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कस्टमर केयर के नंबर से लग सकता है चूना, साइबर ठग इस तरकीब से खाली कर रहे अकाउंट - Cyber Fraud Customer Care Number

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 11, 2024, 8:22 PM IST

मध्य प्रदेश में लोग कहीं गलती से ओटीपी तो कहीं झूठी एफआईआर के नाम पर ऑनलाइन ठगी का शिकार हो रहे हैं. समय के साथ-साथ जिस तरह टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है साइबर ठग भी वैसे ही ठगी के तरीके बदल रहे हैं. अब साइबर ठग बड़ी-बड़ी नामी कंपनियों के कस्टमर केयर के नंबर रिप्लेस कर लोगों को चूना लगा रहे हैं.

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Cyber Fraud in Gwalior : जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी लोगों पर हावी होती जा रही है. वैसे-वैसे साइबर अपराधों में भी इजाफा देखने को मिल रहा है. कभी एटीएम फ्रॉड तो कभी स्पेशल स्कीम के नाम पर भोले भले ही नहीं बल्कि पढ़े-लिखे लोग तक जालसाजों के झांसे में आ जाते हैं और अपने मेहनत की पूंजी इन साइबर ठगों के हवाले कर देते हैं. मध्यप्रदेश के ग्वालियर में साइबर ठगी के शिकारों की फेहरिस्त छोटी नहीं है. हाल ही में इन ठगों ने लोगों को निशाना बनाने के लिए नया तारीक इजाद किया है. अब साइबर ठग बड़ी-बड़ी नामी कंपनियों के कस्टमर केयर के नंबर रिप्लेस कर लोगों को चूना लगा रहे हैं.

ग्वालियर नगर निगम के डिप्टी कमिश्नर के साथ ठगी (ETV Bharat)

इंटरनेट पर ठगों ने रिप्लेस किया नंबर

जिस तरह इंटरनेट का उपयोग बढ़ा है. बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने उपभोक्ताओं की सेवा और सुविधाओं के लिए कस्टमर केयर संपर्क यानी कस्टमर केयर टोल फ्री नंबर उपलब्ध कराती हैं लेकिन साइबर ठग अब इस बात का फायदा उठाने लगे हैं. वह बड़ी-बड़ी कंपनियों के टोल फ्री नंबर के बदले इंटरनेट पर अपने मोबाइल नंबर रिप्लेस कर रहे हैं और इन नंबरों पर संपर्क करने वाले लोगों के अकाउंट खाली कर रहे हैं. ऐसी ही ठगी के शिकार ग्वालियर नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी हुए हैं.

ठगी का शिकार हुए निगम उपायुक्त

ग्वालियर नगर निगम के डिप्टी कमिश्नर डॉ प्रदीप श्रीवास्तव हाल ही में साइबर फ्रॉड का शिकार हो गए. उन्होंने अपने साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत ग्वालियर क्राइम ब्रांच से की है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक निरंजन शर्मा से मिली जानकारी के अनुसार "नगर निगम के उपायुक्त डॉ प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया है कि वह ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम का उपयोग करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने अमेजन प्राइम का मोबाइल एप्लीकेशन अपने मोबाइल में डाउनलोड किया उसके सब्सक्रिप्शन का रिचार्ज किया लेकिन जब इसके बाद भी उनके मोबाइल पर अमेजन प्राइम की सेवाएं शुरू नहीं हुई तो उन्होंने कस्टमर केयर पर संपर्क करने के लिए गूगल पर कांटेक्ट नंबर खोजा था."

कस्टमर केयर को लगाया कॉल

अमेजन प्राइम के गूगल पर मिले कस्टमर केयर नंबर पर जब उन्होंने कॉल किया तो सामने से उन्हें बताया गया कि उनका रिचार्ज ठीक से नहीं हुआ है, इसके लिए उन्हें एक मोबाइल एप्लीकेशन डाउनलोड करना होगा जिसकी लिंक उसे कस्टमर केयर के नंबर पर बात कर रहे व्यक्ति ने उपलब्ध कराई और जैसे ही उस फ़ाइल को डॉक्टर प्रदीप श्रीवास्तव ने अपने मोबाइल फोन में इंस्टॉल किया तुरंत उनका मोबाइल हैक हो गया और कुछ देर बाद उन्हें बैंक का मैसेज आया जिससे पता चला कि खाते से 47000 उड़ चुके हैं.

ठगी के बाद साइबर पुलिस से की शिकायत

नगर निगम के उपायुक्त को 47000 का चूना लगने की बात समझते ही उन्होंने तुरंत इस संबंध में ग्वालियर साइबर क्राइम ऑफिस में जाकर शिकायत दर्ज कराई और अपने साथ हुई धोखाधड़ी की पूरी जानकारी पुलिस को दी. जिसके बाद पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी हुई है. अब तक कि जानकारी में गूगल पर उपलब्ध अमेजन का कस्टमर केयर नंबर की जगह जामतारा के ठगों ने अपने फर्जी नंबर उपलब्ध करा रखे हैं. जिनके जरिये लोग उनके संपर्क में आ जाते हैं.

Apk फाइल डाऊनलोड कराकर हैक किया मोबाइल

हालांकि डॉक्टर प्रदीप श्रीवास्तव अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं है जिनके साथ यह साइबर फ्रॉड हुआ है. नगर निगम के ही कुछ और अन्य कर्मचारियों के साथ भी APK फाइल डाउनलोड करने के नाम पर ठगी हुई है पता चला है कि नगर निगम के एक व्हाट्सएप ग्रुप में एक वीडियो के रूप में एपीके फाइल भेजी गई थी और जिन लोगों ने भी इस वीडियो को डाउनलोड करने का प्रयास किया उनके मोबाइल फोन हैक हो गए और वे लोग भी ठगी का शिकार बन गए. कई कर्मचारियों के खातों से पैसे कटे हैं लेकिन नगर निगम आयुक्त की जानकारी पहुंची है.

ग्वालियर में बीते 3 महीने में हुई दो बड़ी ठगी

बता दें कि साइबर ठगों के द्वारा जालसाजी का शिकार होने वाले नगर निगम के उपायुक्त पहले व्यक्ति नहीं है, इससे पहले भी ग्वालियर के सीपी कॉलोनी में रहने वाली एक रिटायर्ड टीचर आशा भटनागर को अप्रैल में साइबर ठगों ने मुंबई क्राइम ब्रांच से होना बताकर हाउस अरेस्ट कर 51 लाख की ऑनलाइन ठगी को अंजाम दे दिया था. जिसमें उनके पूरे जीवन भर की जमा पूंजी चली गई थी और आज तक पैसा रिकवर नहीं हो सका. वहीं मई 2024 में भी एक महिला मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर सुजाता बापट को भी ठगों ने डिजिटल अरेस्ट कर 38 लाख रुपये की ठगी की थी.

पढ़े लिखे लोग सबसे ज्यादा शिकार

नगर निगम अधिकारी से जुड़ा यह मामला डिजिटल अरेस्ट का तो नहीं है लेकिन साइबर ठगों ने अब लोगों को फंसाने के लिए अपने तरीकों में बदलाव जरूर कर दिया है और पूर्व में हुई इन बड़ी वारदातों से इतना तो साफ हो चुका है कि ठग सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे लोगों को ही अपना शिकार बना रहे हैं और लोग हैं कि लगातार पुलिस विभाग द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों और अखबार और मीडिया द्वारा दी जा रही खबरों और चेतावनियों के बावजूद उनके झांसे में आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें:

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फ्रॉड से बचने इन बातों का रखें ध्यान

इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतकर आप ठगी से बच सकते हैं. सबसे पहले तो यदि कोई भी अनाधिकृत व्यक्ति या अनजान आपसे कोई ओटीपी यानी वन टाइम पासवर्ड पूछता है तो उसे बिल्कुल ना बताएं. किसी के साथ अपना एटीएम का पिन या मोबाइल का पासवर्ड शेयर ना करें. कभी भी किसी अनजान व्यक्ति द्वारा भेजी गई फोटो वीडियो अथवा किसी लिंक पर क्लिक न करें. कोई भी ऐसा सॉफ्टवेयर जो किसी अन्य व्यक्ति द्वारा भेजा गया हो बिल्कुल डाउनलोड ना करें.

जब भी आपको किसी कंपनी के कस्टमर केयर से संपर्क करना हो तो इंटरनेट पर सीधे नंबर खोजने की जगह ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं. उसे कंपनी की वेबसाइट पर उनसे संपर्क के सभी नंबर मौजूद होते हैं यदि आप ऑनलाइन शॉपिंग या किसी ओटीटी प्लेटफॉर्म का सब्सक्रिप्शन ले रहे हैं या उनसे संबंधित किसी समस्या से परेशान है तो ऐसे में संबंधित मोबाइल एप्लीकेशन में ही संपर्क का विकल्प दिया जाता है. इसलिए इंटरनेट खोजने की बजाय संबंधित एप्लीकेशन के जरिए ही कस्टमर केयर से संपर्क करें इन बातों का ध्यान रख आप अपने आप को साइबर का शिकार बनने से बच सकते हैं.

Cyber Fraud in Gwalior : जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी लोगों पर हावी होती जा रही है. वैसे-वैसे साइबर अपराधों में भी इजाफा देखने को मिल रहा है. कभी एटीएम फ्रॉड तो कभी स्पेशल स्कीम के नाम पर भोले भले ही नहीं बल्कि पढ़े-लिखे लोग तक जालसाजों के झांसे में आ जाते हैं और अपने मेहनत की पूंजी इन साइबर ठगों के हवाले कर देते हैं. मध्यप्रदेश के ग्वालियर में साइबर ठगी के शिकारों की फेहरिस्त छोटी नहीं है. हाल ही में इन ठगों ने लोगों को निशाना बनाने के लिए नया तारीक इजाद किया है. अब साइबर ठग बड़ी-बड़ी नामी कंपनियों के कस्टमर केयर के नंबर रिप्लेस कर लोगों को चूना लगा रहे हैं.

ग्वालियर नगर निगम के डिप्टी कमिश्नर के साथ ठगी (ETV Bharat)

इंटरनेट पर ठगों ने रिप्लेस किया नंबर

जिस तरह इंटरनेट का उपयोग बढ़ा है. बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने उपभोक्ताओं की सेवा और सुविधाओं के लिए कस्टमर केयर संपर्क यानी कस्टमर केयर टोल फ्री नंबर उपलब्ध कराती हैं लेकिन साइबर ठग अब इस बात का फायदा उठाने लगे हैं. वह बड़ी-बड़ी कंपनियों के टोल फ्री नंबर के बदले इंटरनेट पर अपने मोबाइल नंबर रिप्लेस कर रहे हैं और इन नंबरों पर संपर्क करने वाले लोगों के अकाउंट खाली कर रहे हैं. ऐसी ही ठगी के शिकार ग्वालियर नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी हुए हैं.

ठगी का शिकार हुए निगम उपायुक्त

ग्वालियर नगर निगम के डिप्टी कमिश्नर डॉ प्रदीप श्रीवास्तव हाल ही में साइबर फ्रॉड का शिकार हो गए. उन्होंने अपने साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत ग्वालियर क्राइम ब्रांच से की है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक निरंजन शर्मा से मिली जानकारी के अनुसार "नगर निगम के उपायुक्त डॉ प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया है कि वह ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम का उपयोग करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने अमेजन प्राइम का मोबाइल एप्लीकेशन अपने मोबाइल में डाउनलोड किया उसके सब्सक्रिप्शन का रिचार्ज किया लेकिन जब इसके बाद भी उनके मोबाइल पर अमेजन प्राइम की सेवाएं शुरू नहीं हुई तो उन्होंने कस्टमर केयर पर संपर्क करने के लिए गूगल पर कांटेक्ट नंबर खोजा था."

कस्टमर केयर को लगाया कॉल

अमेजन प्राइम के गूगल पर मिले कस्टमर केयर नंबर पर जब उन्होंने कॉल किया तो सामने से उन्हें बताया गया कि उनका रिचार्ज ठीक से नहीं हुआ है, इसके लिए उन्हें एक मोबाइल एप्लीकेशन डाउनलोड करना होगा जिसकी लिंक उसे कस्टमर केयर के नंबर पर बात कर रहे व्यक्ति ने उपलब्ध कराई और जैसे ही उस फ़ाइल को डॉक्टर प्रदीप श्रीवास्तव ने अपने मोबाइल फोन में इंस्टॉल किया तुरंत उनका मोबाइल हैक हो गया और कुछ देर बाद उन्हें बैंक का मैसेज आया जिससे पता चला कि खाते से 47000 उड़ चुके हैं.

ठगी के बाद साइबर पुलिस से की शिकायत

नगर निगम के उपायुक्त को 47000 का चूना लगने की बात समझते ही उन्होंने तुरंत इस संबंध में ग्वालियर साइबर क्राइम ऑफिस में जाकर शिकायत दर्ज कराई और अपने साथ हुई धोखाधड़ी की पूरी जानकारी पुलिस को दी. जिसके बाद पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी हुई है. अब तक कि जानकारी में गूगल पर उपलब्ध अमेजन का कस्टमर केयर नंबर की जगह जामतारा के ठगों ने अपने फर्जी नंबर उपलब्ध करा रखे हैं. जिनके जरिये लोग उनके संपर्क में आ जाते हैं.

Apk फाइल डाऊनलोड कराकर हैक किया मोबाइल

हालांकि डॉक्टर प्रदीप श्रीवास्तव अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं है जिनके साथ यह साइबर फ्रॉड हुआ है. नगर निगम के ही कुछ और अन्य कर्मचारियों के साथ भी APK फाइल डाउनलोड करने के नाम पर ठगी हुई है पता चला है कि नगर निगम के एक व्हाट्सएप ग्रुप में एक वीडियो के रूप में एपीके फाइल भेजी गई थी और जिन लोगों ने भी इस वीडियो को डाउनलोड करने का प्रयास किया उनके मोबाइल फोन हैक हो गए और वे लोग भी ठगी का शिकार बन गए. कई कर्मचारियों के खातों से पैसे कटे हैं लेकिन नगर निगम आयुक्त की जानकारी पहुंची है.

ग्वालियर में बीते 3 महीने में हुई दो बड़ी ठगी

बता दें कि साइबर ठगों के द्वारा जालसाजी का शिकार होने वाले नगर निगम के उपायुक्त पहले व्यक्ति नहीं है, इससे पहले भी ग्वालियर के सीपी कॉलोनी में रहने वाली एक रिटायर्ड टीचर आशा भटनागर को अप्रैल में साइबर ठगों ने मुंबई क्राइम ब्रांच से होना बताकर हाउस अरेस्ट कर 51 लाख की ऑनलाइन ठगी को अंजाम दे दिया था. जिसमें उनके पूरे जीवन भर की जमा पूंजी चली गई थी और आज तक पैसा रिकवर नहीं हो सका. वहीं मई 2024 में भी एक महिला मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर सुजाता बापट को भी ठगों ने डिजिटल अरेस्ट कर 38 लाख रुपये की ठगी की थी.

पढ़े लिखे लोग सबसे ज्यादा शिकार

नगर निगम अधिकारी से जुड़ा यह मामला डिजिटल अरेस्ट का तो नहीं है लेकिन साइबर ठगों ने अब लोगों को फंसाने के लिए अपने तरीकों में बदलाव जरूर कर दिया है और पूर्व में हुई इन बड़ी वारदातों से इतना तो साफ हो चुका है कि ठग सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे लोगों को ही अपना शिकार बना रहे हैं और लोग हैं कि लगातार पुलिस विभाग द्वारा चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों और अखबार और मीडिया द्वारा दी जा रही खबरों और चेतावनियों के बावजूद उनके झांसे में आ रहे हैं.

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फ्रॉड से बचने इन बातों का रखें ध्यान

इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतकर आप ठगी से बच सकते हैं. सबसे पहले तो यदि कोई भी अनाधिकृत व्यक्ति या अनजान आपसे कोई ओटीपी यानी वन टाइम पासवर्ड पूछता है तो उसे बिल्कुल ना बताएं. किसी के साथ अपना एटीएम का पिन या मोबाइल का पासवर्ड शेयर ना करें. कभी भी किसी अनजान व्यक्ति द्वारा भेजी गई फोटो वीडियो अथवा किसी लिंक पर क्लिक न करें. कोई भी ऐसा सॉफ्टवेयर जो किसी अन्य व्यक्ति द्वारा भेजा गया हो बिल्कुल डाउनलोड ना करें.

जब भी आपको किसी कंपनी के कस्टमर केयर से संपर्क करना हो तो इंटरनेट पर सीधे नंबर खोजने की जगह ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं. उसे कंपनी की वेबसाइट पर उनसे संपर्क के सभी नंबर मौजूद होते हैं यदि आप ऑनलाइन शॉपिंग या किसी ओटीटी प्लेटफॉर्म का सब्सक्रिप्शन ले रहे हैं या उनसे संबंधित किसी समस्या से परेशान है तो ऐसे में संबंधित मोबाइल एप्लीकेशन में ही संपर्क का विकल्प दिया जाता है. इसलिए इंटरनेट खोजने की बजाय संबंधित एप्लीकेशन के जरिए ही कस्टमर केयर से संपर्क करें इन बातों का ध्यान रख आप अपने आप को साइबर का शिकार बनने से बच सकते हैं.

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