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बंदूक का लाइसेंस बनवाने पहुंचे युवक ने खुद को बताया डिप्टी एसपी, DM के सामने पहुंचते ही खुली पोल - KANPUR NEWS

कलक्ट्रेट में आयोजित जनता दर्शन में जिलाधिकारी फरियादियों की सुन रहे थे समस्याएं.

कानपुर जिलाधिकारी कार्यालय
कानपुर जिलाधिकारी कार्यालय (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 28, 2025, 2:31 PM IST

कानपुर : जिलाधिकारी कार्यालय में सोमवार को सनसनी मच गई. जनता दर्शन के दौरान खुद को पीपीएस अफसर बताने वाला एक युवक अपनी बंदूक का लाइसेंस बनवाने के लिए पहुंचा. जिलाधिकारी ने उसका परिचय पूछा तो उसने अपना नाम धर्मेंद्र शर्मा बताया. इस बीच डीएम को उस पर कुछ संदेह हुआ, जिसके बाद उन्होंने उसका आईकार्ड मांगा. आईकार्ड फर्जी लगने पर जिलाधिकारी ने आरोपी को पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस आरोपी को हिरासत में लेकर मामले की जांच कर रही है.


सोमवार को कलक्ट्रेट में आयोजित जनता दर्शन में जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह फरियादियों की रोजाना की तरह समस्याएं सुन रहे थे. इसी बीच जन सुनवाई के दौरान पहुंचे धर्मेंद्र शर्मा नाम के एक युवक ने डीएम कार्यालय के बाहर खड़े पुलिसकर्मियों को अपना परिचय डिप्टी एसपी के रूप में दिया. इसके बाद मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों ने उसे डीएम के पास भेज दिया. युवक से बातचीत के दौरान डीएम को उस पर कुछ संदेह हुआ, जिस पर उन्होंने उसका आईकार्ड मांगा.

आईकार्ड में धर्मेंद्र का पद प्रिंसिपल प्रोडक्ट ओनर ग्रेड-1 लिखा था, वहीं रैंक गजेटेड और जॉइनिंग डेट 27 जनवरी 2021 लिखी थी. आईकार्ड में वर्क टाइप में फाइनेंशियल फ्रॉड डिटेक्शन रिमोट पैन इंडिया और ऑर्गेनाइजेशन का नाम एफआईएस ग्लोबल बिजनेस सॉल्यूशंस लिखा था.

जिलाधिकारी को युवक पर शक तब हुआ जब कार्ड में भारत सरकार, साइबर क्राइम, पुलिस हरियाणा, गृह मंत्रालय समेत साइबर क्राइम यूनिट का लोगो बना देखा. इतना ही नहीं कार्ड पर चकेरी थाने की मोहर भी लगी मिली. फिलहाल पुलिस ने इस मामले में युवक को हिरासत में ले लिया है. पुलिस मामले की जांच पड़ताल में जुट गई है.

जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि, युवक के बातचीत के तरीके और आईकार्ड को देखने के बाद वह संदिग्ध लगा है. युवक को कचहरी चौकी इंचार्ज गणेश परासर के हवाले किया गया है. पुलिस के द्वारा उसके पते की और उसकी पूरी जांच पड़ताल की जा रही है. जांच के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी.

एडीएम सिटी डॉ राजेश कुमार ने बताया कि, जिलाधिकारी के द्वारा धर्मेंद्र नामक एक संदिग्ध युवक को पुलिस के हवाले सौंपा गया था. युवक के पास मिले सभी दस्तावेजों की गहनता से जांच पड़ताल की जा रही है. युवक के पास से जो आईकार्ड मिला है, उसके सत्यापन को लेकर गृह मंत्रालय व हरियाणा पुलिस को भेजा जाएगा.

मामले में एसीपी चकेरी दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि, आईकार्ड पर जो हस्ताक्षर मिले हैं उसको लेकर चकेरी थाना के पूर्व इंस्पेक्टर और वर्तमान इंस्पेक्टर से जब पूछताछ की गई तो उन्होंने इससे इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि आईकार्ड पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं. प्रथम दृष्टया हस्ताक्षर और मोहर दोनों ही फर्जी प्रतीत हो रहे हैं. फिलहाल पुलिस के द्वारा इस पूरे मामले की गहनता से जांच पड़ताल की जा रही है. जांच के दौरान जो भी तथ्य प्रकाश में आएंगे, उसके आधार पर आगे की कानूनी कार्यवाही की जाएगी.

यह भी पढ़ें : आजमगढ़ में 70 लाख लूट की घटना निकली फ़र्ज़ी, लोन और व्यापार में घाटे के चलते व्यापारी ने रची थी कहानी - FAKE ROBBERY RS 70 LAKH AZAMGARH

कानपुर : जिलाधिकारी कार्यालय में सोमवार को सनसनी मच गई. जनता दर्शन के दौरान खुद को पीपीएस अफसर बताने वाला एक युवक अपनी बंदूक का लाइसेंस बनवाने के लिए पहुंचा. जिलाधिकारी ने उसका परिचय पूछा तो उसने अपना नाम धर्मेंद्र शर्मा बताया. इस बीच डीएम को उस पर कुछ संदेह हुआ, जिसके बाद उन्होंने उसका आईकार्ड मांगा. आईकार्ड फर्जी लगने पर जिलाधिकारी ने आरोपी को पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस आरोपी को हिरासत में लेकर मामले की जांच कर रही है.


सोमवार को कलक्ट्रेट में आयोजित जनता दर्शन में जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह फरियादियों की रोजाना की तरह समस्याएं सुन रहे थे. इसी बीच जन सुनवाई के दौरान पहुंचे धर्मेंद्र शर्मा नाम के एक युवक ने डीएम कार्यालय के बाहर खड़े पुलिसकर्मियों को अपना परिचय डिप्टी एसपी के रूप में दिया. इसके बाद मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों ने उसे डीएम के पास भेज दिया. युवक से बातचीत के दौरान डीएम को उस पर कुछ संदेह हुआ, जिस पर उन्होंने उसका आईकार्ड मांगा.

आईकार्ड में धर्मेंद्र का पद प्रिंसिपल प्रोडक्ट ओनर ग्रेड-1 लिखा था, वहीं रैंक गजेटेड और जॉइनिंग डेट 27 जनवरी 2021 लिखी थी. आईकार्ड में वर्क टाइप में फाइनेंशियल फ्रॉड डिटेक्शन रिमोट पैन इंडिया और ऑर्गेनाइजेशन का नाम एफआईएस ग्लोबल बिजनेस सॉल्यूशंस लिखा था.

जिलाधिकारी को युवक पर शक तब हुआ जब कार्ड में भारत सरकार, साइबर क्राइम, पुलिस हरियाणा, गृह मंत्रालय समेत साइबर क्राइम यूनिट का लोगो बना देखा. इतना ही नहीं कार्ड पर चकेरी थाने की मोहर भी लगी मिली. फिलहाल पुलिस ने इस मामले में युवक को हिरासत में ले लिया है. पुलिस मामले की जांच पड़ताल में जुट गई है.

जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि, युवक के बातचीत के तरीके और आईकार्ड को देखने के बाद वह संदिग्ध लगा है. युवक को कचहरी चौकी इंचार्ज गणेश परासर के हवाले किया गया है. पुलिस के द्वारा उसके पते की और उसकी पूरी जांच पड़ताल की जा रही है. जांच के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी.

एडीएम सिटी डॉ राजेश कुमार ने बताया कि, जिलाधिकारी के द्वारा धर्मेंद्र नामक एक संदिग्ध युवक को पुलिस के हवाले सौंपा गया था. युवक के पास मिले सभी दस्तावेजों की गहनता से जांच पड़ताल की जा रही है. युवक के पास से जो आईकार्ड मिला है, उसके सत्यापन को लेकर गृह मंत्रालय व हरियाणा पुलिस को भेजा जाएगा.

मामले में एसीपी चकेरी दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि, आईकार्ड पर जो हस्ताक्षर मिले हैं उसको लेकर चकेरी थाना के पूर्व इंस्पेक्टर और वर्तमान इंस्पेक्टर से जब पूछताछ की गई तो उन्होंने इससे इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि आईकार्ड पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं. प्रथम दृष्टया हस्ताक्षर और मोहर दोनों ही फर्जी प्रतीत हो रहे हैं. फिलहाल पुलिस के द्वारा इस पूरे मामले की गहनता से जांच पड़ताल की जा रही है. जांच के दौरान जो भी तथ्य प्रकाश में आएंगे, उसके आधार पर आगे की कानूनी कार्यवाही की जाएगी.

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