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वसीयत से छेड़छाड़ मामला: पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह के खिलाफ चल रही अदालती कार्रवाई रद्द - Bundi Royal Family Property Dispute

बूंदी रियासत की संपत्ति की वसीयत में छेड़छाड़ के मामले में राजीनामा होने के चलते राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह सहित अन्य के खिलाफ चल रही कार्रवाई को रद्द कर दिया है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 23, 2024, 8:32 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बूंदी राजघराने की संपत्तियों के धोखाधड़ी से जुड़े मामले में राजीनामा होने के चलते पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह सहित अन्य के खिलाफ बूंदी के एसीजेएम कोर्ट में चल रही कार्रवाई को रद्द कर दिया है. जस्टिस अनिल उपमन की एकलपीठ ने यह आदेश जितेन्द्र सिंह व अन्य की याचिका पर दिए.

भंवर जितेन्द्र सिंह के अधिवक्ता पंकज गुप्ता ने बताया कि याचिका में प्रार्थी के खिलाफ बूंदी के कोतवाली थाने में वर्ष 2017 में दर्ज एफआईआर व ट्रायल कोर्ट की कार्रवाई को रद्द करने का आग्रह किया गया था. मामले के अनुसार अविनाश चानना ने भंवर जितेन्द्र सिंह सहित अन्य के खिलाफ 2017 में कोतवाली पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. इसमें आरोप लगाया था कि बूंदी रियासत की संपत्ति की वसीयत 30 मार्च, 2009 को उसके पक्ष में हो गई थी, लेकिन भंवर जितेन्द्र सिंह ने अपने मामा रणजीत सिंह की वसीयत से छेड़छाड़ कर उसे अपने पक्ष में किया है.

पढ़ें: Property Dispute Of Alwar Royal Family: पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह को राहत, गिरफ्तारी वारंट पर कोर्ट ने लगाई रोक

इस संपत्ति को लेकर अविनाश ने दिल्ली हाईकोर्ट में प्रोबेट भी दायर की. वहीं जितेन्द्र सिंह ने कोर्ट में सिविल दावा कर कहा था कि रणजीत सिंह ने अपनी संपत्ति को कुल देवी आशापुरा माताजी के नाम पर सरेंडर कर दिया है और वे इसके सेवायत हैं. इस मामले में दिसंबर 2018 में एफआर लग गई, तो चानना ने इसे प्रोटेस्ट पिटिशन के जरिए कोर्ट में चुनौती दी. इस दौरान अविनाश की मृत्यु हो गई, तो उसके बेटे समीर व सुनील ने केस को जारी रखा.

पढ़ें: Jaipur Court News : देवराज-लालित्या की ओर से कोर्ट में पैरवी के लिए नहीं पहुंचे वकील, कोर्ट ने खारिज किया दावा

प्रोटेस्ट पिटिशन पर सीजेएम कोर्ट ने जितेन्द्र सिंह व अन्य के खिलाफ प्रसंज्ञान लेते हुए उन्हें गिरफ्तारी वारंट जारी कर कोर्ट में पेशी के निर्देश दिए. इसे निगरानी कोर्ट में चुनौती देने पर अदालत ने गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदल दिया, लेकिन प्रसंज्ञान सही माना. इस दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने संपत्ति को कुलदेवी के नाम सरेंडर करना सही माना. इसके बाद जितेन्द्र सिंह व अन्य पक्षकारों के बीच राजीनामा होने पर हाईकोर्ट में एफआईआर व ट्रायल कोर्ट की कार्रवाई को रद्द करने की गुहार की गई थी.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बूंदी राजघराने की संपत्तियों के धोखाधड़ी से जुड़े मामले में राजीनामा होने के चलते पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह सहित अन्य के खिलाफ बूंदी के एसीजेएम कोर्ट में चल रही कार्रवाई को रद्द कर दिया है. जस्टिस अनिल उपमन की एकलपीठ ने यह आदेश जितेन्द्र सिंह व अन्य की याचिका पर दिए.

भंवर जितेन्द्र सिंह के अधिवक्ता पंकज गुप्ता ने बताया कि याचिका में प्रार्थी के खिलाफ बूंदी के कोतवाली थाने में वर्ष 2017 में दर्ज एफआईआर व ट्रायल कोर्ट की कार्रवाई को रद्द करने का आग्रह किया गया था. मामले के अनुसार अविनाश चानना ने भंवर जितेन्द्र सिंह सहित अन्य के खिलाफ 2017 में कोतवाली पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. इसमें आरोप लगाया था कि बूंदी रियासत की संपत्ति की वसीयत 30 मार्च, 2009 को उसके पक्ष में हो गई थी, लेकिन भंवर जितेन्द्र सिंह ने अपने मामा रणजीत सिंह की वसीयत से छेड़छाड़ कर उसे अपने पक्ष में किया है.

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इस संपत्ति को लेकर अविनाश ने दिल्ली हाईकोर्ट में प्रोबेट भी दायर की. वहीं जितेन्द्र सिंह ने कोर्ट में सिविल दावा कर कहा था कि रणजीत सिंह ने अपनी संपत्ति को कुल देवी आशापुरा माताजी के नाम पर सरेंडर कर दिया है और वे इसके सेवायत हैं. इस मामले में दिसंबर 2018 में एफआर लग गई, तो चानना ने इसे प्रोटेस्ट पिटिशन के जरिए कोर्ट में चुनौती दी. इस दौरान अविनाश की मृत्यु हो गई, तो उसके बेटे समीर व सुनील ने केस को जारी रखा.

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प्रोटेस्ट पिटिशन पर सीजेएम कोर्ट ने जितेन्द्र सिंह व अन्य के खिलाफ प्रसंज्ञान लेते हुए उन्हें गिरफ्तारी वारंट जारी कर कोर्ट में पेशी के निर्देश दिए. इसे निगरानी कोर्ट में चुनौती देने पर अदालत ने गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदल दिया, लेकिन प्रसंज्ञान सही माना. इस दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने संपत्ति को कुलदेवी के नाम सरेंडर करना सही माना. इसके बाद जितेन्द्र सिंह व अन्य पक्षकारों के बीच राजीनामा होने पर हाईकोर्ट में एफआईआर व ट्रायल कोर्ट की कार्रवाई को रद्द करने की गुहार की गई थी.

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