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केदारनाथ उपचुनाव में सीएम धामी की ताबड़तोड़ जनसभाएं, 5 मंत्रियों ने डाला डेरा, तब मिली जीत

केदारनाथ विधानसभा सीट उपचुनाव में बीजेपी की जीत, सीएम धामी ने संभाली थी कमान, कई सौगातें देकर बनाई थी खास रणनीति

BJP State General Secretary Aditya Kothari
बीजेपी प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी (फोटो- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 3 hours ago

देहरादून: केदारनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की है. बीजेपी प्रत्याशी आशा नौटियाल ने 5,622 वोटों से जीत हासिल की है. आशा नौटियाल को 22,814 वोट मिले. जबकि, उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत को 18,192 वोट पड़े. वहीं, तीसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी त्रिभुवन सिंह चौहान को 9,311 वोट मिले. इसके अलावा यूकेडी के प्रत्याशी आशुतोष भंडारी को 1,314 वोट पड़े. पीपीआई (डी) के प्रत्याशी प्रदीप रोशन को 483 तो निर्दलीय प्रत्याशी आरपी सिंह को 493 वोट पड़े. वहीं, 834 वोटरों ने नोटा का बटन दबाया. इस तरह से बीजेपी ने जीत हासिल की, लेकिन इन चुनाव में जीत के पीछे की बीजेपी की रणनीति क्या थी और कैसे फतह किया केदारनाथ सीट का किला, इसकी जानकारी आपको देते हैं.

शैलारानी रावत के निधन के बाद सीएम धामी ने संभाली कमान: बीती 9 जुलाई को देहरादून में केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत का निधन हो गया था. उसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उस बयान ने केदारनाथ के लोगों को सीधे तौर से प्रभावित किया, जब उन्होंने कहा था कि 'जब तक केदारनाथ के लोगों को नया विधायक नहीं मिल जाता है, तब तक मैं केदारनाथ विधानसभा के लोगों का विधायक हूं.' माना जा रहा है कि इससे लोग खासे प्रभावित हुए.

केदारनाथ उपचुनाव में बीजेपी की जीत की इनसाइड स्टोरी (VIDEO- ETV Bharat)

दरअसल, केदारनाथ विधानसभा सीट में विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद से ही कांग्रेस इस उम्मीद को पाल रही थी कि जिस तरह से मंगलौर और बदरीनाथ विधानसभा सीट में उन्हें जीत हासिल हुई है, उसी को आगे बढ़ाते हुए केदारनाथ विधानसभा सीट पर भी कब्जा कर लेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ विधानसभा में विधायक के निधन के बाद से पूरी कमान संभाली. कई घोषणाएं केदारनाथ के लिए की. साथ ही प्रचार प्रसार का जिम्मा भी संभाला.

केदारघाटी में आई आपदा में सफल रेस्क्यू से बढ़ा लोगों का विश्वास: इसी साल जुलाई महीने के आखिर में केदारनाथ घाटी में आपदा आई. जिसने 2013 के केदारनाथ आपदा की यादें ताजा कर दी, लेकिन इस बार सरकार ने तत्काल तत्परता दिखाते हुए आपदा प्रबंधन के काम को बखूबी निभाया. बिना रुके रेस्क्यू अभियान को चलाया. महज एक हफ्ते के भीतर 16 हजार से ज्यादा तीर्थ यात्रियों और स्थानीय लोगों का रेस्क्यू किया. केदारघाटी में तहस-नहस सड़कों और मार्गों को सुचारू किया. जिसके बाद एक महीने के भीतर यात्रा भी शुरू कर दी.

ऐसा पहली बार हुआ, जब इतनी बड़ी आपदा आने के बावजूद भी इतना कम नुकसान हुआ. कहीं न कहीं इससे केदारनाथ विधानसभा के लोगों में सरकार के प्रति भरोसा बढ़ा. अब तक जो कांग्रेस केदारनाथ धाम को लेकर सरकार पर सवाल खड़े कर रही थी. कहीं न कहीं सरकार ने अपने कामों के जरिए उनका उत्तर दिया. जिसका असर केदारनाथ उपचुनाव में देखने को मिला.

केदारनाथ विधानसभा में बीजेपी ने ऐसे बनाई रणनीति: केदारनाथ विधानसभा में बीजेपी ने 173 बूथ, 47 शक्ति केंद्र और 4 मंडलों में अपने संगठन नेटवर्क की मदद से जनता के बीच में जाकर तमाम समस्याओं की जानकारी ली. उसके बाद पार्टी की कई टीम ने इन तमाम समस्याओं का विश्लेषण किया. किस समस्या को प्राथमिकता देनी है? किस पर किस तरह से कम करना है? इसको लेकर रिपोर्ट तैयार की गई. जिसे सरकार को सौंपा गया.

इसके बाद शासन में मौजूद तमाम वरिष्ठ अधिकारियों ने इस रिपोर्ट का अध्ययन किया और इन तमाम बिंदुओं पर होमवर्क किया. होमवर्क होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ विधानसभा में चुनाव से ठीक पहले साढ़े 500 करोड़ की 39 योजनाओं की घोषणाएं कर दी. केवल इन योजनाओं की सिर्फ घोषणाएं ही नहीं की, बल्कि वित्तीय स्वीकृति भी दी. यानी केदारनाथ की ऐसी तमाम समस्याएं, जो सालों से लटकी हुई थी, उनका उपचुनाव की वजह से निदान हो गया.

मुख्यमंत्री धामी ने की 5 जन सभाएं, पांचों मंडल में 5 मंत्रियों ने डाला डेरा: लोगों के मन पर अपना असर डालने के लिए जहां एक तरफ सरकार ने जनहित मुद्दों को देखते हुए तमाम घोषणाएं की. साथ ही लोगों की समस्याओं का निदान कर उनका भरोसा जीत तो वहीं उपचुनाव के लिए फाइनल राउंड में अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए बीजेपी ने मुख्यमंत्री समेत अपने तमाम जनप्रतिनिधियों को झोंक दिया. सीएम धामी ने 6 अक्टूबर को आचार संहिता लगने से पहले अगस्त्यमुनि, 12 नवंबर को चंद्रापुरी, 16 नवंबर को चोपता और चंदननगर, फिर आखिरी रैली 18 नवंबर को गुप्तकाशी में की.

बीजेपी प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी का कहना है कि केदारनाथ उपचुनाव को लेकर सीएम धामी ने आखिरी रैली 18 नवंबर को गुप्तकाशी में की थी. जहां पर जनसैलाब बीजेपी के पक्ष में नजर आया. इसके अलावा केदारनाथ विधानसभा के पांच मंडलों पर सरकार के 5 कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा, सतपाल महाराज सुबोध उनियाल, रेखा आर्य और धन सिंह रावत ने रात दिन एक कर बीजेपी के लिए काम किया.

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शैलारानी रावत के निधन के बाद सीएम धामी ने संभाली कमान: बीती 9 जुलाई को देहरादून में केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत का निधन हो गया था. उसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उस बयान ने केदारनाथ के लोगों को सीधे तौर से प्रभावित किया, जब उन्होंने कहा था कि 'जब तक केदारनाथ के लोगों को नया विधायक नहीं मिल जाता है, तब तक मैं केदारनाथ विधानसभा के लोगों का विधायक हूं.' माना जा रहा है कि इससे लोग खासे प्रभावित हुए.

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दरअसल, केदारनाथ विधानसभा सीट में विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद से ही कांग्रेस इस उम्मीद को पाल रही थी कि जिस तरह से मंगलौर और बदरीनाथ विधानसभा सीट में उन्हें जीत हासिल हुई है, उसी को आगे बढ़ाते हुए केदारनाथ विधानसभा सीट पर भी कब्जा कर लेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ विधानसभा में विधायक के निधन के बाद से पूरी कमान संभाली. कई घोषणाएं केदारनाथ के लिए की. साथ ही प्रचार प्रसार का जिम्मा भी संभाला.

केदारघाटी में आई आपदा में सफल रेस्क्यू से बढ़ा लोगों का विश्वास: इसी साल जुलाई महीने के आखिर में केदारनाथ घाटी में आपदा आई. जिसने 2013 के केदारनाथ आपदा की यादें ताजा कर दी, लेकिन इस बार सरकार ने तत्काल तत्परता दिखाते हुए आपदा प्रबंधन के काम को बखूबी निभाया. बिना रुके रेस्क्यू अभियान को चलाया. महज एक हफ्ते के भीतर 16 हजार से ज्यादा तीर्थ यात्रियों और स्थानीय लोगों का रेस्क्यू किया. केदारघाटी में तहस-नहस सड़कों और मार्गों को सुचारू किया. जिसके बाद एक महीने के भीतर यात्रा भी शुरू कर दी.

ऐसा पहली बार हुआ, जब इतनी बड़ी आपदा आने के बावजूद भी इतना कम नुकसान हुआ. कहीं न कहीं इससे केदारनाथ विधानसभा के लोगों में सरकार के प्रति भरोसा बढ़ा. अब तक जो कांग्रेस केदारनाथ धाम को लेकर सरकार पर सवाल खड़े कर रही थी. कहीं न कहीं सरकार ने अपने कामों के जरिए उनका उत्तर दिया. जिसका असर केदारनाथ उपचुनाव में देखने को मिला.

केदारनाथ विधानसभा में बीजेपी ने ऐसे बनाई रणनीति: केदारनाथ विधानसभा में बीजेपी ने 173 बूथ, 47 शक्ति केंद्र और 4 मंडलों में अपने संगठन नेटवर्क की मदद से जनता के बीच में जाकर तमाम समस्याओं की जानकारी ली. उसके बाद पार्टी की कई टीम ने इन तमाम समस्याओं का विश्लेषण किया. किस समस्या को प्राथमिकता देनी है? किस पर किस तरह से कम करना है? इसको लेकर रिपोर्ट तैयार की गई. जिसे सरकार को सौंपा गया.

इसके बाद शासन में मौजूद तमाम वरिष्ठ अधिकारियों ने इस रिपोर्ट का अध्ययन किया और इन तमाम बिंदुओं पर होमवर्क किया. होमवर्क होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ विधानसभा में चुनाव से ठीक पहले साढ़े 500 करोड़ की 39 योजनाओं की घोषणाएं कर दी. केवल इन योजनाओं की सिर्फ घोषणाएं ही नहीं की, बल्कि वित्तीय स्वीकृति भी दी. यानी केदारनाथ की ऐसी तमाम समस्याएं, जो सालों से लटकी हुई थी, उनका उपचुनाव की वजह से निदान हो गया.

मुख्यमंत्री धामी ने की 5 जन सभाएं, पांचों मंडल में 5 मंत्रियों ने डाला डेरा: लोगों के मन पर अपना असर डालने के लिए जहां एक तरफ सरकार ने जनहित मुद्दों को देखते हुए तमाम घोषणाएं की. साथ ही लोगों की समस्याओं का निदान कर उनका भरोसा जीत तो वहीं उपचुनाव के लिए फाइनल राउंड में अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए बीजेपी ने मुख्यमंत्री समेत अपने तमाम जनप्रतिनिधियों को झोंक दिया. सीएम धामी ने 6 अक्टूबर को आचार संहिता लगने से पहले अगस्त्यमुनि, 12 नवंबर को चंद्रापुरी, 16 नवंबर को चोपता और चंदननगर, फिर आखिरी रैली 18 नवंबर को गुप्तकाशी में की.

बीजेपी प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी का कहना है कि केदारनाथ उपचुनाव को लेकर सीएम धामी ने आखिरी रैली 18 नवंबर को गुप्तकाशी में की थी. जहां पर जनसैलाब बीजेपी के पक्ष में नजर आया. इसके अलावा केदारनाथ विधानसभा के पांच मंडलों पर सरकार के 5 कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा, सतपाल महाराज सुबोध उनियाल, रेखा आर्य और धन सिंह रावत ने रात दिन एक कर बीजेपी के लिए काम किया.

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