लखनऊ : यूपी के तराई क्षेत्रों में इन दोनों भेड़ियों का आतंक जारी है. खासकर बहराइच और सीतापुर में भेड़िए का आतंक बना है. बहराइच में भेड़िए ने 8 बच्चों समेत 10 लोगों की जान ली है, जबकि 37 लोगों को घायल किया है. सीतापुर में 1 सितंबर को ही भेड़िए 4 लोगों को घायल कर चुके हैं. ऐसे मामले सामने आए, जिसमें भेड़िया मां की गोद से बच्चे को छीनकर ले गया और अपना निवाला बनाया. इन घटनाओं ने दहशत का माहौल बना रखा है. भेड़ियों का अमावस की रात से खास कनेक्शन है, जिसमें वे ज्यादा खूंखार हो जाते हैं. इसीलिए लोगों की चिंता पहले से ज्यादा बढ़ गई है. आइए जानते हैं भेड़ियों और अमावस की रात में क्या है रिश्ता और क्यों इस काली रात इनका व्यवहार बदल जाता है.
काली रात शिकार के लिए माकूल: भेड़िए झुंड में ही शिकार करने निकलते हैं. एक दूसरे को एक खास तरह की आवाज निकालकर संदेश भी देते रहते हैं. ये अपने शिकार पर इस तरह नजर रखते हैं कि उसे पता भी नहीं चलता और फिर मौका मिलते ही हमला करते हैं. ये भेड़िए आम दिनों की अपेक्षा अमावस की रात कहीं ज्यादा खूंखार हो जाते हैं. एक आम मान्यता यह है कि अमावस्या पर सूर्य की शक्ति तेज होती है और इस वजह से रात में आसुरी शक्तियां बढ़ जाती हैं. यही वजह है कि हिंसक जानवर भी इस रात अपने स्वभाव में जबरदस्त परिवर्तन करते हैं और अन्य दिनों की तुलना में इस रात काफी उग्र हो जाते हैं. वहीं इनके इस व्यवहार पर एक्सपर्ट का कहना है कि इसका कारण है इस रात छाया स्याह अंधेरा. भेड़ियों के लिए यह शिकार का अच्छा मौका रहता है. बताते हैं कि भेड़िये की सूंघने की क्षमता 2 किमी तक रहती है और यह 60 किमी तक की रफ्तार से दौड़ सकता है.
देखने और सूंघने की अद्भुत क्षमता : वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट डॉ. उत्कर्ष शुक्ला बताते हैं कि अमावस की रात हर तरफ घना अंधेरा छाया रहता है. लेकिन भेड़ियों के देखने और सूंघने की की शक्ति अनोखी होती है. अमावस की रात भेड़िए एक खास तरह की आवाज निकालते हैं और अपने गैंग को बताते हैं कि शिकार करने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं. अमावस्या की रात काली होती है और अंधेरा शिकार के लिए माकूल रहता है. जबकि उन रातों में जब चांद की रोशनी ज्यादा रहती है, भेड़िए इस रात की तुलना में अपेक्षाकृत कम सक्रिय रहते हैं. बहरारइच में भी भेड़िए ने वहीं हमला किया, जहां बिजली नहीं थी और अंधेरा छाया था. हालांकि एक्सपर्ट यह मानते हैं कि इसका कोई प्रामाणिक आधार नहीं हैं.
भेड़िए के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
- भेड़िए को विलुप्तप्राय जीव माना गया है. हर साल 13 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय भेड़िया दिवस मनाया जाता है.
- भेड़िया दो किमी की दूरी से सुन और सूंघ सकता है. साथ ही हूंकने की इनकी आवाज 180 डेसिबल तक जा सकती है.
- भेड़िया अपने शिकार का लंबी दूरी तक पीछा करता है. यह 70 से 80 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ सकता है.
- भारत में करीब 3,000 भेड़िया बचे हैं. भारतीय भेड़िए को घोस्ट ऑफ ग्रासलैंड कहा जाता है.
- वैज्ञानिकों के मुताबिक भेड़िया कैनिडाए पशु परिवार का सबसे बड़े आकार वाला सदस्य है.
- कैनिस ल्यूपस की दो उप-प्रजातियां भारत में हैं. एक भारतीय ग्रे भेड़िया (कैनिस लूपस पैलिप्स) है, दूसरा ट्रांस-हिमालयी रेंज में पाया जाता है. इसे हिमालयी भेड़िया या तिब्बती भेड़िया कहा जाता है.
- भेड़िया अकेले शिकार नहीं करता बल्कि झुंड में निकलता है. भेड़िए के जबड़े इतने मजबूत होते हैं कि हड्डी भी चबा जाते हैं.
आज ही है अमावस्या की रात: भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का आरंभ 02 सितंबर 2024 को सुबह 05. 21 पर होगा और इसका समापन 03 सितंबर की सुबह 07 बजकर 54 मिनट पर होगा. 02 सितंबर को सोमवती अमावस्या और 03 को भौमवती अमावस्या मनाई जाएगी. लोक मान्यता में इसे निशाचरी रात यानी काली रात कहा जाता है.
बहराइच में दहशत का माहौल, स्कूल नहीं जा रहे बच्चे: बहराइच में हालत यह है कि गांवों में लोगों की रातें पहरा देने में कट रही हैं. बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. ग्रामीण खेतों में जाने से भी डर रहे हैं. वन विभाग की तत्परता के बावजूद भेड़िये गांवों पर धावा बोल दे रहे हैं. वन विभाग ने इससे निपटने के लिए कैमरा ट्रैप लगाए हैं. साथ ही भेड़ियों को पकड़ने के लिए न सिर्फ बाड़े लगाए गए हैं, बल्कि ड्रोन कैमरे से इन पर नजर भी रखी जा रही है. फिर भी अब तक सिर्फ 4 भेड़िए पकड़ा जा सके हैं.
60 टीमें कर रहीं सर्च: बहराइच बता दें कि भेड़ियों को पकड़ने के लिए पांच जिलों की वन विभाग की टीम लगी हुई हैं. रात-रात भर वन विभाग के साथ पुलिस भी गश्त करती रहती है. गांव-गांव पहुंचकर वनकर्मी गोले दगाते हैं और लाउड स्पीकर गाड़ियों में बांधकर रात-रात भर भेड़िया भागते हैं और गांव वालों को सतर्क रहने के लिए आवाज भी लगाते हैं. लगभग तीन दर्जन से अधिक लोगों को भेड़िया अभी तक घायल कर चुका है. भेड़ियों को पकड़ने के लिए पांच जिलों की 60 टीम लगाई गई हैं. गन्ने के खेत के किनारे किनारे वन विभाग ने जाल भी लगाया है. बावजूद इसके हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं.
बहराइच में ये गांव प्रभावितः मक्का पुरवा,पंडित पुरवा, औराही, नकवा ,जगीर, कोलैली, नथवापुर, दर्जिनपुरवा, बड़रिया, सिकंदरपुर,रकबा, मैकूपुरवा, सिंघिया, नसीरपुर, नयापुरवा, मिश्रिनपुरवा, भिट्टा, गलकारा, ननकार, समेत कछार के 35 गांव के ग्रामीणों में दहशत है. अधिकांश क्षेत्रफल में लगी गन्ने की फसल वन विभाग की टीम के सामने बड़ी चुनौती साबित हो रही है.
बहराइच में अभी तक 4 भेड़िए जरूर पकड़े जा चुके हैं लेकिन संगठित होकर शिकार करने के इनके व्यवहार के कारण माना जा रहा है कि इनकी संख्या कहीं ज्यादा है. फिलहाल 2 और भेड़िए नजर आए हैं. बहराइच के मुख्य वन संरक्षक रेनू सिंह बताते हैं कि दो और भेड़िए थर्मल ड्रोन में नजर आए हैं. इन दोनों को भी पकड़ने की पूरी तैयारी की जा रही है.