देहरादून: उत्तराखंड में जड़ी बूटियों के विकास को लेकर राज्य सरकार मिशन मोड पर काम कर रही है. इस दिशा में वन पंचायतों की महत्वपूर्ण भूमिका है और इसलिए वन पंचायत में जड़ी बूटी की खेती और निजी भूमि पर एरोमा पार्क जैसे प्रोजेक्ट को कैसे बेहतर तरीके से धरातल पर उतारा जाए इसके लिए विचार किया जा रहा है. इस दिशा में वन पंचायत से जुड़े तमाम वनाधिकारी और प्रतिनिधियों को योजना से जुड़ी जानकारियों को दिया जा रहा है.
इसी दिशा में देहरादून में वन पंचायतों में जड़ी बूटी की खेती को लेकर कार्यशाला की गई, जिसमें वन पंचायत क्षेत्र के साथ ही प्राइवेट लैंड पर भी इससे जुड़े प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने से जुड़ी जानकारी तमाम हितधारकों के साथ साझा की गई. कार्यशाला में प्रदेश भर के वन विभाग के अधिकारी और वन पंचायत के प्रतिनिधि भी ऑनलाइन जुड़े. बैठक को प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन की अध्यक्षता में किया गया और इस दौरान उन्होंने विभिन्न जड़ी बूटियों की जानकारियां दी, साथ ही इसकी बाजार में मांग के बारे में बताया गया.
उत्तराखंड में कुल 11217 वन पंचायतें है और इसमें मौजूद विभिन्न प्रतिनिधियों को जोड़कर जड़ी बूटी के क्षेत्र में विभिन्न योजनाओं को आगे बढ़ाने की कोशिश हो रही है. इसके लिए फेडरेशन स्तर पर योजना के लिए काम किया जाएगा जिसमें स्टेट लेवल फेडरेशन का गठन होगा जो कि पूरे प्रदेश में योजना की स्थिति को देखेंगी. उधर जिला स्तर पर कलस्ट्रल लेवल फेडरेशन का गठन किया जाएगा जिससे जिलों के स्तर पर होने वाले कामों की भी मॉनिटरिंग की जा सके.
गौर हो कि, उत्तराखंड में रोजगार के अवसर बढ़ाने और जड़ी बूटी के क्षेत्र में मौकों को तलाशने के लिए न केवल भारत सरकार बल्कि उत्तराखंड की धामी सरकार भी विभिन्न योजनाओं को शुरू करने की कोशिशें कर रही है. जड़ी बूटियों के क्षेत्र में वन पंचायत का अहम योगदान माना जाता है, और इसलिए वन पंचायत प्रतिनिधियों के माध्यम से इस सेक्टर में कार्यों को आगे बढ़ाने के प्रयास किए जाते हैं.
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