देहरादून: हर साल 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य यही है कि कंज्यूमर्स यानी उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों की जानकारी हो. ताकि, वो उत्पाद खरीदते वक्त तमाम बिंदुओं पर ध्यान दें. डिजिटलाइजेशन के इस दौर में ऑनलाइन माध्यम से किसी भी सामान को आसानी से घर बैठे मंगाया जा सकता है. इसी का फायदा कई लोग उठा लेते हैं. इतना ही नहीं कई बार ये भी देखा जाता है कि बड़ी कंपनियां के ब्रांड नेम का इस्तेमाल कर नकली प्रोडक्ट्स को बेच दिया जाता है. जिससे उपभोक्ताओं को भारी चपट लग जाती है. ऐसे में उपभोक्ताओं के अधिकारों की जानकारी आपको देते हैं.
उपभोक्ता सामान की पक्की रसीद या बिल जरूर लें: राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उत्तराखंड की अध्यक्ष जस्टिस डीएस त्रिपाठी ने बताया कि उपभोक्ता को सबसे पहले इस बाबत जागरूक होने की जरूरत है कि जब भी वो कोई सामान खरीदा है तो वो उसे समान की पक्की रसीद लें. क्योंकि, अगर बिल नहीं होगा तो कोई भी केस नहीं बनेगा. इसके साथ ही अगर कोई सामान फ्री में मिला है तो उस मामले में उपभोक्ता कोई शिकायत नहीं कर सकता है. ऐसे में जब उपभोक्ता कोई सामान खरीदना है तो उसे मालों, उत्पादों, सेवा की क्वालिटी, मात्रा, शक्ति, शुद्धता, मानक और कीमत के बारे में जानने का पूरा अधिकार है.
उपभोक्ता यहां कर सकते हैं शिकायत: उपभोक्ता के शिकायत के लिए प्राइमरी स्टेज जिला उपभोक्ता आयोग होता है. प्रदेश के सभी जिलों में जिला उपभोक्ता आयोग कार्यालय हैं. नियमानुसार अगर 50 लाख रुपए तक के उत्पाद की शिकायत है तो उपभोक्ता जिला उपभोक्ता आयोग कार्यालय में कर सकता है, लेकिन अगर 50 लाख से ज्यादा और 2 करोड़ रुपए तक के उत्पाद संबंधित कोई वाद विवाद है तो इसके लिए राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उत्तराखंड में वाद दायर करना होगा, लेकिन अगर 2 करोड़ रुपए से ज्यादा के उत्पाद संबंधी कोई वाद विवाद है तो इसके लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग भारत सरकार में वाद दायर करना होगा.
ऑनलाइन भी कर सकते हैं शिकायत, 8 दिन के भीतर जमा करनी होगी हार्ड कॉपी: जस्टिस डीएस त्रिपाठी ने बताया कि उपभोक्ता को कोई भी वाद दायर करने के लिए जिला उपभोक्ता आयोग या फिर राज्य उपभोक्ता आयोग में आने की आवश्यकता नहीं है. बल्कि, वो ऑनलाइन भी शिकायत दायर कर सकते हैं. अगर कोई उपभोक्ता ऑनलाइन शिकायत दायर करता है तो उसे अगले 8 दिन के भीतर आयोग में हार्ड कॉपी जमा करना होगा.
साथ ही अगर कोई उपभोक्ता, सामान खरीदा है तो उसके अगले दो साल के भीतर ही शिकायत दर्ज कर सकता है. साथ ही ऑनलाइन माध्यम से सामान खरीदने संबंधित शिकायतों को भी 2019 में बने नए एक्ट में शामिल किया गया है. ऐसे में ऑनलाइन माध्यम से मंगाए गए सामान से संबंधित कोई शिकायत होती है तो उसकी भी शिकायत कर सकते हैं.
उपभोक्ताओं के मुख्य अधिकार: राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उत्तराखंड के लेखाकार सौरभ सिंह ने बताया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में उपभोक्ताओं के अधिकार की जानकारी दी गई है. मुख्य रूप से उपभोक्ताओं के अधिकार संबंधित 6 बिंदुओं पर फोकस किया गया है.
1. उपभोक्ताओं को सुरक्षा का अधिकार है, जिसके तहत उपभोक्ता को अपने हितों की सुरक्षा को देखते हुए बाजार में मौजूद उत्पादों की गुणवत्ता को जानने का अधिकार है.
2. उपभोक्ता को सूचित होने का अधिकार है, जिसके तहत मालों, उत्पादों, सेवा की क्वालिटी, मात्रा, शक्ति, शुद्धता, मानक और कीमत के बारे में जानने का अधिकार है.
3. उपभोक्ता को चयन करने का अधिकार है. उपभोक्ता को किसी भी उत्पाद या सेवा को लेने के दौरान उसे चयन करने का अधिकार है कि वो किस तरह का या किस कंपनी का उत्पादन लेना चाहता है.
4. उपभोक्ता को सुनवाई का अधिकार है, जिसके तहत उपभोक्ता को किसी भी तरह की दिक्कत या शिकायत के लिए बेहतर मंच मिलने का अधिकार है.
5. उपभोक्ता को समस्या के समाधान और कंपनसेशन का अधिकार है, जिसके तहत अगर उपभोक्ता को किसी भी प्रकार के शोषण की शिकायत करता है तो उसकी समस्या का समाधान और कंपनसेशन की मांग का भी अधिकार है.
6. उपभोक्ता को जागरूकता का अधिकार है, जिसके तहत उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने के लिए 'उपभोक्ता शिक्षा के अधिकार' का अधिकार है.
बीआईएस केयर एप्लीकेशन से जान सकते हैं प्रोडक्ट की जानकारियां: विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस पर भारतीय मानक ब्यूरो के रीजनल प्रमुख सौरभ तिवारी ने बताया कि भारतीय मानक ब्यूरो से सत्यापित जो उत्पाद बाजारों में उपलब्ध होते हैं, ऐसे में उपभोक्ता संरक्षण के लिए भारतीय मानक ब्यूरो ने तमाम तरह के एप्लीकेशन डेवलप किए गए हैं. जिसके माध्यम से उपभोक्ता आईएसआई सर्टिफाइड और बीआईएस सर्टिफाइड प्रोडक्ट को जान सकता है.
उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से बीआईएस केयर एप्लीकेशन में किसी भी उत्पाद के रजिस्ट्रेशन नंबर को डालते ही उससे जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध हो जाएगी. ऐसे में यह जानकारियां इस बात का प्रमाण होगी कि वो उत्पाद ठीक है, लेकिन अगर किसी उपभोक्ता को नंबर डालने के बाद भी कोई जानकारी नहीं मिलती है तो इससे यह पता चलेगा कि वो उत्पाद फेक यानी नकली है.
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में शिकायतों की स्थिति: साल 2002 में राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उत्तराखंड का गठन किया गया था. आयोग के गठन के बाद से 31 दिसंबर 2023 तक 63,663 शिकायतें मिली. जिसमें से 57,945 शिकायतों का निस्तारण किया जा चुका है, वहीं, 5,518 शिकायतें पेंडिंग पड़ी हुई है.
इन सभी शिकायतों में से राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उत्तराखंड को कुल 9,128 शिकायतें मिली. जिसमें से 7,915 शिकायतों का निस्तारण और 1,213 शिकायतें पेंडिंग पड़ी हुई है. इसके साथ ही सभी 13 जिलों में मौजूद जिला उपभोक्ता आयोग में कुल 54,535 शिकायतें दर्ज की गई है, जिसमें से 50,230 शिकायतों का निस्तारण और 4,305 शिकायतें पेंडिंग हैं.
जिलेवार आयोगों में शिकायतों की स्थिति-
- देहरादून जिला उपभोक्ता आयोग में 15,597 शिकायतें दर्ज हुई हैं. जिसमें से 14,086 शिकायतों का निस्तारण और 1,511 शिकायतें पेंडिंग पड़ी हुई है.
- हरिद्वार जिला उपभोक्ता आयोग में 11,760 शिकायतें दर्ज हुई हैं. जिसमें से 10,476 शिकायतों का निस्तारण और 1,284 शिकायतें पेंडिंग पड़ी हुई है.
- अल्मोड़ा जिला उपभोक्ता आयोग में 3,649 शिकायतें दर्ज हुई है. जिसमें से 3,124 शिकायतों का निस्तारण और 525 शिकायतें पेंडिंग पड़ी हुई है.
- उधमसिंह नगर जिला उपभोक्ता आयोग में 4,172 शिकायतें दर्ज हुई है. जिसमें से 3,864 शिकायतों का निस्तारण और 308 शिकायतें पेंडिंग पड़ी हुई है.
- नैनीताल जिला उपभोक्ता आयोग में 6,839 शिकायतें दर्ज हुई है. जिसमें से 6,675 शिकायतों का निस्तारण और 164 शिकायतें पेंडिंग पड़ी हुई है.
- चमोली जिला उपभोक्ता आयोग में 1,698 शिकायतें दर्ज हुई है. जिसमें से 1596 शिकायतों का निस्तारण और 102 शिकायतें पेंडिंग पड़ी हुई है.
- पौड़ी जिला उपभोक्ता आयोग में 2,351 शिकायतें दर्ज हुई है. जिसमें से 2262 शिकायतों का निस्तारण और 89 शिकायतें पेंडिंग पड़ी हुई है.
- उत्तरकाशी जिला उपभोक्ता आयोग में 2,646 शिकायतें दर्ज हुई है. जिसमें से 2,559 शिकायतों का निस्तारण और 87 शिकायतें पेंडिंग पड़ी हुई है.
- पिथौरागढ़ जिला उपभोक्ता आयोग में 1,833 शिकायतें दर्ज हुई है. जिसमें से 1,777 शिकायतों का निस्तारण और 56 शिकायतें पेंडिंग पड़ी हुई है.
- बागेश्वर जिला उपभोक्ता आयोग में 591 शिकायतें दर्ज हुई है. जिसमें से 536 शिकायतों का निस्तारण और 55 शिकायतें पेंडिंग पड़ी हुई है.
- चंपावत जिला उपभोक्ता आयोग में 318 शिकायतें दर्ज हुई है. जिसमें से 271 शिकायतों का निस्तारण और 47 शिकायतें पेंडिंग पड़ी हुई है.
- टिहरी गढ़वाल जिला उपभोक्ता आयोग में 2,556 शिकायतें दर्ज हुई है. जिसमें से 2,514 शिकायतों का निस्तारण और 42 शिकायतें पेंडिंग पड़ी हुई है.
- रुद्रप्रयाग जिला उपभोक्ता आयोग में 525 शिकायतें दर्ज हुई है. जिसमें से 490 शिकायतों का निस्तारण और 35 शिकायतें पेंडिंग पड़ी हुई है.
कब हुई विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस की शुरुआत: विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाने को लेकर 15 मार्च 1962 में तात्कालिक अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने अमेरिकी कांग्रेस के सामने उपभोक्ता अधिकारों की बात रखी थी. जॉन एफ कैनेडी विश्व के पहले ऐसे नेता थे, जिन्होंने उपभोक्ता अधिकारों की बात उठाई थी. इसके बाद वर्ल्ड कंज्यूमर राइट डे मनाने की शुरुआत पहली बार 1983 में हुई थी.
इसके बाद से हर साल 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस साल 2024 में कंज्यूमर इंटरनेशनल ने विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस को मनाने की थीम 'उपभोक्ताओं के लिए निष्पक्ष और जिम्मेदार एआई' (Fair and responsible AI for consumers) रखा है.
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