रांची: रामनवमी की जब बात होती है तो हजारीबाग के रामनवमी की चर्चा होना लाजमी है, क्योंकि झारखंड में सबसे ज्यादा रामनवमी का उत्साह हजारीबाग जिले में देखने को मिलता है. लेकिन हजारीबाग जिले का एक ऐसा भी जगह है जहां पर रामनवमी के दिन सभी चीजों की मनाही होती है.
दरअसल हजारीबाग के बड़कागांव के महुदी गांव में पिछले 32 साल से रामनवमी के दिन शोभा यात्रा नहीं निकाली जा रही है. जिसको लेकर गांव के युवा 5 मार्च को एक रथ हजारीबाग से रांची तक लेकर निकले. करीब पांच दिनों का सफर तय करने के बाद युवा रथ लेकर रांची पहुंचे हैं. शुरुआत में सिर्फ पांच लड़कों ने रथ को खींचना शुरू किया था लेकिन धीरे-धीरे काफिला बढ़ता गया और आज करीब 50 से ज्यादा लोग इस रथ को खींचने में शामिल हैं.
रथ का नेतृत्व कर रहे हिंदू प्रचारक अमन कुमार ने कहा कि जब पूरा देश रामनवमी के दिन जश्न मनाता है तो हमारे महुदी गांव में सन्नाटा पसरा रहता है. रथ को खींचते हुए महूदी गांव के सभी युवा और वहां के स्थानीय लोग मुख्यमंत्री आवास पहुंचे, जहां पर युवाओं ने अपने 6 मांगों को रखने का काम किया.
मालूम हो कि हजारीबाग से रांची की दूरी सौ किलोमीटर से ज्यादा है. महुदी गांव के युवाओं ने हाथ से रथ को खींचते हुए रांची तक सफर तय किया है. यह यात्रा बताती है कि रामनवमी को लेकर महुदी गांव के युवाओं में कितना उत्साह है. अब देखने वाली बात होगी कि महुदी गांव के युवा के इस संघर्ष को देखने के बाद राज्य सरकार की तरफ से क्या कुछ निर्णय लिया जाता है और सीएम से क्या आश्वासन मिलता है.
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