चंदौली: जापान का मियाजाकी वैरायटी का आम पूरी दुनिया में मशहूर है. यह आम लाल और जामुनी रंग का होता है और सबसे महंगे आमों में शामिल है. यह आम खाने में तो स्वादिष्ट होता ही है, इसके फल और फूल भी कलरफुल होते हैं. इन प्रजातियों के पौधे जल्दी नहीं मिल पाते हैं. कुछ नर्सरियों में मिलते भी हैं तो काफी महंगे होते है. लेकिन अब जिले में ही इन प्रजातियों के आम के पौधे उपलब्ध होंगे. जिले में आचार्य नरेंद्र देव विश्वविद्यालय से संचालित कृषि विज्ञान केंद्र में इन प्रजातियों के पौधे उपलब्ध कराएं जाएंगे. इसके लिए बाहर से बीज मंगाए गए हैं.
इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र में करीब सात लाख रुपये की लागत से पालीहाउस स्थापित किया जाएगा. जल्द ही पालीहाउस स्थापित कर पौधे तैयार करने की प्रक्रिया शुरू जाएगा. अगले सीजन से जिले के लोगों को अच्छी किस्म के पौधे भी कम दामों में उपलब्ध होंगे. इससे केवीके को हर साल लाखों रुपये मिलेंगे. साथ ही केवीके की आय में बढ़ोत्तरी हो जाएगी.
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि मियाजाकी आम मेंं 15 फीसद ज्यादा शुगर कॉन्टेंट होता है. इसमें एंटी ऑक्सीडेंट, बीटा-कैरोटीन और फॉलिक एसिड पाए जाते हैं. आंखों की रोशनी कम होने वाले लोगों के लिए यह आम काफी लाभदायक है. साथ ही मार्केट में यह काफी महंगे कीमतों पर बिकते हैं.
कृषि वैज्ञानिक मनीष कुमार सिंह ने बताया कि आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय से संचालित कृषि विज्ञान केंद्र की नर्सरी में मियाजाकी समेत आम की अन्य प्रजातियों के पौधे तैयार किए जाएंगे. इसके लिए बाहर से बीज मंगाए गए हैं. पौधों को तैयार करने के लिए पालीहाउस बनाया जाएगा. इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को फाइल भेज दी गई है. अगले सीजन से लोगों को मुहैया कराए जाएंगे. करीब सात लाख की लागत से बनने वाले पाली हाउस की टेम्परेचर में बकाएदे पौधों को अच्छी तरह से तैयार किया जाएगा.
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