लखनऊ : आज विश्व साक्षरता दिवस मनाया जा रहा है. ऐसे मौके पर ऐसी महान हस्तियों को भी याद किया जाता है, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान दिया है. लखनऊ के प्रसिद्ध शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे सादिक ने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया. उनकी पहचान केवल एक धार्मिक नेता के रूप में ही नहीं बल्कि समाज सुधारक के रूप में भी होती रही है. उन्होंने शिक्षा को समाज के विकास का प्रमुख आधार माना. उनका मानना था कि शिक्षा समाज में व्याप्त अंधविश्वास, गरीबी और भेदभाव को समाप्त कर सकती है. उन्होंने शिक्षा को धर्म से ऊपर रखा और हमेशा लोगों को विज्ञान, तर्क और मानवता की शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित किया. आज भी उनके कॉलेज में बच्चों का भविष्य तालीम से रोशन हो रहा है.
धर्म और शिक्षा एक-दूसरे के विरोधी नहीं: उनका प्रमुख योगदान उनकी द्वारा स्थापित "यूनिटी कॉलेज" है, जिसे उन्होंने विशेष रूप से आर्थिक रूप से पिछड़े और गरीब तबके के बच्चों के लिए स्थापित किया था. उनके प्रयासों से हजारों बच्चे जो शिक्षा से वंचित थे, उन्हें पढ़ने का अवसर मिला. मौलाना सादिक ने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ नौकरी पाना न हो, बल्कि यह व्यक्ति को एक बेहतर इंसान बनाने में सहायक हो. उन्होंने मुस्लिम समाज में खासतौर पर महिलाओं की शिक्षा पर जोर दिया और कहा कि एक शिक्षित महिला पूरे समाज को शिक्षित कर सकती है. उनकी शिक्षण संस्थानें और शिक्षा के प्रति उनकी सोच समाज में आज भी प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं. मौलाना सादिक का यह विचार था कि कि धर्म और शिक्षा एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं.
बच्चों को दी मुफ्त शिक्षा :मौलाना कल्बे सिबतैन नूरी ने अपने पिता पद्म भूषण मौलाना कल्बे सादिक के शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान को याद करते हुए बताया कि उनके पिता ने लखनऊ के तहसीनगंज में "यूनिटी कॉलेज" की स्थापना की थी. यहां आज 1500 से अधिक बच्चे और बच्चियां मुफ्त शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. इस कॉलेज में खेल के मैदान से लेकर अन्य सुविधाओं की भी पूरी व्यवस्था है. यहां प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाती है. मौलाना सिबतैन नूरी ने बताया कि शिक्षा की गुणवत्ता पर कभी कोई समझौता नहीं किया जाता. यही कारण है, कि यहां बेहद अनुभवी और कुशल शिक्षक बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं.