कोडरमा: जिले में ढिबरा स्क्रैप मजदूर संघ की 12 फरवरी से शुरू हुई अनिश्चितकालीन हड़ताल आज 11वें दिन भी जारी है. ढिबरा व्यवसाय को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से बनाये गये नियमों को लागू करने की मांग को लेकर ढिबरा मजदूर हड़ताल पर बैठ कर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं.
बता दें कि वन अधिनियम लागू होने के बाद अभ्रक खदानें बंद हो गयी थीं. जिसके बाद वन क्षेत्र में रहने वाले मजदूर खदानों के बाहर बेकार समझकर फेंके गए ढिबरा को चुनकर अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में प्रशासन की सख्ती के कारण ढिबरा चुनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. जिसके कारण जंगलों में रहने वाले मजदूरों के सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गयी है.
2022 में भी मजदूरों ने किया था हड़ताल
हालांकि, 2022 में भी ये मजदूर इसी तरह हड़ताल पर बैठे थे, जिसके बाद हेमंत सरकार ने इस व्यवसाय को पुनर्जीवित करने के लिए नियम बनाए थे, लेकिन नियम आज तक लागू नहीं किए गए हैं. इधर, लंबे इंतजार के बाद भी नियम लागू नहीं होने पर जब इन मजदूरों का धैर्य टूट गया तो उन्होंने फिर से आंदोलन का रुख अख्तियार कर लिया. 12 फरवरी से ये कर्मी कोडरमा समाहरणालय के समक्ष धरना पर बैठे हैं. ढिबरा व्यवसाय बंद होने से जिले के करीब 20 पंचायतों के सैकड़ों गांवों के अलावा नगर परिषद और नगर पंचायत क्षेत्र के लोग भी प्रभावित हो रहे हैं.
कर्मियों का नेतृत्व कर रहे यूनियन अध्यक्ष कृष्णा सिंह घटवार ने कहा कि उनका आंदोलन मजबूत होता जा रहा है. 11वें दिन भी इस धरने में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हैं, जो यह बताने के लिए काफी है कि जब तक उनकी आवाज नहीं सुनी जाएगी, वे इसी धरने पर बैठी रहेंगी.
सांसद ने राज्य सरकार पर साधा निशाना
इस मामले को लेकर स्थानीय सांसद और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने मजदूरों के आंदोलन को लेकर राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि ढिबरा को प्रमुख खनिज से लघु खनिज में शामिल किया गया है. इसमें निर्णय लेने का अधिकार राज्य सरकार को है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं किये जाने के कारण राज्य सरकार ढिबरा को लेकर कोई नीति नहीं बना पायी है. जिसके कारण मजदूर धरने पर बैठे हैं. उन्होंने राज्य सरकार को मजदूर विरोधी बताया है.
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