वाराणसी : यूपी में पहली बार एक अनूठा आयोजन वाराणसी में होने जा रहा है. इसमें देश के अलावा विदेश में मौजूद 51 शक्तिपीठों के साथ द्वादश ज्योतिर्लिंग के प्रबंधक और पुजारी हिस्सा लेंगे. इनमें पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश आदि देश शामिल हैं. इन पवित्र स्थानों की देखरेख करने वालों को एकजुट करने की कवायद शुरू की गई है. 30 नवंबर से 1 दिसंबर तक आयोजित होने वाले कार्यक्रम में कुल 400 संत-महंत जुटेंगे.
इन देशों और राज्यों से आएंगे साधु-संत : महा समागम का आयोजन सेंटर फॉर सनातन रिसर्च और ट्राइडेंट सेवा समिति ट्रस्ट की तरफ से रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में 30 नवंबर से 1 दिसंबर तक कार्यक्रम होगा. आयोजक डॉ. रमन त्रिपाठी ने बताया कि मां सती के 51 शक्तिपीठों और द्वादश ज्योतिर्लिंगों के इस महान समागम में भारत समेत श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर समेत कई स्थानों से 400 साधु-संत, पीठाधीश्वर और इन पवित्र स्थान से जुड़े महंत और प्रबंधन समिति के लोग शामिल होंगे.
29 नवंबर को निकलेगी कलशयात्रा : अभी तक 700 से ज्यादा रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरे हो चुके हैं. 2000 से ज्यादा पेंडिंग पड़े हुए हैं. डॉ. रमन त्रिपाठी का कहना है कि 29 नवंबर को चितरंजन पार्क से काशी विश्वनाथ धाम तक कलशयात्रा का आयोजन होगा. 30 तारीख को रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में महासमागम का उद्घाटन होगा. इसमें उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक मुख्य अतिथि होंगे. 1 दिसंबर को समापन समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने की संभावना है. पहले दिन 101 ब्राह्मण के साथ मंगलाचरण और भाव डमरू और शंकर की ध्वनि के साथ सनातन की आवाज बुलंद की जाएगी.
कई चुनौतियों पर होगा मंथन : डाॅ. रमन त्रिपाठी ने बताया कि केंद्र पर सनातन रिसर्च के इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अनेकों माध्यम से सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करते हुए रचनात्मक कार्यों के जरिए लोगों तक सनातन धर्म के मूल्य धाम दर्शन और संस्कारों को पहुंचना है. अभी तक इन सभी शक्तिपीठों में आपसी सामंजस्य नहीं है, न ही द्वादश ज्योतिर्लिंगों के बीच आपसी सामंजस्य है. आयोजन में आने वाले शक्तिपीठों के प्रमुख और संतों की मौजूदगी में शक्तिपीठ और द्वादश ज्योतिर्लिंगों के प्रबंधन में मौजूद चुनौतियों पर चर्चा होगी.
इसमें पवित्र स्थान पर हो रहे अतिक्रमण, धार्मिक स्वतंत्रता, धन की जरूरत, भ्रष्टाचार, सुरक्षा और पवित्रता स्वच्छता के साथ ही मंदिरों पर हो रहे सरकारी हस्तक्षेप को खत्म करने की आवाज बुलंद की जाएगी. इसके अलावा जर्जर हो चुके मंदिरों के मरम्मत और दोनों केदार के साथ ही यहां आने वाले चढ़ावे का उपयोग धार्मिक कार्यों और शिक्षा समेत चिकित्सा में करने पर मंथन किया जाएगा.