बागेश्वर: उत्तराखंड में लगातार मानव वन्यजीव संघर्ष बढ़ते चले जा रहे हैं. यह संघर्ष कैसे कम हो, इसके लिए राज्य सरकार की पहल पर वन विभाग लगातार जन जागरूकता के साथ-साथ कार्यशाला आयोजित कर रहा है. इसी क्रम में पिछले कुछ वर्षों में बागेश्वर में भी मानव वन्यजीव संघर्ष बढ़ा है. ऐसे में छात्रों को चित्रों के माध्यम से मानव वन्यजीव संघर्ष और गुलदार के बदलते स्वभाव और आवास के बारे में अवगत कराया गया.
बच्चों ने सीखे वन्यजीवों के हमलों से बचने के तरीके: कार्यशाला में वन विभाग के अधिकारियों और विशेषज्ञों ने गुलदार, बाघ और अन्य वन्य जीवों के इंसानों पर हमले के कारण, उनसे निपटने के तरीके और मानव वन्यजीव संघर्ष कम करने को लेकर जानकारी दी. साथ ही अपनी सहभागिता जैसे अहम मुद्दों पर अपनी राय रखी. इसके अलावा मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को कंट्रोल करने के बारे में बताया गया. लिविंग विद लेपर्ड जैसे मुद्दों पर वन कर्मियों और विशेषज्ञों ने छात्रों के साथ जानकारी साझा कर उन्हें वन्यजीवों के हमलों से बचने के तरीके बताए.
बच्चे बोले गुलदार के आवास और स्वभाव को समझना महत्वपूर्ण: वन पंचायत सरपंच संगठन के प्रदेश अध्यक्ष पूरन रावल ने कहा कि जंगल में लग रही आग की घटनाओं को कम करना होगा. जिससे वन्य जीव आराम से अपने घरों में रह सकें और वह मानव जीवन को प्रभावित ना करें. उन्होंने कहा कि बच्चों को बताया गया कि वन नहीं होंगे तो जानवर नहीं होंगे और जानवर नही होंगे तो वन नहीं होंगे. वहीं, छात्रों ने बताया कि गुलदार के आवास और स्वभाव को समझना सबसे महत्वपूर्ण काम है, इसके लिए हमे अपने आसपास के वातावरण को साफ रखना होगा.
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