पटना: रबी की फसल की कटाई के बाद राजधानी पटना के ग्रामीण इलाकों में गरमा धान की रोपाई शुरू हो गई है. किसान गरमा धान की रोपाई कम समय और कम लागत में अधिक मुनाफा के लिए अपने खेतों में करते हैं. मसौढ़ी में महिलाएं पारंपरिक गीत गाकर गरमा धान की रोपाई करने में जुट गई हैं.
120 दिन में धान तैयार: किसानों का कहना है कि रबी की फसल कटने के बाद खेत खाली रह जाते हैं, ऐसे में खाली खेत को खाली ना छोड़कर गरमा धान की रोपाई करते हैं ताकि कुछ ज्यादा मुनाफा कमा सकें. गरमा धान की कम समय में कटाई भी हो जाती हैं. हालांकि गर्मी के दिन में पानी के लिए थोड़ी परेशानी जरूर होती है, लेकिन महज 120 दिन में यह धान पककर तैयार हो जाता है और फिर उसके बाद बरसात वाली धान की रोपनी शुरू कर देते हैं.
एक ही खेत में तीन बार फसल: मसौढ़ी प्रखंड के जगपुरा गांव के किसान सीताराम सिंह का कहना है कि एक ही खेत में तीसरी फसल का फायदा किसानों को होता है. अपने एक हेक्टेयर के खेत में उन्होंने भी गरमा धान लगाया है और दूसरे किसानों को भी गरमा धान लगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
"गरमा धान गर्मी की दिनों में उपजने वाला फसल है. किसान इसे लगाकर कम लागत और कम समय में आत्मनिर्भर बन सकते हैं. वैसे भी रबी की फसल की कटाई के बाद खेत खाली ही रह जाते हैं, जिसका फायदा किसानों को उठाना चाहिए. हमने 1 हेक्टेयर में गरमा धान की रोपाई की है."- सीताराम सिंह, किसान
गरमा धान से कम समय में अच्छी कमाई: कम समय में कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला यह गरमा धान है. इसकी रोपाई अप्रैल-मई के महीने में की जाती है. उस वक्त रबी सीजन खत्म हो जाता है. ऐसे में खाली पड़े खेत में किसान गरमा धान लगाते हैं और कम समय में यानी 90 दिनों में ही सुनहरे रंग के साथ धान तैयार हो जाती है. जुलाई महीने में धान को काट दिया जाता है.
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