रांची: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुई गीता कोड़ा और झामुमो के उम्मीदवार जोबा मांझी के बीच ही मुख्य मुकाबला होने के आसार हैं. अनुसूचित जनजाति आरक्षित कोल्हान के सिंहभूम लोकसभा सीट पर जीत किसका होगा यह तो 04 जून को मतगणना वाले दिन ही पता चलेगा, लेकिन अगर पिछले साढ़े तीन दशक के इतिहास पर नजर डालें तो एक रोचक बात यह है कि 1989-90 के बाद कोई भी उम्मीदवार चाहे वह किसी दल का हो, लगातार दूसरी बार सिंहभूम लोकसभा सीट पर जीत हासिल नहीं कर सका है.
सिंहभूम लोकसभा सीट की परंपरा को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी और अपनी जीत की राह आसान बनाने के लिए कांग्रेस छोड़ भाजपा में पहुंच गईं. ऐसे में गीता कोड़ा इस बार सिंहभूम का इतिहास बदलेगी या फिर जोबा मांझी के सिर पर सिंहभूम की जनता विजय का ताज पहनाएगी ये बड़ा सवाल बना हुआ है.
वर्ष 2014 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में लक्ष्मण गिलुआ सिंहभूम से चुनाव जीतकर सांसद बने. झारखंड की राजनीति में उनका कद बढ़ रहा था, उन्हें झारखंड प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष भी बनाया गया था. इसके बावजूद जब 2019 का लोकसभा चुनाव हुआ तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहते हुए और राज्य में NDA के लिए लहर के बावजूद सिंहभूम सीट पर लक्ष्मण गिलुआ की हार हो गयी. कह सकते हैं कि प्रचंड मोदी लहर पर सिंहभूम लोकसभा सीट की जनता ने उस परंपरा को निभाया जिसके तहत सांसद का चेहरा वह बदल देते हैं.
क्या सिंहभूम लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार गीता कोड़ा सांसद बन पाएंगी इस सवाल के जवाब में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने कहा कि इस बार भाजपा सिंहभूम में लंबे दिनों से चली आ रही परंपरा को तोड़ने का प्रयास कर रही है. भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस छोड़ गीता कोड़ा भाजपा में शामिल हुई हैं, उनका जीत सुनिश्चित करने की जवाबदेही भाजपा की है.
नहीं टूटेगी पुरानी परंपरा, नए चेहरे पर भरोसा जताएगी जनता- कांग्रेस
वहीं, सिंहभूम लोकसभा सीट पर पिछले साढ़े तीन दशक के चुनावी इतिहास को इस बार भी आगे बढ़ाने की उम्मीद कांग्रेस के नेताओं को है. कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि इस बार जनता धोखा देने वाली भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को स्वीकार नहीं करने जा रही है. कांग्रेस के नेता ने सिंहभूम की जनता को संजीदा बताते हुए कहा कि उनके दिल मे धोखेबाज उम्मीदवार के लिए कोई जगह नहीं है.
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