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क्या काराकाट में नया इतिहास लिखेंगे पवन ? पहली बार में जीत हासिल नहीं कर पाया है कोई भी भोजपुरी एक्टर - PAWAN SINGH - PAWAN SINGH

Pawan Singh: काराकाट लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे भोजपुरी के पावर स्टार पवन सिंह की सभाओं में जिस तरह की भीड़ उमड़ रही है, उसने NDA और महागठबंधन की नींद उड़ा दी है. वैसे इतिहास इस बात का गवाह है कि चुनावी सियासत में किसी भी भोजपुरी एक्टर को पहली बार में जीत नहीं मिली है. क्या काराकाट में भी यही होगा या फिर पवन लिख डालेंगे नया इतिहास, पढ़िये पूरी खबर,

क्या दिखेगा पवन का पावर ?
क्या दिखेगा पवन का पावर ? (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 30, 2024, 8:33 PM IST

क्या नया इतिहास लिखेंगे पवन ? (ETV BHARAT)

पटनाः लोकसभा के आखिरी चरण में बिहार में जिस सीट की सबसे ज्यादा चर्चा है वो है काराकाट लोकसभा सीट. यहां से भोजपुरी के पावर स्टार पवन सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. पवन सिंह के पास किसी पार्टी का सिंबल भले ही न हो लेकिन उनके प्रति लोगों की दीवानगी ने NDA कैंडिडेट उपेंद्र कुशवाहा और महागठबंधन के प्रत्याशी राजाराम सिंह के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. हालांकि इतिहास कहता है कि किसी भी भोजपुरी एक्टर को पहली बार में चुनावी सफलता हाथ नहीं लगी है.

उपेंद्र कुशवाहा को मोदी मैजिक का भरोसाः पवन सिंह की सभाओं में उमड़ती भीड़ से सबसे ज्यादा परेशान हैं NDA प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा. पवन सिंह के मैदान में आने से पहले काराकाट सीट को उपेंद्र कुशवाहा के लिए बेहद ही आसान माना जा रहा था, लेकिन अब लड़ाई कठिन हो चुकी है. हालांकि उपेंद्र कुशवाहा को अभी भी मोदी मैजिक पर पूरा भरोसा है.

क्या वोट में तब्दील होगी भीड़ ? : इसमें कोई शक नहीं कि पवन सिंह की सभा में जिस तरह का जनसैलाब उमड़ रहा है वो दूसरे प्रत्याशियों के लिए खतरे की घंटी है, हालांकि राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि फिल्मी सितारों की लोकप्रियता भीड़ तो खींचने में माहिर है लेकिन जीत तभी होगी जब वही भीड़ वोट में तब्दील हो जाए.

"नेताओं की तुलना में फिल्मी सितारे जब चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें देखने सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. पवन सिंह भोजपुरी फिल्मों के बड़े अभिनेता हैं.भोजपुरी इलाकों में काफी लोकप्रिय हैं. बिहार में उनकी खूब चर्चा होती है, लेकिन जो भीड़ दिख रही है वो वोट में कितना परिवर्तित होगी यह बहुत मायने रखता है." रवि अटल, राजनीतिक विशेषज्ञ

नहीं जीत पाए पहली बार
नहीं जीत पाए पहली बार (ETV BHARAT)

'सर्कस देखने के लिए भीड़ आती ही है': पवन सिंह की सभा में उमड़ रही भीड़ पर तंज कसते हुए बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह कहते हैं कि "फिल्मी कलाकारों को देखने के लिए भीड़ आती ही है. सर्कस देखने के लिए भीड़ आती ही है, लेकिन सियासत में सेवा करना और जनता के साथ जुड़ने में कष्ट होता है. उपेंद्र कुशवाहा एक योग्य राजनेता हैं और जनता से जुड़कर रहनेवाले हैं.काराकाट की जनता मोदीजी के हाथ को मजबूत करने के लिए प्रचंड बहुमत से उपेंद्र कुशवाहा को जिताएगी."

'श्मशान-कब्रिस्तान में भी हो जाएगी हलचल': पवन सिंह की लोकप्रियता को लेकर AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान का कहना है कि "भाई वो कलाकार आदमी हैं, जहां भी जाएंगे हलचल हो जाएगी. वो तो श्मशान और कब्रिस्तान में भी चले जाएंगे तो हलचल हो जाएगी. हलचल होनी बड़ी बात नहीं है न, हलचल का वोट में तब्दील होना बड़ी बात है."

भोजपुरी एक्टर्स का ट्रैक रिकॉर्डः पहली बार, मिली हार: हो सकता है कि पवन सिंह काराकाट में बाजी मार लें लेकिन चुनावी सियासत में किस्मत आजमाने वाले भोजपुरी एक्टर्स का ट्रैक रिकॉर्ड इस मामले में बेहतर नहीं रहा है. चुनावी इतिहास इस बात का गवाह है कि पहली बार चुनावी सियासत में भोजपुरी अभिनेताओं के हिस्से में हार ही नसीब हुई है.

शॉटगन भी हार गये थे पहला चुनावः सबसे पहले बात कर लेतें हैं बिहारी बाबू यानी शॉटगन शत्रुघ्न सिन्हा की जो अपना पहला चुनाव हार गये थे. 1992 में नई दिल्ली सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने शत्रुघ्न सिन्हा को अपना प्रत्याशी बनाया था. उनके सामने थे कांग्रेस के राजेश खन्ना. उस उपचुनाव में राजेश खन्ना ने शत्रुघ्न सिन्हा को हरा दिया था.

कुणाल सिंह को मिली करारी हारः भोजपुरी फिल्मों के महानायक के रूप में मशहूर कुणाल सिंह ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर पटना साहिब लोकसभा सीट से अपनी किस्मत आजमाई थी. तब बीजेपी कैंडिडेट शत्रुघ्न सिन्हा के हाथों कुणाल को करारी हार झेलनी पड़ी थी.

पहली बार नहीं जीत पाए थे मनोज तिवारीः उत्तर पूर्व दिल्ली से 2014 और 2019 के चुनाव में शानदार जीत दर्ज करनेवाले बीजेपी नेता और भोजपुरी एक्टर-सिंगर मनोज तिवारी भी अपना पहला चुनाव नहीं जीत पाए थे. मनोज तिवारी ने 2009 के लोकसभा चुनाव में समाजवाद पार्टी के टिकट पर गोरखपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और योगी आदित्यनाथ के हाथों मात खा गये थे. बाद में मनोज तिवारी बीजेपी में चले आए.

रवि किशन के हिस्से आई थी हारः यही हुआ भोजपुरी के बड़े स्टार रवि किशन के साथ. रवि किशन ने भी 2014 के लोकसभा चुनाव में जौनपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर किस्मत आजमाई, लेकिन रवि किशन इतिहास नहीं बना पाए और जौनपुर से चुनाव हार गये. बाद में वे बीजेपी में शामिल हुए और 2019 में गोरखपुर लोकसभा सीट से सांसद बने.

निरहुआ का जलवा भी पहली बार नहीं दिखाः उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का वर्चस्व खत्म करनेवाले बीजेपी सांसद और भोजपुरी एक्टर दिनेशलाल यादव निरहुआ भी पहला लोकसभा चुनाव हार गये थे.2019 में बीजेपी के टिकट पर लड़े निरहुआ को हार मिली, हालांकि 2022 में हुए उपचुनाव में उन्होंने शानदार जीत दर्ज की.

"भोजपुरी अभिनेताओं का एक ट्रैक रिकॉर्ड यह भी है की पहली बार में उन्हें किसी चुनाव में सफलता नहीं मिली है. पवन सिंह का क्या होगा फिलहाल कहना मुश्किल है. यह तो चुनाव होने और रिजल्ट के बाद ही पता चल पाएगा. इतना जरूर है कि उनके उतरने से काराकाट चर्चा में है और उपेंद्र कुशवाहा के लिए जो पहले रास्ता आसान था, अब वह कठिन है." रवि अटल, राजनीतिक विशेषज्ञ

क्या नया इतिहास लिखेंगे पवन ?: पवन सिंह को बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में पश्चिम बंगाल के आसनसोल से टिकट देने का ऐलान किया था, लेकिन तब उनके गानों को लेकर हुए विवाद के बाद पवन सिंह ने टिकट लौटा दिया और काराकाट के चुनावी रण में निर्दलीय कैंडिडेट के रूप में ताल ठोक दी. भोजपुरी एक्टर्स के पहली बार हार वाली कहानी इतिहास में जरूर दर्ज है लेकिन काराकाट में पवन को जिस तरह का समर्थन मिलता दिख रहा है, इतिहास बदल जाए तो कोई हैरानी नहीं होगी.

ये भी पढ़ेंःपवन सिंह की इंट्री से काराकाट में त्रिकोणीय मुकाबला, यहां जीत हासिल करना 'लॉलीपॉप' नहीं - lok sabha election 2024

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क्या नया इतिहास लिखेंगे पवन ? (ETV BHARAT)

पटनाः लोकसभा के आखिरी चरण में बिहार में जिस सीट की सबसे ज्यादा चर्चा है वो है काराकाट लोकसभा सीट. यहां से भोजपुरी के पावर स्टार पवन सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. पवन सिंह के पास किसी पार्टी का सिंबल भले ही न हो लेकिन उनके प्रति लोगों की दीवानगी ने NDA कैंडिडेट उपेंद्र कुशवाहा और महागठबंधन के प्रत्याशी राजाराम सिंह के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. हालांकि इतिहास कहता है कि किसी भी भोजपुरी एक्टर को पहली बार में चुनावी सफलता हाथ नहीं लगी है.

उपेंद्र कुशवाहा को मोदी मैजिक का भरोसाः पवन सिंह की सभाओं में उमड़ती भीड़ से सबसे ज्यादा परेशान हैं NDA प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा. पवन सिंह के मैदान में आने से पहले काराकाट सीट को उपेंद्र कुशवाहा के लिए बेहद ही आसान माना जा रहा था, लेकिन अब लड़ाई कठिन हो चुकी है. हालांकि उपेंद्र कुशवाहा को अभी भी मोदी मैजिक पर पूरा भरोसा है.

क्या वोट में तब्दील होगी भीड़ ? : इसमें कोई शक नहीं कि पवन सिंह की सभा में जिस तरह का जनसैलाब उमड़ रहा है वो दूसरे प्रत्याशियों के लिए खतरे की घंटी है, हालांकि राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि फिल्मी सितारों की लोकप्रियता भीड़ तो खींचने में माहिर है लेकिन जीत तभी होगी जब वही भीड़ वोट में तब्दील हो जाए.

"नेताओं की तुलना में फिल्मी सितारे जब चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें देखने सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. पवन सिंह भोजपुरी फिल्मों के बड़े अभिनेता हैं.भोजपुरी इलाकों में काफी लोकप्रिय हैं. बिहार में उनकी खूब चर्चा होती है, लेकिन जो भीड़ दिख रही है वो वोट में कितना परिवर्तित होगी यह बहुत मायने रखता है." रवि अटल, राजनीतिक विशेषज्ञ

नहीं जीत पाए पहली बार
नहीं जीत पाए पहली बार (ETV BHARAT)

'सर्कस देखने के लिए भीड़ आती ही है': पवन सिंह की सभा में उमड़ रही भीड़ पर तंज कसते हुए बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह कहते हैं कि "फिल्मी कलाकारों को देखने के लिए भीड़ आती ही है. सर्कस देखने के लिए भीड़ आती ही है, लेकिन सियासत में सेवा करना और जनता के साथ जुड़ने में कष्ट होता है. उपेंद्र कुशवाहा एक योग्य राजनेता हैं और जनता से जुड़कर रहनेवाले हैं.काराकाट की जनता मोदीजी के हाथ को मजबूत करने के लिए प्रचंड बहुमत से उपेंद्र कुशवाहा को जिताएगी."

'श्मशान-कब्रिस्तान में भी हो जाएगी हलचल': पवन सिंह की लोकप्रियता को लेकर AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान का कहना है कि "भाई वो कलाकार आदमी हैं, जहां भी जाएंगे हलचल हो जाएगी. वो तो श्मशान और कब्रिस्तान में भी चले जाएंगे तो हलचल हो जाएगी. हलचल होनी बड़ी बात नहीं है न, हलचल का वोट में तब्दील होना बड़ी बात है."

भोजपुरी एक्टर्स का ट्रैक रिकॉर्डः पहली बार, मिली हार: हो सकता है कि पवन सिंह काराकाट में बाजी मार लें लेकिन चुनावी सियासत में किस्मत आजमाने वाले भोजपुरी एक्टर्स का ट्रैक रिकॉर्ड इस मामले में बेहतर नहीं रहा है. चुनावी इतिहास इस बात का गवाह है कि पहली बार चुनावी सियासत में भोजपुरी अभिनेताओं के हिस्से में हार ही नसीब हुई है.

शॉटगन भी हार गये थे पहला चुनावः सबसे पहले बात कर लेतें हैं बिहारी बाबू यानी शॉटगन शत्रुघ्न सिन्हा की जो अपना पहला चुनाव हार गये थे. 1992 में नई दिल्ली सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने शत्रुघ्न सिन्हा को अपना प्रत्याशी बनाया था. उनके सामने थे कांग्रेस के राजेश खन्ना. उस उपचुनाव में राजेश खन्ना ने शत्रुघ्न सिन्हा को हरा दिया था.

कुणाल सिंह को मिली करारी हारः भोजपुरी फिल्मों के महानायक के रूप में मशहूर कुणाल सिंह ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर पटना साहिब लोकसभा सीट से अपनी किस्मत आजमाई थी. तब बीजेपी कैंडिडेट शत्रुघ्न सिन्हा के हाथों कुणाल को करारी हार झेलनी पड़ी थी.

पहली बार नहीं जीत पाए थे मनोज तिवारीः उत्तर पूर्व दिल्ली से 2014 और 2019 के चुनाव में शानदार जीत दर्ज करनेवाले बीजेपी नेता और भोजपुरी एक्टर-सिंगर मनोज तिवारी भी अपना पहला चुनाव नहीं जीत पाए थे. मनोज तिवारी ने 2009 के लोकसभा चुनाव में समाजवाद पार्टी के टिकट पर गोरखपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और योगी आदित्यनाथ के हाथों मात खा गये थे. बाद में मनोज तिवारी बीजेपी में चले आए.

रवि किशन के हिस्से आई थी हारः यही हुआ भोजपुरी के बड़े स्टार रवि किशन के साथ. रवि किशन ने भी 2014 के लोकसभा चुनाव में जौनपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर किस्मत आजमाई, लेकिन रवि किशन इतिहास नहीं बना पाए और जौनपुर से चुनाव हार गये. बाद में वे बीजेपी में शामिल हुए और 2019 में गोरखपुर लोकसभा सीट से सांसद बने.

निरहुआ का जलवा भी पहली बार नहीं दिखाः उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का वर्चस्व खत्म करनेवाले बीजेपी सांसद और भोजपुरी एक्टर दिनेशलाल यादव निरहुआ भी पहला लोकसभा चुनाव हार गये थे.2019 में बीजेपी के टिकट पर लड़े निरहुआ को हार मिली, हालांकि 2022 में हुए उपचुनाव में उन्होंने शानदार जीत दर्ज की.

"भोजपुरी अभिनेताओं का एक ट्रैक रिकॉर्ड यह भी है की पहली बार में उन्हें किसी चुनाव में सफलता नहीं मिली है. पवन सिंह का क्या होगा फिलहाल कहना मुश्किल है. यह तो चुनाव होने और रिजल्ट के बाद ही पता चल पाएगा. इतना जरूर है कि उनके उतरने से काराकाट चर्चा में है और उपेंद्र कुशवाहा के लिए जो पहले रास्ता आसान था, अब वह कठिन है." रवि अटल, राजनीतिक विशेषज्ञ

क्या नया इतिहास लिखेंगे पवन ?: पवन सिंह को बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में पश्चिम बंगाल के आसनसोल से टिकट देने का ऐलान किया था, लेकिन तब उनके गानों को लेकर हुए विवाद के बाद पवन सिंह ने टिकट लौटा दिया और काराकाट के चुनावी रण में निर्दलीय कैंडिडेट के रूप में ताल ठोक दी. भोजपुरी एक्टर्स के पहली बार हार वाली कहानी इतिहास में जरूर दर्ज है लेकिन काराकाट में पवन को जिस तरह का समर्थन मिलता दिख रहा है, इतिहास बदल जाए तो कोई हैरानी नहीं होगी.

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