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योगी के मंत्री सुनील शर्मा ने शहीद स्मारक में किया ध्वजारोहण, सुनाई महाराष्ट्र के चापेकर बंधु की कहानी - Minister Sunil Sharma Flag Hoisting

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 15, 2024, 3:34 PM IST

minister Sunil Sharma Flag Hoisting Updates: गाजियाबाद में स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन किया गया. समारोह में उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री सुनील कुमार शर्मा मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए. उन्होंने अपने संबोधन में महाराष्ट्र के चापेकर बंधु की कहानी सुनाई.

सुनील शर्मा ने शहीद स्मारक में किया ध्वजारोहण
सुनील शर्मा ने शहीद स्मारक में किया ध्वजारोहण (Etv Bharat)
सुनील शर्मा ने शहीद स्मारक में किया ध्वजारोहण (ETV BHARAT)

नई दिल्ली: गाजियाबाद जिला प्रशासन, नगर निगम और सिविल डिफेंस द्वारा मेरठ रोड स्थित शहीद स्मारक में स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन किया गया. स्वतंत्रता दिवस समारोह में उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री सुनील कुमार शर्मा मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए. कार्यक्रम में स्कूली छात्र-छात्राओं ने देश भक्ति के गीतों पर प्रस्तुति देकर कार्यक्रम में मौजूद तमाम लोगों का मन मोह लिया. कार्यक्रम में शहीदों के परिवारों को मंत्री सुनील शर्मा और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सम्मानित किया गया.

चापेकर बंधु की कहानी: उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री सुनील शर्मा ने कहा कि आजादी हमें ऐसे ही नहीं मिली है. न जाने कितने नाम ऐसे हैं, जो इतिहास के पन्नों पर भी नहीं आए. जिन्होंने मातृभूमि को गुलामी की जंजीरों से आजाद करने के लिए अपने प्राणों की आहूति दी. महाराष्ट्र के चापेकर बंधु तीन भाई थे. तीनों भाई क्रांतिकारी थे. पहले भाई पकड़ा गया तो अंग्रेजों ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई. इसके बाद दूसरे भाई ने स्वतंत्रता आंदोलन को आगे बढ़ाया. दूसरे भाई को भी मृत्युदंड मिला. तीसरी भाई ने परंपरा को आगे बढ़ाते हुए देश को आजाद करने के लिए आंदोलन में शामिल हुए. तीसरा भाई भी पकड़ा गया और अंग्रेजों ने मृत्यु दंड दिया. तीनों भाई मातृभूमि को आजाद करने के लिए फांसी पर चढ़ गए.

कैबिनेट मंत्री ने कहा जब पहले भाई को फांसी पर लटकाया गया तो लोग उनकी मां को सांत्वना देने के लिए गए. तब मां ने कहा कि मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ है, मुझे कोई दुख नहीं है. जब दूसरे बेटे को फांसी लगी तब भी मां के यही शब्द थे. लेकिन जब तीसरे बेटे को फांसी पर चढ़ाया गया तो मां की आंखों में आंसू थे. जब लोगों ने मां से पूछा कि तीसरे बेटे से ज्यादा प्यार है इसलिए रो रही हो तो मां का जवाब था कि मैं इसलिए नहीं रो रही हूं कि मेरा तीसरा बेटा भी शहीद हो गया है. बल्कि मुझे दुख है कि मेरी गोद में चौथा फूल नहीं है जिसे मैं भारत माता के चरणों में अर्पित कर सकूं.

भारत को आजादी बहुत कुर्बानियों के बाद मिली: शर्मा ने कहा कि 2047 की विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए प्रत्येक नागरिक को सैनिक की तरह कार्य करना होगा. स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों ने देश को आजाद करने के लिए बहुत भारी कीमत चुकाई है. हमें भारत को परम वैभव पर ले जाना है. डीएम इंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि भारत को आजादी बहुत कुर्बानियों के बाद मिली है. आजादी के मूल्य को हम अच्छे से पहचाने इसलिए इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. एक देश जो कभी हमारे ही सहयोग से 1971 में आजाद हुआ था. फिर टूटने की कगार पर है. क्योंकि इन्होंने कुर्बानी की ताकत को नहीं पहचाना.

आजाद भारत में अपनी भूमिका को पहचाने: आयुक्त संजय लवानिया ने कहा कि आजादी भारतवर्ष के नवोन्मेष का प्रथम अध्याय था. इसके भविष्य के अध्यायों के लेखन में उसकी संकल्पना को तैयार करने में संविधान से प्रेरित नागरिक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि अमृत काल में न केवल हमारा यह कर्त्तव्य है कि हम आज़ादी के संघर्ष की गाथाओं का उत्सव मनाएं बल्कि आज़ाद भारत में अपनी भूमिका पहचाने और निजी स्तर पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कुछ इस प्रकार करें, की देश के सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक विकास में एक ईंट जोड़ सकें.

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नई दिल्ली: गाजियाबाद जिला प्रशासन, नगर निगम और सिविल डिफेंस द्वारा मेरठ रोड स्थित शहीद स्मारक में स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन किया गया. स्वतंत्रता दिवस समारोह में उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री सुनील कुमार शर्मा मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए. कार्यक्रम में स्कूली छात्र-छात्राओं ने देश भक्ति के गीतों पर प्रस्तुति देकर कार्यक्रम में मौजूद तमाम लोगों का मन मोह लिया. कार्यक्रम में शहीदों के परिवारों को मंत्री सुनील शर्मा और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सम्मानित किया गया.

चापेकर बंधु की कहानी: उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री सुनील शर्मा ने कहा कि आजादी हमें ऐसे ही नहीं मिली है. न जाने कितने नाम ऐसे हैं, जो इतिहास के पन्नों पर भी नहीं आए. जिन्होंने मातृभूमि को गुलामी की जंजीरों से आजाद करने के लिए अपने प्राणों की आहूति दी. महाराष्ट्र के चापेकर बंधु तीन भाई थे. तीनों भाई क्रांतिकारी थे. पहले भाई पकड़ा गया तो अंग्रेजों ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई. इसके बाद दूसरे भाई ने स्वतंत्रता आंदोलन को आगे बढ़ाया. दूसरे भाई को भी मृत्युदंड मिला. तीसरी भाई ने परंपरा को आगे बढ़ाते हुए देश को आजाद करने के लिए आंदोलन में शामिल हुए. तीसरा भाई भी पकड़ा गया और अंग्रेजों ने मृत्यु दंड दिया. तीनों भाई मातृभूमि को आजाद करने के लिए फांसी पर चढ़ गए.

कैबिनेट मंत्री ने कहा जब पहले भाई को फांसी पर लटकाया गया तो लोग उनकी मां को सांत्वना देने के लिए गए. तब मां ने कहा कि मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ है, मुझे कोई दुख नहीं है. जब दूसरे बेटे को फांसी लगी तब भी मां के यही शब्द थे. लेकिन जब तीसरे बेटे को फांसी पर चढ़ाया गया तो मां की आंखों में आंसू थे. जब लोगों ने मां से पूछा कि तीसरे बेटे से ज्यादा प्यार है इसलिए रो रही हो तो मां का जवाब था कि मैं इसलिए नहीं रो रही हूं कि मेरा तीसरा बेटा भी शहीद हो गया है. बल्कि मुझे दुख है कि मेरी गोद में चौथा फूल नहीं है जिसे मैं भारत माता के चरणों में अर्पित कर सकूं.

भारत को आजादी बहुत कुर्बानियों के बाद मिली: शर्मा ने कहा कि 2047 की विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए प्रत्येक नागरिक को सैनिक की तरह कार्य करना होगा. स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों ने देश को आजाद करने के लिए बहुत भारी कीमत चुकाई है. हमें भारत को परम वैभव पर ले जाना है. डीएम इंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि भारत को आजादी बहुत कुर्बानियों के बाद मिली है. आजादी के मूल्य को हम अच्छे से पहचाने इसलिए इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. एक देश जो कभी हमारे ही सहयोग से 1971 में आजाद हुआ था. फिर टूटने की कगार पर है. क्योंकि इन्होंने कुर्बानी की ताकत को नहीं पहचाना.

आजाद भारत में अपनी भूमिका को पहचाने: आयुक्त संजय लवानिया ने कहा कि आजादी भारतवर्ष के नवोन्मेष का प्रथम अध्याय था. इसके भविष्य के अध्यायों के लेखन में उसकी संकल्पना को तैयार करने में संविधान से प्रेरित नागरिक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि अमृत काल में न केवल हमारा यह कर्त्तव्य है कि हम आज़ादी के संघर्ष की गाथाओं का उत्सव मनाएं बल्कि आज़ाद भारत में अपनी भूमिका पहचाने और निजी स्तर पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कुछ इस प्रकार करें, की देश के सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक विकास में एक ईंट जोड़ सकें.

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