली कक्षा उपग्रहों को अधिकतम ऊंचाई पर लगभग छह घंटे तक उड़ान भरने में मदद करेगी, जहां पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव कम हो जाता है, प्रणोदक की खपत कम होती है और इष्टतम स्थिति नियंत्रण की अनुमति मिलती है.

ESA ने कहा कि "दुनिया का पहला सटीक उड़ान मिशन वैज्ञानिकों को सूर्य के मायावी कोरोना का अभूतपूर्व निकटता और विस्तार से अध्ययन करने में सक्षम करेगा." ESA ने कहा कि "उपग्रहों की एक जोड़ी एक निश्चित विन्यास बनाए रखते हुए एक साथ उड़ान भरेगी, जैसे कि वे अंतरिक्ष में एक बड़ी कठोर संरचना हों, जिससे उड़ान और मिलन स्थल प्रौद्योगिकियों को सिद्ध किया जा सके."

ESA का Proba-3, 2001 में Proba-1 मिशन के बाद भारत से प्रक्षेपित होने वाला पहला मिशन होगा, जो अंतरिक्ष सहयोग को और मजबूत करेगा. Proba-3 उपग्रहों को बेल्जियम के लीज से चेन्नई हवाई अड्डे पर उतारा गया, जिसके बाद उन्हें ट्रक से श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र ले जाया गया. भारतीय अंतरिक्ष केंद्र पर मौजूद ESA की टीमें अब ISRO के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर उपग्रह को प्रक्षेपित करने के लिए तैयार करेंगी.

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