जयपुर. 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस के रूप में मनाया जाता है. एक समय मलेरिया को लाइलाज बीमारी माना जाता था और इस बीमारी की चपेट में आने से कई लोगों की मौतें भी विश्वभर में हो जाती थी, लेकिन अब धीरे-धीरे मलेरिया एक आम बीमारी बन चुका है. भारत की बात करें, तो हर साल अभी भी लाखों मरीज इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं.
केंद्र सरकार की ओर से कुछ साल पहले मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की शुरुआत भी की गई थी. इसके तहत वर्ष 2030 तक भारत को मलेरिया मुक्त बनाने की बात कही गई है. केंद्र सरकार ने करीब 21 राज्यों को इसके लिए पहले फेज में चुना है. इसमें राजस्थान भी शामिल है. राजस्थान में मलेरिया के मौजूदा स्थिति की बात करें, तो हालात धीरे-धीरे सुधर रहे हैं. बीते 4 माह में प्रदेश में मलेरिया के महज 116 मामले सामने आए हैं. अभी तक किसी भी मरीज की मौत दर्ज नहीं की गई है. प्रदेश में हर साल मलेरिया के मामलों में कमी देखने को मिल रही है. चिकित्सा विभाग ने मौसमी बीमारियों से बचाव एवं प्रभावी रोकथाम के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं. तैयारियों के तहत मच्छर जनित बीमारियों से बचाव एवं रोकथाम के लिए प्रदेश में क्रेश प्रोग्राम चलाया जा रहा है. साथ ही बीमारियों की प्रभावी रोकथाम के लिए संबंधित विभागों में नोडल अधिकारी बनाए गए है. इसके अलावा स्वास्थ्य निदेशालय में राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम शुरू किया गया है.
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जागरूकता बढ़ी : जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के अतिरिक्त अधीक्षक डॉक्टर मनोज शर्मा का कहना है कि पिछले कुछ सालों में मलेरिया के मामलों में काफी कमी आई है. इसका प्रमुख कारण है जागरूकता. डॉक्टर शर्मा का कहना है कि लोगों में अब धीरे-धीरे जागरूकता बीमारियों को लेकर बढ़ने लगी है और सही समय पर इलाज कराने के कारण भी मरीज आसानी से इस बीमारी से छुटकारा पा लेता है. जागरूकता को लेकर चिकित्सा विभाग हर साल अलग-अलग कदम उठाता है. मौसमी बीमारियों को लेकर इस बार केंद्र सरकार की ओर से भी अलर्ट जारी किया गया है. चिकित्सा विभाग ने निर्देश दिए हैं कि मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए सभी संबंधित विभाग पूर्ण समन्वय से साथ काम करते हुए अपने-अपने विभाग से संबंधित गतिविधियों को प्रभावी ढंग से अंजाम दें. सभी विभाग चेकलिस्ट बनाकर साप्ताहिक समीक्षा करें तथा मौसमी बीमारियों की नियमित मॉनिटरिंग सुनिश्चित करें. जिन क्षेत्रों में केस ज्यादा सामने आएं, वहां विशेष फोकस करते हुए सर्विलांस, एंटीलार्वा, सोर्स रिडक्शन, स्प्रे आदि गतिविधियां की जाएं.