2024 MP SPECIAL POLITICAL EVENTS: अगर सामान्य ज्ञान के सवाल में मध्य प्रदेश के संदर्भ में पूछा जाए कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन करा देने वाले दलबदल कब-कब हुआ, तो साठ के दशक में विजयाराजे सिंधिया के कांग्रेस सरकार गिराने के बाद 2020 का सत्ता परिवर्तन दर्ज किया जाएगा. जिसमें सिंधिया ने 22 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर कमलनाथ सरकार गिरा दी थी. इस दलबदल की शुरुआत 2020 से हुई, लेकिन दलबदल के साथ नई सदस्यता का रिकार्ड 2024 में बना.
जब बीजेपी एक दिन में सवा लाख और तीन महीने में करीब 11 लाख लोगों ने बीजेपी की सदस्यता ली. बाकायदा पार्टी में न्यू ज्वाइनिंग टोली बनाई गई. 2024 में बना ये रिकार्ड जब एक दिन में सवा लाख लोगों ने भाजपा का फटका पहना और पार्टी की औपचारिक सदस्यता ली.
2024 का वो दिन, सवा लाख लोगों ने पहना बीजेपी का फटका
लोकसभा चुनाव के ठीक पहले बीजेपी में न्यू ज्वाइिंग टोली एक्टिव हुई. सक्रीयता इस तरह थी कि तकरीबन हर दिन पार्टी में एक ना एक सदस्यता होती. कांग्रेस के केंद्रीय मंत्री रहे वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी की बड़ी टूट भी इसी दौर की है. इसके बाद जबलपुर के मेयर जगत बहादूर अन्नू, पूर्व महाअधिवक्ता शशांक शेखर, उसके बाद अलग-अलग जिलों से भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं का थोक में दलबदल हुआ. फिर पार्टी ने तय किया कि एक दिन में न्यू ज्वाइनिंग टोली सर्वाधिक लोगों को बीजेपी की सदस्यता दिलाई जाए. पार्टी के स्थापना दिवस 6 अप्रैल को इसके लिए चुना गया.
स्थापना दिवस के दिन एक दिन में सवा लाख लोगों ने बीजेपी की सदस्यता ली. न्यू ज्वाइनिंग टोली के प्रभारी डॉ नरोत्तम मिश्रा का कहना था कि "इसमें 80 फीसदी कांग्रेसी ही थे. इसके अलावा बीजेपी का रिकार्ड ये कहते हैं, लोकसभा चुनाव के पहले के तीन महीनों में करीब 6 लाख लोगों ने बीजेपी की सदस्यता ली है. न्यू ज्वाइनिंग टोली के प्रभारी रहे पूर्व मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा कहते हैं, "ये जो इतिहास 2024 में रचा गया. ये केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू था. उनके कार्य, उनके विचार, उनकी राष्ट्रीयता से प्रभावित होकर इस तादात में लोगों ने बीजेपी की सदस्यता ली."
बीजेपी ने कांग्रेस को दिए ऐसे झटके
कांग्रेस के गढ़ छिंदवाड़ा में मेयर से लेकर विधायक और कमलनाथ के करीबी दीपक सक्सेना तक को बीजेपी की सदस्यता दिलवाकर पार्टी ने जहां सबसे मजबूत जमीन कमजोर की. उसके बाद इंदौर जैसी बीजेपी की मजबूत जमीन रही सीट पर कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार अक्षय बम ने नामांकन वापसी के आखिरी दिन ही मैदान छोड़ दिया. कैलाश विजयवर्गीय के आशीर्वाद से ये बीजेपी में शामिल हो गए.
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तीसरा झटका ग्वालियर चंबल से लगा. जहां विजयपुर से कांग्रेस के विधायक रहे रामनिवास रावत ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. ये मोरल डाउन जो कांग्रेस का हुआ, उसके नतीजे लोकसभा चुनाव में दिखाई दिए. वरिष्ठ पत्रकार पवन देवलिया कहते हैं, "बात केवल पार्टी में हुई न्यू ज्वाइनिंग की नहीं थी. जिस तरह से कांग्रेस का मोरल डाउन हुआ, वो सबसे अहम था. चुनाव के एन पहले पार्टी के भीतर तक और जनता के बीच ये संदेश चला गया कि कांग्रेस कमजोर हो रही है. ये संदेश जनता के बीच पहुंचाने में बीजेपी कामयाब रही. जिसके नतीजे लोकसभा चुनाव में मिले.
2020 में 22 विधायकों के दलबदल से हुई शुरुआत
एमपी में दलबदल की ये शुरुआत 2020 से हुई. जब कांग्रेस से नाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 22 विधायकों के साथ पार्टी को छोड़कर बड़ा झटका दिया. उसके बाद तो एमपी में ये संख्या 28 सीटों तक पहुंच गई. सिंधिया समर्थकों के अलावा भी कांग्रेस से विधायक टूटकर बीजेपी में आए, लेकिन चार साल बाद 2024 में ये दलबदल अपने शबाब पर था.