रांची: लोकसभा चुनाव 2024 जितना महत्वपूर्ण एनडीए और इंडिया गठबंधन के लिए हैं उतना ही महत्वपूर्ण झारखंड की राजनीति के लिए भी है. ये चुनाव एक नवोदित राजनीति शक्ति झारखंडी भाषा खातियानी संघर्ष समिति (JBKSS) के लिए भी है क्योंकि ये इस युवा नेता की राजनीतिक दिशा और दशा को तय करेगा.
झारखंड में लोकसभा चुनाव में मुकाबला, दो ध्रुवों एनडीए-इंडिया गठबंधन के बीच होने के बावजूद सभी सबकी नजर जेबीकेएसएस पर टिकी है. जिन्होंने इस बार राज्य की आठ लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं. इस दल के नेता के रूप में जयराम महतो का नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है. जेबीकेएसएस को दल के रूप में अभी मान्यता नहीं मिलने की वजह से उनके प्रत्याशी राज्य की 8 लोकसभा सीट पर निर्दलीय के रूप में लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में लगे हैं.
झारखंड की राजनीति को बहुत नजदीक से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि जयराम महतो और उनके साथियों के परफॉरमेंस पर राज्य के कई दूसरे दलों के दिग्गजों का भविष्य टिका है. जिस तरह से राज्य की राजनीति में ओबीसी समुदाय की कुड़मी महतो जाति में जयराम महतो और जेबीकेएसएस की पकड़ बढ़ी है, उससे आने वाले दिनों में उन महतो नेताओं को परेशानी हो सकती है जो खुद को महतो समाज का अगुआ समझते हैं.
वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं जेबीकेएसएस को जनता का कितना समर्थन मिला है इसका खुलासा 04 जून को ही होगा. फिर भी विभिन्न चरणों में हुए मतदान के दिन अलग-अलग लोकसभा क्षेत्र से मिले फीड बैक के अनुसार एक समुदाय विशेष के लोगों में जयराम महतो और उनके साथी दलों को अच्छा समर्थन दिया है.
जयराम महतो के राजनीतिक उभार से कांग्रेस-झामुमो प्रसन्न
मूल रूप से भोजपूरी-मगही भाषा का विरोध और खतियान आधारित स्थानीय नीति, नियोजन नीति को लेकर छात्र आंदोलन से अपनी पहचान बना चुके हैं. इसमें युवा जयराम महतो, देवेंद्रनाथ महतो, मनोज यादव सहित कई युवा नेताओं ने संघर्ष कर युवा वर्ग का दिल जीतने की कोशिश की है. राज्य में राजनीतिक रूप से बेहद सजग ओबीसी समुदाय कुड़मी महतो के युवाओं के बीच जयराम महतो का काफी क्रेज है.
झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय भविष्य में राज्य की राजनीति में जयराम महतो की मजबूती में सुदेश महतो की कमजोरी देखते हैं. कांग्रेस के जगदीश साहू जैसे नेता भी मानते हैं कि जयराम महतो के मजबूत होने से महतो समाज के तथाकथित सबसे बड़े नेता सुदेश महतो की राजनीतिक कद घटेगा और परोक्ष रूप से भाजपा ही कमजोर होगी. झामुमो नेता ने साफ किया कि जयराम महतो के राजनीतिक उत्थान का असर झामुमो के महतो नेताओं पर नहीं पड़ेगा क्योंकि मोर्चा के नेता दल की नीति और सिद्धांत से बंधे होते हैं और समाज के हर वर्ग में गहरी पैठ झामुमो-कांग्रेस की है. कांग्रेस नेता ने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन के साथ जेबीकेएसएस का गठबंधन होगा या नहीं यह भविष्य की स्थिति पर निर्भर करेगा.
चंद दिनों में ही सुदेश महतो की बराबरी नहीं कर सकते जयराम- भाजपा
झारखंड की राजनीति में तेजी से उभरते जयराम महतो को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने भी प्रतिक्रिया दी है. पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव लड़ने का अधिकार सभी को है. इसमें यह सोचना अतिशयोक्ति होगी कि चंद दिनों के धरना-प्रदर्शन और आंदोलन के बल पर जयराम महतो सुदेश महतो के राजनीतिक पद की बराबरी कर लेंगे.
बीजेपी नेता प्रदीप सिन्हा ने कहा कि राज्य की जनता और खास कर महतो समाज की आस्था और विश्वास सुदेश महतो के साथ है और वह आगे भी बना रहेगा. उन्होंने कहा कि अगर जयराम महतो की राजनीति से नुकसान हो सकता है तो विपक्षी दलों में भी मथुरा महतो, सविता महतो, मंत्री बेबी देवी महतो, जयप्रकाश भाई पटेल सहित कई ऐसे महतो जाति से आने वाले नेता हैं, जिनका नुकसान जयराम महतो कर सकते हैं. इसलिए सिर्फ सुदेश महतो को केंद्र में रखकर झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस की यह सोच सही नहीं है कि जयराम महतो के राजनीतिक उभार से सुदेश महतो का राजनीतिक कद को नुकसान पहुंचेगा.
लोकसभा की आठ सीट पर JBKSS ने उतारे थे उम्मीदवार
जेबीकेएसएस की ओर से कोडरमा प्रत्याशी मनोज यादव ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि फोन पर बताया कि रांची, कोडरमा, गिरिडीह, हजारीबाग, सिंहभूम, धनबाद, चतरा और दुमका लोकसभा सीट पर जेबीकेएसएस ने उम्मीदवार दिए हैं. उन्होंने कहा कि हम राज्य के आदिवासी-मूलवासी के मुद्दों की वास्तविक लड़ाई लड़ रहे हैं और सभी समुदाय के लोगों ने हमें मत के रूप में अपना आशीर्वाद दिया है. 04 जून को मतगणना के बाद राज्य की राजनीति बदलने वाली है, यह बिल्कुल साफ है.
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