चंडीगढ़: वर्ल्ड डायबिटीज डे के अवसर पर चंडीगढ़ में प्रसिद्ध फंक्शनल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. रमनदीप जो ओजोन थेरेपी में अपनी विशेषज्ञता के लिए जानी जाती हैं. डायबिटीज की रोकथाम पर एक महत्वपूर्ण आयोजन का नेतृत्व किया. भारत, टाइप 2 डायबिटीज के मामलों में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है और मामलों में लगातार वृद्धि के चलते लोगों के लिए मधुमेह के पूर्व-चरण के सूक्ष्म लेकिन महत्वपूर्ण संकेतों को पहचानना अत्यावश्यक हो गया है. डॉ. रमनदीप ने जोर दिया कि टाइप 2 डायबिटीज का प्रारंभिक पहचान और प्रबंधन सतर्कता पर निर्भर करता है. विशेषकर उपवास के दौरान ब्लड इंसुलिन और भोजन के बाद के इंसुलिन स्तर की निगरानी द्वारा. उन्होंने एक प्रारंभिक चेतावनी के रूप में 95 mg/dL से अधिक उपवास रक्त शर्करा का स्तर बताया.
बीमारियों से रहें सावधान: उन्होंने बताया कि किस तरह लगातार तनाव के कारण कोर्टिसोल का स्तर बढ़ सकता है. जिससे धीरे-धीरे ब्लड ग्लूकोज बढ़ता है और यह मधुमेह में बदल सकता है. विशेष रूप से युवाओं को संबोधित करते हुए. उन्होंने बताया कि आज की युवा पीढ़ी लंबे समय तक पूर्व-मधुमेह अवस्था में रहती है. बिना अपने शरीर के संकेतों को समझें.
यदि युवा समय रहते अपने शरीर के चेतावनी संकेतों पर ध्यान को समझे तो समय पर बीमारियों से बचा जा सकता है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस अवस्था में रहते हुए इसे ठीक किया जा सकता है. लेकिन इसके लिए सजगता आवश्यक है. यदि युवा समय रहते अपने शरीर के चेतावनी संकेतों पर ध्यान दें और रोकथाम की रणनीतियों को अपनाएं तो वे गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं.
इस चर्चा में व्यावहारिक रोकथाम के उपाय: सुपरफूड्स और आवश्यक पोषक तत्वों जैसे अमीनो एसिड, जिंक, मैग्नीशियम, करक्यूमिन, विटामिन B12 और बोस्वेलिया का सेवन, रक्त शर्करा और सूजन को नियंत्रित करने के लिए आहार में उच्च-ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थों को सीमित कर जटिल कार्बोहाइड्रेट का समावेश और इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, कार्डियो और योग को अपनाना. डॉ. रमंदीप ने समग्र जीवनशैली में बदलाव की भी आवश्यकता पर जोर दिया—स्वस्थ वजन बनाए रखना, पर्याप्त नींद लेना और तनाव का सही प्रबंधन करना मधुमेह की प्रगति को रोकने में सहायक हो सकता है.
मधुमेह पर पाया जा सकता है नियंत्रण: उन्होंने ओजोन थेरेपी के महत्व पर भी प्रकाश डाला, जिससे जीवनशैली में बदलाव के साथ-साथ मधुमेह पर नियंत्रण किया जा सकता है और न्यूनतम दवाओं की आवश्यकता को संभव बनाया जा सकता है. जिससे हृदय रोग और परिधीय न्यूरोपैथी जैसी जटिलताओं में भी कमी लाई जा सकती है. यह आयोजन वहां उपस्थित लोगों के लिए एक चेतावनी के समान था कि वे अपने शरीर के संकेतों पर ध्यान दें और तुरंत कदम उठाए. इस आयोजन में दी गई जानकारी न केवल शिक्षाप्रद थी. बल्कि एक सशक्त संदेश था कि सक्रिय उपायों और फंक्शनल मेडिसिन का अपनाना मधुमेह की रोकथाम में महत्वपूर्ण हो सकता है.
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