सरगुजा : तम्बाकू विरोधी दिवस मनाने की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि तम्बाकू खाने वाले एक बार इसकी आदत के शिकार होते हैं तो फिर कभी चाहकर भी इसे छोड़ नहीं पाते हैं. इसमें पाया जाने वाला निकोटिन कैंसर समेत कई खतरनाक बीमारियों के लिए जिम्मेदार होता है. इसलिए तंबाखू या धूम्रपान की एडिक्शन से निजात पाने के उपाय के बारे में ईटीवी भारत ने विशेषज्ञ डॉक्टरों से बात की. हम आज आपको बताने जा रहे हैं कि तम्बाकू या स्मोकिंग छोड़ने के लिये कौं से उपाय कारगर हैं.
क्यों लोग तम्बाकू चाहकर भी छोड़ नहीं पाते ? : टोबैको कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल ऑफिसर डॉ शैलेन्द्र गुप्ता ने बताया, "असल में तंबाकू को खाने वाले इस आदत के शिकार हो जाते हैं और चाहकर भी इसे छोड़ नहीं पाते. इसकी वजह यह है कि तम्बाकू से शरीर को निकोटीन नामक केमिकल मिलती है और उसकी ब्रेन में अफ्यूनिटी बहुत स्ट्रांग रहती है. लगभग अफीम या मॉर्फीन से करीब 300 गुना ज्यादा इस इसेप्टर की निकोटीन के प्रति सेंसटिविटी रहती है. ऐसे में यदि एक बार भी व्यक्ति इसका एडिक्ट हो गया, तो वह चाह कर भी तंबाखू को छोड़ नहीं पाता है."
"पहला तरीका है केवल और केवल आत्मशक्ति. जिसके जरिये आप इसे छोड़ सकते हैं. आप इसे एक बार दृढ़ संकल्प कर के छोड़ सकते हैं. तंबाखू को तुरंत छोड़ा जा सकता है. इसके लिये कोल्ड टर्की मैटर रहता है, जिसके अंतर्गत आप आत्मबल से इसे छोड़ सकते हैं. जबकि अन्य दूसरे नशे जैसे शराब को यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से ले रहा है, तो उसे छोड़ने के लिए धीरे-धीरे थरेपी अपनाई जाती है." - डॉ शैलेन्द्र गुप्ता, नोडल ऑफिसर, टोबैको कंट्रोल प्रोग्राम
तम्बाकू छोड़ने में परिवार का इमोशनल सपोर्ट जरूरी : डॉ शैलेन्द्र गुप्ता का कहना है कि, "पहले तो व्यक्ति खुद समझे कि उसे तम्बाकू छोड़ना है. फिर उसकी प्रॉपर काउंसलिंग होनी चाहिये. काउंसलिंग इसलिए जरूरी है, क्योंकि जब व्यक्ति इसे छोड़ता है, तो कुछ सामान्य लक्षण उत्पन्न होते हैं. जैसे- घबराहट, चिड़चिड़ापन, मुंह का सूखना. इस तरह के माइनर लक्षण आते हैं, जो एक-दो सप्ताह में चले जाते हैं. इसमे परिवार का सहयोग बहुत जरूरी होता है, ताकि वह वयक्ति इमोशनली सपोर्ट पा सके. वरना चिड़चिड़ेपन की वजह से वह दोबारा इसका उपयोग शुरू करने लगता है."
तम्बाकू छुड़ाने के तरीके:
- निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी या NRT के जरिये भी तम्बाकू या स्मोकिंग छोड़ी जा सकती है. इसमे एक च्विंगम दिया जाता है, जिसमें निकोटीन का सब्सटेंस होता है. व्यक्ति के स्मोकिंग की कैपिसिटी के आधार पर ये अलग अलग मापदंड में उपलब्ध होती है. इसे पहले सप्ताह अधिक मात्रा में देते हुए धीरे-धीरे कम किया जाता है. यह च्विंगम इंसन के शरीर में निकोटीन की कमी को पूरी कर देता है और वो तम्बाकू के सेवन से बच जाता है.
- इस तरीके में एक निकोटिन पैच लगाया जाता है. यह भी मरीज के डोज के अनुसार दिया जाता है. एक छोटा सा पैच शरीर के उस स्थान पर चिपका दिया जाता है, जहां पर बाल ना हों. इस पैच से शरीर आवश्यकता के अनुसार निकोटिन ले लेता है.
तम्बाकू के हानिकारक केमिकल से बचाते हैं ये तरीके : हालांकि, निकोटिन भी स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है. इससे हाई बीपी, हार्ट अटैक जैसे खतरे होते हैं. इसलिए इसे डॉक्टर की सलाह से ही लिया जाए तो बेहतर होगा. लत छुड़ाने के लिए इसका इस्तेमाल इसलिए किया जाता है, ताकि तम्बाकू में मौजूद 7 हजार से अधिक हानिकारक केमिकल से बचा जा सके. थेरेपी के बाद धीरे-धीरे निकोटीन के च्विंगम या पैच की आदत को कम करते हुए इसकी आदत छुड़ाई जाती है.
"तम्बाकू छोड़ने के लिये लगातार कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं, हमारे जिले में हर ब्लाक में तंबाखू निवारण केंद्र की स्थापना की गई हैं. वहां पर डेंटिस्ट इस काम को देखते हैं. बीते वर्ष ओपीडी में जिले से 1029 मरीज आये, जिनमें काउंसलिंग के बाद 600 मरीज तम्बाकू खाना छोड़ चुके हैं. 118 लोग स्मोकिंग से प्रभावित थे, उनमे से 38 ने स्मोकिंग छोड़ दी है." - डॉ शैलेन्द्र गुप्ता, नोडल ऑफिसर, टोबैको कंट्रोल प्रोग्राम
तम्बाकू को लेकर दुनियाभर में लगातार कई शोध चल रहे हैं. कुछ दिनों पहले तक इसमें 4 हजार से अधिक हानिकारक केमिकल्स होने के दावे किए गए थे. लेकिन ताजा शोध में इनकी संख्या 7 हजार से भी अधिक बताई गई है. इनमें 61 से 70 ऐसे केमिकल हैं, जो सीधे ही कैंसर के सेल निर्मित करते हैं.