रांचीः कोल्हान को साधने के लिए बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को लेकर बड़ा दांव खेला है. 30 अगस्त को विधिवत बीजेपी में शामिल होने के बाद कोल्हान की जिम्मेदारी चंपाई सोरेन पर होगी.
कोल्हान प्रमंडल में विधानसभा की 14 सीटें हैं, जिसमें 09 एसटी और 01 एससी के लिए आरक्षित हैं, शेष चार सीटें सामान्य सीटें हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में कोल्हान की एक भी सीट बीजेपी को नहीं मिली थी. ऐसे में इस बार 2024 के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के गढ़ में सेंधमारी करने के लिए बीजेपी ने बड़ा दांव खेला है. गीता कोड़ा के बाद चंपाई सोरेन बीजेपी में शामिल होने वाले दूसरे बड़े नेता हैं. जिनके ऊपर कोल्हान में कमल खिलाने की जिम्मेदारी होगी.
चंपाई सोरेन झारखंड आंदोलन से उपजे नेता हैं और इस क्षेत्र में इनकी पुरानी पहचान रही है मगर इसका लाभ भाजपा को कितना मिलेगा यह वक्त बताएगा. चंपाई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा और सोरेन परिवार पर अपमानित करने का आरोप लगाते रहे हैं. जिसे विधानसभा चुनाव में भाजपा भुनाने की भरसक कोशिश करेगी. पार्टी के अंदर बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा के बाद तीसरे ट्रायबल पूर्व मुख्यमंत्री के रुप में चंपाई सोरेन होंगे. जिसके बल पर बीजेपी चुनावी नैया पार लगाने में जुटी है.
बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि चंपाई सोरेन के आने से पार्टी को जरूर लाभ मिलेगा. नफा नुकसान का आकलन करने के बजाय हमें यह देखना होगा कि गुरुजी शिबू सोरेन के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के दूसरे नंबर के नेता को आखिर क्या कारण रहा जो उन्हें अपने दल को छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा.
चंपाई सोरेन के बीजेपी में जाने से पार्टी को कोई नुकसान नहीं- जेएमएम
कोल्हान में झामुमो बहुत मजबूत स्थिति में है. संथाल के बाद कोल्हान झामुमो का दूसरा गढ़ बन चुका है. जाहिर तौर पर इसमें चंपाई सोरेन का भी योगदान रहा है. झारखंड गठन से पहले और उसके बाद चंपाई सोरेन इस क्षेत्र को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि बनाई जिसका लाभ जेएमएम के साथ साथ खुद उन्हें भी समय समय पर मिलता रहा है. विधानसभा चुनाव में लगातार चंपाई सोरेन जीतते रहे हैं हालांकि जीत का मार्जिन कम रहा है.
2019 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो इससे पहले किसी भी चुनाव में इन्होंने पांच हजार से अधिक वोट से नहीं जीत दर्ज की. 2019 में वह करीब 15 हजार वोट के अंतर से जीते थे. इससे पहले 2005 में सिर्फ 882 वोट से जीते थे. 2009 में 3,246 वोट से और 2014 में 1,115 वोट से जीते थे. 2019 के जमशेदपुर लोकसभा चुनाव में वह तीसरे स्थान पर रहे थे. ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा का मानना है कि चंपाई सोरेन के जाने से पार्टी को कोई क्षति नहीं होगा. जेएमएम प्रवक्ता मनोज पांडे कहते हैं कि इससे पहले कई नेता पार्टी छोड़कर निकले उनसे सबक लेने की जरूरत है. चंपाई सोरेन का यह कदम आत्मघाती है जिसमें भाजपा सफल हो रही है.
बहरहाल चंपाई सोरेन के भाजपा में शामिल होने की खबर आते ही बीजेपी के अंदर हलचल तेज हो गई है. बीजेपी के कई बड़े नेता दिल्ली में हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, दीपक प्रकाश जैसे प्रदेश स्तर के नेता दिल्ली में हैं.