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झूसी स्टेशन भगदड़ में बिहार की गायत्री की मौत, समय पर इलाज नहीं मिलने का परिजनों ने लगाया आरोप - JHUSI STATION STAMPEDE

प्रयागराज के झूसी स्टेशन में भीड़ के कारण मची भगदड़ में औरंगाबाद की महिला की मौत हो गई. परिजनों ने व्यवस्था पर सवाल उठाए.

Aurangabad woman died in Prayagraj
औरंगाबाद की महिला की मौत (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 31, 2025, 4:18 PM IST

Updated : Jan 31, 2025, 5:13 PM IST

गया: प्रयागराज के झूसी में मची भगदड़ में बिहार के औरंगाबाद की एक महिला की मौत हुई है. महिला की पहचान औरंगाबाद जिले के ओबरा थाना के पकड़ी गांव के रमेश सिंह की 50 वर्षीय पत्नी गायत्री देवी के रूप में हुई है. रमेश सिंह चेन्नई में निजी नौकरी में हैं.

औरंगाबाद की महिला की मौत: गायत्री देवी के भतीजे राजेश ने बताया कि घटना कुंभ भगदड़ में नहीं बल्कि झूसी रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में हुई है. गायत्री देवी अपने परिवार के 10 सदस्यों के साथ महाकुंभ में स्नान के लिए 25 जनवरी को प्रयागराज गई थी. उनके साथ उनके भतीजे राजेश कुमार भी थे. राजेश कुमार गया समाहरणालय में स्थित भूअर्जन विभाग में लिपिक के पद पर नियुक्त हैं.

Aurangabad woman died in Prayagraj
झूसी स्टेशन भगदड़ में औरंगाबाद की महिला की मौत (ETV Bharat)

प्रशासन पर गंभीर आरोप: वहीं प्रयागराज के झूसी स्टेशन पर मची भगदड़ में औरंगाबाद की गायत्री देवी की मौत ने प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोल दी है. राजेश कुमार ने बताया कि झूसी स्टेशन पर ट्रेन पकड़ने के दौरान मची भगदड़ में उनकी चाची की जान चली गई.

बहू को सास के शव मिलने का इंतजार : सास की मौत का सदमा लिए बहू आभा देवी अब शव को बिहार ले जाने के लिए कई परेशानी झेल रही हैं. उनका कहना है कि पैसा सामान सब गायब है. बिना पैसे के एंबुलेंस वाला शव ले जाने के लिए तैयार नहीं है. बिहार से आई हूं, पैसे क्या अब वहां से मंगवाना पड़ेगा. क्या अपना देह बेच कर पैसा दें.

"600 रुपया वहां दिए, 200 वहां दिए अब जान खाईयेगा. आप लोगों को मदद करना चाहिए, मेरा परिवार चला गया, बच्चे स्टेशन पर भूखे प्यासे हैं. सरकार मदद नहीं कर रही है. 10 हजार का एंबुलेंस करो तब जाओ. अब जान खा जाइये. हर कोई जानता है. सरकार है, सरकार के पास गाड़ी है. एक तो मर गए, उस पर इन्हें पैसे चाहिए."- आभा देवी, मृतका की बहू

Aurangabad woman died in Prayagraj
मौत का मंजर..परेशान परिजन (ETV Bharat)

25 को गई थीं कुंभ: गायत्री देवी अपने परिवार के 10 सदस्यों के समेत गांव के लोगों के साथ 25 जनवरी को कुंभ में स्नान करने गई थी. परिवार में मृत्युंजय कुमार (35 वर्ष) , रीना देवी (45 वर्ष), धर्मेंद्र कुमार (45 वर्ष), निर्मला देवी (40 वर्ष), आशा देवी (52 वर्ष) सुप्रिया कुमारी (14 वर्ष) और विनीता देवी आदि शामिल थे, जो कुंभ में स्नान करने के लिए प्रयागराज गए थे.

29 को मची भगदड़: गायत्री देवी के भतीजे राजेश कुमार ने बताया कि कुंभ में मची भगदड़ में परिवार के सारे लोग बच कर निकल गए. इस दौरान पुलिस ने सभी को स्टेशन पर जाने की सलाह दी,, लेकिन स्टेशन पर भी काफी भीड़ थी. किसी तरह गायत्री देवी अपने परिवार के साथ स्टेशन पर पहुंचीं. इसके बाद भीड़ से रास्ता निकालते हुए पूरा परिवार प्लेट फॉर्म नंबर एक पर पहुंचा.

Aurangabad woman died in Prayagraj
झूसी रेलवे स्टेशन में भीड़ (ETV Bharat)

"स्टेशन पर सभी गाड़ी ओवरलोड होकर पहले से पहुंच रही थी. इस कारण कई ट्रेन छूट गई, लेकिन हमलोग बैठ नहीं सके. एक ट्रेन में किसी तरह चढ़ने की कोशिश की. इसी दौरान अफरातफरी में भगदड़ मच गई, लेकिन फिर भी हम लोग आरपीएफ के जवानों के सहयोग से बोगी में चढ़ गए. तभी देखा चाची गायत्री देवी दबकर घायल हो गई हैं." - राजेश कुमार, मृतका गायत्री देवी के भतीजे

RPF के जवानों ने ट्रेन से बाहर निकाला: राजेश ने आगे बताया कि ''परिवार के लोगों और चाची को ट्रेन से आरपीएफ के जवानों के सहयोग से बाहर निकाला गया. ट्रेन से उतरने के बाद भी उनकी सांसे चल रही थी. परिवार के अन्य लोगों को स्टेशन पर छोड़कर उन्होंने घायल चाची को रेलवे के अस्पताल में भर्ती कराया.''

'ऑक्सीजन मिलता तो बच जाती चाची': राजेश कुमार ने कहा, ''वक्त पर अगर उनकी चाची को ऑक्सीजन मिल जाता तो वह बच जाती. उन्हें सांस लेने में समस्या हो रही थी. जब रेलवे के अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया तब वहां डॉक्टरों ने बताया कि इन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है और अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं है. स्टेशन के पास ही स्थित रेलवे अस्पताल ने उन्हें प्रयागराज के मोती लाल नेहरू अस्पताल रेफर कर दिया.''

Aurangabad woman died in Prayagraj
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

'एंबुलेंस ड्राइवर रास्ते में उतरने का बना रहा था दबाव': उन्होंने बताया कि ''जब रेलवे अस्पताल से चाची को लेकर मोतीलाल नेहरू अस्पताल के लिए निकले तब रास्ते में एम्बुलेंस के कर्मचारियों ने उतरने को कहा. उन्होंने कहा कि उनके मरीज की मौत हो चुकी है. वह अस्पताल लेकर नहीं जाएं, लेकिन हम जब उतरने को तैयार नहीं हुए तो उसने गाड़ी खड़ा कर दी और कहा कि वह आगे नहीं जाएगा. इसके बाद उन्होंने प्रयागराज के डीएम से बात की तब जाकर उनकी चाची को मोतीलाल नेहरू अस्पताल पहुंचाया गया.''

स्टेशन पर गुजरी रात: मृतक महिला की परिजन आभा देवी ने कहा कि ''घटना उस समय हुई जब वह लोग ट्रेन पकड़ रही थी. हमारे पति हमारी सास गायत्री देवी को लेकर अस्पताल चले गए थे. हम लोग स्टेशन पर रुके थे. हमारे पास पैसे नहीं थे, क्योंकि पहले ही पति के पास से पैसे चोरी हो गए थे. कोई उनकी सुनने वाला नहीं था. परेशानी की हालत में सभी थे. 24 घंटे से अधिक समय तक हम सब भूखे रहे.''

पैसे की हुई थी चोरी: घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. जिसमें दो महिलाएं रो रोकर घटना के बारे में बता रही हैं. पैसे नहीं होने पर शव पड़े रहने की भी बात कर रही हैं. विमला देवी बताती हैं कि वो इतनी घबराई हुई थी कि कुछ समझ में नहीं आर रहा था कि क्या करें. मृतक महिला उनकी गोतनी थी. स्टेशन पर वे लोग परेशान थी.

"कोई कुछ बताने को तैयार नहीं था कि क्या करें. शव ले जाने के लिए एंबुलेंस वाला अधिक पैसा मांग रहा था और हमारे पास पैसे नहीं थे. घर से परिजन पैसे लेकर पहुंचे तब शव लेकर बनारस आए, सरकारी कोई व्यवस्था नहीं थी."- विमला देवी, मृतक महिला की गोतनी

बनारस में हुआ अंतिम संस्कार: राजेश कुमार ने बताया कि ''मौत के बाद शव को अस्पताल के मोर्चरी में रखा गया था. अस्पताल के लोगों ने उन्हें काफी दौड़ाया. पोस्टमार्टम के लिए एफआईआर दर्ज करने को कहा, लेकिन जब वो कोतवाली थाने में गए तो उन्हें यह कहकर वापस कर दिया गया कि केस रेलवे का है, इसलिए वहां जाकर संपर्क करें.''

"जब वो रेलवे थाना पहुंचे तो वहां से जवाब मिला कि केस मेडिकल के पास स्थित कोतवाली थाना में होगा. इसी भाग दौड़ में रात गुजरी, लेकिन केस दर्ज नहीं हुआ जिसके कारण समय पर शव का पोस्टमार्टम नहीं हुआ." - राजेश कुमार, मृतका गायत्री देवी के भतीजे

आईजी के आदेश पर हुआ पंचनामा: राजेश ने बताया के ''उन्होंने प्रयागराज के आईजी से संपर्क किया जिसके बाद शव का पोस्टमार्टम हुआ और पंचनामा भी पुलिस ने किया. 9000 में एंबुलेंस बुक कर वह बनारस तक शव और परिवार को लेकर पहुंचे. रात में ही बनारस में अंतिम संस्कार किया है. घटना 29 जनवरी की है और आज ही वह बनारस से परिवार के साथ घर पहुंचे हैं.''

समय पर इलाज होता तो बच जाती जान : उन्होंने बताया कि ''पोस्टमार्टम के लिए भी उन्हें वहां अस्पताल में पैसे देने पड़े थे. उन्होंने ऑनलाइन पैसे दिए थे. सरकारी व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं था. जब तक प्रशासन ऐसी घटनाओं से सबक लेकर ठोस कदम नहीं उठाता तब तक श्रद्धालु ऐसे हादसे के शिकार होते रहेंगे. उन्होंने कहा कि अगर स्टेशन पर समय पर चिकित्सा और ऑक्सीजन मिल जाता तो उनकी चाची की जान बच जाती.''

बिहार के 12 श्रद्धालुओं की मौत: बता दें कि महाकुंभ के दौरान हुए भगदड़ में बिहार के 12 श्रद्धालुओं की भी मौत हुई है. हालांकि अभी भी कई लोग लापता हैं, जिसके बारे में परिजनों को सूचना नहीं मिल पाई है.

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गया: प्रयागराज के झूसी में मची भगदड़ में बिहार के औरंगाबाद की एक महिला की मौत हुई है. महिला की पहचान औरंगाबाद जिले के ओबरा थाना के पकड़ी गांव के रमेश सिंह की 50 वर्षीय पत्नी गायत्री देवी के रूप में हुई है. रमेश सिंह चेन्नई में निजी नौकरी में हैं.

औरंगाबाद की महिला की मौत: गायत्री देवी के भतीजे राजेश ने बताया कि घटना कुंभ भगदड़ में नहीं बल्कि झूसी रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में हुई है. गायत्री देवी अपने परिवार के 10 सदस्यों के साथ महाकुंभ में स्नान के लिए 25 जनवरी को प्रयागराज गई थी. उनके साथ उनके भतीजे राजेश कुमार भी थे. राजेश कुमार गया समाहरणालय में स्थित भूअर्जन विभाग में लिपिक के पद पर नियुक्त हैं.

Aurangabad woman died in Prayagraj
झूसी स्टेशन भगदड़ में औरंगाबाद की महिला की मौत (ETV Bharat)

प्रशासन पर गंभीर आरोप: वहीं प्रयागराज के झूसी स्टेशन पर मची भगदड़ में औरंगाबाद की गायत्री देवी की मौत ने प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोल दी है. राजेश कुमार ने बताया कि झूसी स्टेशन पर ट्रेन पकड़ने के दौरान मची भगदड़ में उनकी चाची की जान चली गई.

बहू को सास के शव मिलने का इंतजार : सास की मौत का सदमा लिए बहू आभा देवी अब शव को बिहार ले जाने के लिए कई परेशानी झेल रही हैं. उनका कहना है कि पैसा सामान सब गायब है. बिना पैसे के एंबुलेंस वाला शव ले जाने के लिए तैयार नहीं है. बिहार से आई हूं, पैसे क्या अब वहां से मंगवाना पड़ेगा. क्या अपना देह बेच कर पैसा दें.

"600 रुपया वहां दिए, 200 वहां दिए अब जान खाईयेगा. आप लोगों को मदद करना चाहिए, मेरा परिवार चला गया, बच्चे स्टेशन पर भूखे प्यासे हैं. सरकार मदद नहीं कर रही है. 10 हजार का एंबुलेंस करो तब जाओ. अब जान खा जाइये. हर कोई जानता है. सरकार है, सरकार के पास गाड़ी है. एक तो मर गए, उस पर इन्हें पैसे चाहिए."- आभा देवी, मृतका की बहू

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मौत का मंजर..परेशान परिजन (ETV Bharat)

25 को गई थीं कुंभ: गायत्री देवी अपने परिवार के 10 सदस्यों के समेत गांव के लोगों के साथ 25 जनवरी को कुंभ में स्नान करने गई थी. परिवार में मृत्युंजय कुमार (35 वर्ष) , रीना देवी (45 वर्ष), धर्मेंद्र कुमार (45 वर्ष), निर्मला देवी (40 वर्ष), आशा देवी (52 वर्ष) सुप्रिया कुमारी (14 वर्ष) और विनीता देवी आदि शामिल थे, जो कुंभ में स्नान करने के लिए प्रयागराज गए थे.

29 को मची भगदड़: गायत्री देवी के भतीजे राजेश कुमार ने बताया कि कुंभ में मची भगदड़ में परिवार के सारे लोग बच कर निकल गए. इस दौरान पुलिस ने सभी को स्टेशन पर जाने की सलाह दी,, लेकिन स्टेशन पर भी काफी भीड़ थी. किसी तरह गायत्री देवी अपने परिवार के साथ स्टेशन पर पहुंचीं. इसके बाद भीड़ से रास्ता निकालते हुए पूरा परिवार प्लेट फॉर्म नंबर एक पर पहुंचा.

Aurangabad woman died in Prayagraj
झूसी रेलवे स्टेशन में भीड़ (ETV Bharat)

"स्टेशन पर सभी गाड़ी ओवरलोड होकर पहले से पहुंच रही थी. इस कारण कई ट्रेन छूट गई, लेकिन हमलोग बैठ नहीं सके. एक ट्रेन में किसी तरह चढ़ने की कोशिश की. इसी दौरान अफरातफरी में भगदड़ मच गई, लेकिन फिर भी हम लोग आरपीएफ के जवानों के सहयोग से बोगी में चढ़ गए. तभी देखा चाची गायत्री देवी दबकर घायल हो गई हैं." - राजेश कुमार, मृतका गायत्री देवी के भतीजे

RPF के जवानों ने ट्रेन से बाहर निकाला: राजेश ने आगे बताया कि ''परिवार के लोगों और चाची को ट्रेन से आरपीएफ के जवानों के सहयोग से बाहर निकाला गया. ट्रेन से उतरने के बाद भी उनकी सांसे चल रही थी. परिवार के अन्य लोगों को स्टेशन पर छोड़कर उन्होंने घायल चाची को रेलवे के अस्पताल में भर्ती कराया.''

'ऑक्सीजन मिलता तो बच जाती चाची': राजेश कुमार ने कहा, ''वक्त पर अगर उनकी चाची को ऑक्सीजन मिल जाता तो वह बच जाती. उन्हें सांस लेने में समस्या हो रही थी. जब रेलवे के अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया तब वहां डॉक्टरों ने बताया कि इन्हें ऑक्सीजन की जरूरत है और अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं है. स्टेशन के पास ही स्थित रेलवे अस्पताल ने उन्हें प्रयागराज के मोती लाल नेहरू अस्पताल रेफर कर दिया.''

Aurangabad woman died in Prayagraj
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

'एंबुलेंस ड्राइवर रास्ते में उतरने का बना रहा था दबाव': उन्होंने बताया कि ''जब रेलवे अस्पताल से चाची को लेकर मोतीलाल नेहरू अस्पताल के लिए निकले तब रास्ते में एम्बुलेंस के कर्मचारियों ने उतरने को कहा. उन्होंने कहा कि उनके मरीज की मौत हो चुकी है. वह अस्पताल लेकर नहीं जाएं, लेकिन हम जब उतरने को तैयार नहीं हुए तो उसने गाड़ी खड़ा कर दी और कहा कि वह आगे नहीं जाएगा. इसके बाद उन्होंने प्रयागराज के डीएम से बात की तब जाकर उनकी चाची को मोतीलाल नेहरू अस्पताल पहुंचाया गया.''

स्टेशन पर गुजरी रात: मृतक महिला की परिजन आभा देवी ने कहा कि ''घटना उस समय हुई जब वह लोग ट्रेन पकड़ रही थी. हमारे पति हमारी सास गायत्री देवी को लेकर अस्पताल चले गए थे. हम लोग स्टेशन पर रुके थे. हमारे पास पैसे नहीं थे, क्योंकि पहले ही पति के पास से पैसे चोरी हो गए थे. कोई उनकी सुनने वाला नहीं था. परेशानी की हालत में सभी थे. 24 घंटे से अधिक समय तक हम सब भूखे रहे.''

पैसे की हुई थी चोरी: घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. जिसमें दो महिलाएं रो रोकर घटना के बारे में बता रही हैं. पैसे नहीं होने पर शव पड़े रहने की भी बात कर रही हैं. विमला देवी बताती हैं कि वो इतनी घबराई हुई थी कि कुछ समझ में नहीं आर रहा था कि क्या करें. मृतक महिला उनकी गोतनी थी. स्टेशन पर वे लोग परेशान थी.

"कोई कुछ बताने को तैयार नहीं था कि क्या करें. शव ले जाने के लिए एंबुलेंस वाला अधिक पैसा मांग रहा था और हमारे पास पैसे नहीं थे. घर से परिजन पैसे लेकर पहुंचे तब शव लेकर बनारस आए, सरकारी कोई व्यवस्था नहीं थी."- विमला देवी, मृतक महिला की गोतनी

बनारस में हुआ अंतिम संस्कार: राजेश कुमार ने बताया कि ''मौत के बाद शव को अस्पताल के मोर्चरी में रखा गया था. अस्पताल के लोगों ने उन्हें काफी दौड़ाया. पोस्टमार्टम के लिए एफआईआर दर्ज करने को कहा, लेकिन जब वो कोतवाली थाने में गए तो उन्हें यह कहकर वापस कर दिया गया कि केस रेलवे का है, इसलिए वहां जाकर संपर्क करें.''

"जब वो रेलवे थाना पहुंचे तो वहां से जवाब मिला कि केस मेडिकल के पास स्थित कोतवाली थाना में होगा. इसी भाग दौड़ में रात गुजरी, लेकिन केस दर्ज नहीं हुआ जिसके कारण समय पर शव का पोस्टमार्टम नहीं हुआ." - राजेश कुमार, मृतका गायत्री देवी के भतीजे

आईजी के आदेश पर हुआ पंचनामा: राजेश ने बताया के ''उन्होंने प्रयागराज के आईजी से संपर्क किया जिसके बाद शव का पोस्टमार्टम हुआ और पंचनामा भी पुलिस ने किया. 9000 में एंबुलेंस बुक कर वह बनारस तक शव और परिवार को लेकर पहुंचे. रात में ही बनारस में अंतिम संस्कार किया है. घटना 29 जनवरी की है और आज ही वह बनारस से परिवार के साथ घर पहुंचे हैं.''

समय पर इलाज होता तो बच जाती जान : उन्होंने बताया कि ''पोस्टमार्टम के लिए भी उन्हें वहां अस्पताल में पैसे देने पड़े थे. उन्होंने ऑनलाइन पैसे दिए थे. सरकारी व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं था. जब तक प्रशासन ऐसी घटनाओं से सबक लेकर ठोस कदम नहीं उठाता तब तक श्रद्धालु ऐसे हादसे के शिकार होते रहेंगे. उन्होंने कहा कि अगर स्टेशन पर समय पर चिकित्सा और ऑक्सीजन मिल जाता तो उनकी चाची की जान बच जाती.''

बिहार के 12 श्रद्धालुओं की मौत: बता दें कि महाकुंभ के दौरान हुए भगदड़ में बिहार के 12 श्रद्धालुओं की भी मौत हुई है. हालांकि अभी भी कई लोग लापता हैं, जिसके बारे में परिजनों को सूचना नहीं मिल पाई है.

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Last Updated : Jan 31, 2025, 5:13 PM IST
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