मथुराः भगवान श्रीकृष्ण की नगरी ब्रज में होली को लेकर चारों तरफ धूम मची हुई है. कृष्ण की नगरी में होली महोत्सव को लेकर गुलाल और रंगों की खुमारी श्रद्धालुओं पर चढ़ने लगी है. होली के अनेक रंग ब्रज में देखने को मिलते हैं. वृंदावन के मंदिरों में होली से जुड़े आयोजन प्रतिदिन हो रहे हैं. राधा रानी के जन्मस्थली बरसाना में लट्ठमार होली को लेकर प्राचीन लठ और ढाल तैयार हो चुकी है. बरसाना की रंगीली गलियों में महिलाएं प्राचीन लाठी को तेल पिलाने में लगी हुई है. लट्ठ को आकर्षक सुंदर बनाने के लिए मजबूत कर रही है. वहीं, दूसरी तरफ कस्बे में रंग-बिरंगे ढाल तैयार किया जा रहे हैं. महिलाएं लट्ठमार होली खेलने के लिए एक महीने से तैयारी कर रही हैं. लहंगा चुन्नी की खरीदारी के साथ ही सुबह-शाम स्पेशल डाइट भी ले रही हैं. 18 मार्च को नंद गांव के हुरियारे बरसाना पहुंचेगे और रंगीली गलियों में लट्ठमार होली खेली जायेगी.
सदियों से चली आ रही परंपरा
बता दें कि नंद गांव के ग्वाला बरसाना की गोपिकाएं प्रेम भाव की लट्ठमार होली सदियों से खेलते आ रहे हैं. पौराणिक मान्यता है कि जब कान्हा बरसाना आए थे गोपिकाओं के साथ-राधा कृष्ण ने लीलाएं की. उन्हीं में से एक लट्ठमार होली की परंपरा चली आ रही है. लट्माठर होली के दिन नंद गांव के ग्वाला धोती कुर्ता और बगल बंदी सिर पर टोपी हाथ में ढाल लेकर बरसाना पहुंचते हैं. वहीं, बरसाना की गोपिकाएं लहंगा-चुन्नी के साथ सोलह श्रृंगार करके और हाथ में चमचमती हुई लाठी लेकर पहुंचती हैं. इसके बाद बरसाना राधा रानी मंदिर लट्ठमार होली खेली जाती है.
हुरियारिन सुबह-शाम कर रही दूध-घी का सेवन
आशा हुरियारिन ने बताया कि लट्ठमार होली खेलने को लेकर तैयारी की जा रही है. हम लोगों के लठ पूरी तरह से तैयार हैं. हम लोगों ने अपनी डाइट के लिए दूध और घी का सेवन सुबह शाम कर रहे हैं. ताकि लठमार होली खेलने के लिए मजबूती के साथ आनंद लेंगे. शोभा हुरियारिन ने बताया पिछले कई वर्षों से बरसाना में हम लोग लठमार होली खेलने आ रहे हैं. इस बार भी तैयारी पूरी है. होली खेलने को लेकर हम लोगों ने बाजार से लहंगा चुन्नी की खरीदारी की है. नीलम कटरा हुरियारिन पिछले 12 वर्ष से बरसाना में लट्ठमार होली खेलती आ रही हैं. होली खेल कर बहुत अच्छा लगता है. नंद गांव के हुरियारे बरसाना आते हैं और हम लोग रंगीली गलियों में अपने लठ के साथ तैयार रहते हैं. जैसे हुरियारे ढाल लेकर गलियों से निकलते हैं, हम लाठियां बरसाते हैं. हुरियारे अपना बचाव ढाल से करते हैं. प्रेम भाव से लट्ठमार होली खेली जाती है.
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